अफगानिस्तान का खाली खजाना देख कर तालिबान के उड़ गये होश, पाई-पाई का संकट खड़ा हो सकता है
क्या है अफगानिस्तान का ताजा हाल यह तो आज की रिपोर्ट में आपको बताएंगे ही साथ ही बात करेंगे कुछ इलाकों में तालिबान के खिलाफ विद्रोह करती जनता की लेकिन सबसे पहले बात करते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी गयी चेतावनी की।
तालिबान ने बंदूक के बल पर अफगानिस्तान पर कब्जा तो जमा लिया लेकिन जब उसने यह देखा कि देश का खजाना तो खाली है तो उसके होश उड़ गये। तालिबान को वैसे तो धनी संगठन माना जाता है लेकिन अपना संगठन चलाने और देश चलाने में अंतर होता है। अब तालिबान के सामने पैसों का संकट खड़ा हो गया है जिससे उसको समझ नहीं आ रहा है कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर कैसे लाया जाये। इसके लिए तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से खुद को मान्यता देने और मुद्रा कोष तक पहुँच प्रदान करने की अपील भी की है। देखना होगा कि उसकी अपीलों का विश्व समुदाय पर क्या असर होता है लेकिन विश्व समुदाय तालिबान की बात सुन ले इसके लिए चीन और पाकिस्तान ने जरूर प्रयास शुरू कर दिये हैं। दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी फौजों की वापसी के फैसले को एक बार फिर सही ठहराते हुए तालिबान को चेतावनी दी है कि उसने यदि एक भी गलती की तो उसका बुरा अंजाम भुगतना पड़ेगा। क्या है अफगानिस्तान का ताजा हाल यह तो आज की रिपोर्ट में आपको बताएंगे ही साथ ही बात करेंगे कुछ इलाकों में तालिबान के खिलाफ विद्रोह करती जनता की लेकिन सबसे पहले बात करते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी गयी चेतावनी की।
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बाइडन ने क्या चेतावनी दी?
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान में फंसे अमेरिकी नागरिकों से उन्हें घर पहुंचाने का वादा किया है। उन्होंने अफगानिस्तान में फंसे अमेरिकियों से कहा, "हम आपको घर पहुंचाएंगे।" बाइडन ने पिछले सप्ताह को "दिल दहला देने वाला" बताया, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका प्रशासन लोगों की निकासी को सुचारू और गति देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि हम में से कोई भी इन तस्वीरों को देख सकता है और मानवीय स्तर पर उस दर्द को महसूस नहीं कर सकता है।" बाइडन ने यह भी कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में आतंकवाद निरोधी अभियान पर पैनी नजर बनाकर रखेगा। उन्होंने तालिबान को चेतावनी दी कि काबुल हवाई अड्डे पर उसके अभियानों में कोई गड़बड़ी की गई या अमेरिकी बलों पर हमला हुआ तो उसे इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी गड़बड़ी का शक्तिशाली तरीके से जवाब दिया जाएगा।’’
बाइडन ने कहा कि अमेरिकी नागरिकों और बीते 20 वर्षों के दौरान उनका सहयोग करने वाले अफगान लोगों को अफगानिस्तान से निकालने का जो अभियान अभी चल रहा है वह इतिहास में हवाई मार्ग से लोगों को निकालने का सबसे कठिन अभियान रहा है और यह सबसे बड़े अभियानों में से भी एक है। बाइडन ने बताया कि अमेरिका जुलाई से 18,000 से अधिक लोगों को अफगानिस्तान से निकाल चुका है और 14 अगस्त को सेना द्वारा हवाई मार्ग से निकासी का कार्य शुरू होने के बाद से करीब 13,000 लोगों को निकाला जा चुका है। उन्होंने व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''अमेरिकी नागरिकों, स्थायी निवासियों और उनके परिवारों समेत अन्य हजारों लोगों को निजी चार्टर्ड विमानों के जरिए निकाला गया है जिनकी व्यवस्था अमेरिकी सरकार ने की थी। बाइडन ने कहा कि अमेरिका ने काबुल हवाई अड्डे को अपने अधिकार में रखा है ताकि सैन्य विमानों समेत अन्य विमान उड़ान भर सकें। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे करीब छह हजार सैनिक वहां हैं, 82वीं एयरबॉर्न रनवे को सुरक्षा मुहैया करवा रही है, सेना की 10वीं माउंटेन डिविजन हवाई अड्डे की सुरक्षा में तैनात है तथा 24वीं मरीन इकाई असैन्य नागरिकों की निकासी में मदद दे रही है।’’
