PM Modi ने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा, ड्रोन की मदद से वन्यजीव संस्थान में मिल रहा काफी मदद
पीएम मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में बताया कि हम सबके जीवन में तकनीक का महत्व बहुत बढ़ गया है। मोबाइल फोन, डिजिटल गैजेट्स हम सबकी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि डिजिटल गैजेट्स की मदद से अब वन्य जीवों के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद मिल रही है।
पीएम मोदी ने रविवार को 'मन की बात' में इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है, और ऐसे कई उदाहरण दिए जहां नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल केन नदी में मगरमच्छों पर किया जा रहा है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से रोटर प्रिसिजन ग्रुप द्वारा विकसित और मध्य प्रदेश में केन घड़ियाल अभयारण्य में मगरमच्छों के आवास मानचित्रण, जनसंख्या अनुमान और निगरानी में ड्रोन के उपयोग किए जा रहे, मोदी ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां युवा उद्यमी वन्यजीव संरक्षण के लिए नए इनोवेशन पर काम कर रहे हैं।
एआई के इस्तेमाल को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा, ''महाराष्ट्र के चंद्रपुर में इंसानों और बाघों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए एआई की मदद ली जा रही है.
वन्य जीव के साथ बिठाया जा रहा तालमेल
पीएम मोदी ने मन की बात में कहा, आज हम सबके जीवन में तकनीक का महत्व बहुत बढ़ गया है। मोबाइल फोन, डिजिटल गैजेट्स हम सबकी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि डिजिटल गैजेट्स की मदद से अब वन्य जीवों के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद मिल रही है। कुछ दिन बाद, 3 मार्च को 'विश्व वन्य जीव दिवस' है। इस दिन को वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व वन्य जीव दिवस की थीम में डिजिटल नवाचार को सर्वोपरि रखा गया है।"
ड्रोन की मदद से वन्यजीव संस्थान में मिल रहा काफी मदद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आज युवा उद्यमी भी वन्य जीव संरक्षण और पारिस्थितिकी पर्यटन के नए-नए तकनीकी सामने ला रही है। बता दें कि, उत्तराखंड के रुडकी में रोटर प्रिसिशन ग्रुप ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से ऐसा ड्रोन तैयार किया है जिससे केन नदी में घडियालों पर नजर रखने में मदद मिल रही है। वहीं बेंगलुरु की एक कंपनी ने 'बघीरा' और 'गरुड़' नाम के एप बनाएं है। बघीरा एप से जंगल सफारी के दौरान वाहन की गति और दूसरी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। देश के कई टाइगर रिजर्व में इसका उपयोग हो रहा है।
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