तालिबान के पास पैसे नहीं
दूसरी ओर तालिबान की बात करें तो उसके सामने अफगानिस्तान पर अपने नियंत्रण को मजबूत बनाने में जो सबसे बड़ी चुनौती पेश आ रही है वह है पैसा। पिछले सप्ताह की अपनी वर्चस्वशीलता के बावजूद तालिबान की सेंट्रल बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के अरबों डॉलर तक पहुंच नहीं है। ये पैसे मुख्य रूप से अमेरिका या अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के नियंत्रण में हैं। तालिबान के पास इस धन को हासिल करने के लिए कोई संगठनात्मक ढांचा नहीं है, यानी यह तालिबान के सामने अर्थव्यवसथा को चलाने में परेशानी खड़ी हो सकती है। वैसे भी अफगान अर्थव्यवस्था अब शहरीकृत है और दो दशक के पहले की तुलना में तिगुणी है। माना जा रहा है कि जो नागरिक अफगान से पलायन नहीं करेंगे उनके समक्ष मानवीय संकट खड़ा हो सकता है। यदि उनके पास काम नहीं होगा तो वे अपनों का पेट नहीं भर पायेंगे। ऐसे में तालिबान को जवाब ढूंढ़ना होगा।’’
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विश्व समुदाय से मदद माँग रहा तालिबान
तालिबान इन्हीं सब दिक्कतों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से खुद को मान्यता देने की अपील कर रहा है। साथ ही तालिबान ने चीन को खुश करने की कोशिश में कहा है कि चीन युद्ध से तबाह देश में उसके शासन के तहत एक ‘‘बड़ी भूमिका’’ निभा सकता है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ‘‘अफगान लोगों की इच्छा का सम्मान करना चाहिए’’ और आधिकारिक तौर पर उनके समूह को मान्यता देनी चाहिए जिसने काबुल में सत्ता संभाली है। शरीया कानून लागू करने की योजना के तहत तालिबान द्वारा महिलाओं की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की बढ़ती चिंताओं को खारिज करते हुए सुहैल शाहीन ने चीन के सरकारी ‘सीजीटीएन टीवी’ से कहा कि काबुल में नई तालिबान सरकार महिलाओं के शिक्षा और कामकाज के अधिकारों की रक्षा करेगी। तालिबान प्रवक्ता ने अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठनों से नई सरकार को धन जारी करने का भी आग्रह किया। सुहैल शाहीन ने कहा, ‘‘चीन एक विशाल अर्थव्यवस्था और क्षमता वाला एक बड़ा देश है। वे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।’’ तालिबान प्रवक्ता ने कहा, ‘‘पिछले वर्षों के दौरान चीन और रूस के साथ हमारे संबंध रहे हैं। हमने उनसे कहा है कि उन्हें अफगानिस्तान को लेकर कोई चिंता नहीं होनी चाहिए।’’ तालिबान प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम इसे अपने हित में देखते हैं कि हम किसी को भी हमारे पड़ोसी और क्षेत्रीय देशों के खिलाफ हमारी धरती का उपयोग करने की अनुमति न दें। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है।’’ तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए भी हमें सभी देशों की मदद की जरूरत है।’’
हम आपको याद दिला दें कि तालिबान के चीन के साथ गहरे संबंध रहे हैं और उसके राजनीतिक आयोग के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में एक तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने पिछले महीने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत के लिए चीन का दौरा किया था। माना जा रहा है कि तालिबान 31 अगस्त तक नई सरकार की रूपरेखा की घोषणा नहीं करेगा। उल्लेखनीय है कि बाइडन ने अमेरिकी फौजों की वापसी का काम 31 अगस्त तक पूरा करने की बात कही है।
-नीरज कुमार दुबे
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