Lockdown के 47वें दिन रेलवे का बड़ा ऐलान- 12 मई से चलेंगी ट्रेनें

indian railways

दिल्ली सरकार ने रविवार को अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों को चेतावनी दी कि कोरोना वायरस संक्रमण से होने वाली मौतों की रिपोर्ट देने में यदि कोई देर हुई तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, इस सिलसिले में एक मानक संचालन प्रक्रिया भी जारी की।

भारतीय रेल ने रविवार को कहा कि उसकी योजना 12 मई से चरणबद्ध तरीके से यात्री ट्रेन सेवाएं शुरू करने की है, और शुरुआत में चुनिंदा मार्गों पर 15 जोड़ी ट्रेनें (अप-एंड-डाउन मिलाकर 30 ट्रेनें) चलायी जाएंगी। ये ट्रेनें विशेष ट्रेनों के रूप में नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन से चलेंगी और डिब्रूगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, मडगांव, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद और जम्मू-तवी को जाएंगी। कोविड-19 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण 25 मार्च से ही सभी यात्री ट्रेन सेवाएं बंद हैं। भारतीय रेल का कहना है कि इन 15 जोड़ी ट्रेनों के बाद वह अन्य मार्गों पर भी विशेष ट्रेनें चलाएगी। उसका कहना है कि 20,000 डिब्बे कोविड-19 देखभाल केन्द्र के रूप में आरक्षित करने और प्रवासी श्रमिकों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रोजाना करीब 300 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनें चलाने के लिए डिब्बे आरक्षित रखने के बाद कोचों की उपलब्धता के आधार पर अन्य मार्गों पर यात्री सेवाएं बहाल की जाएंगी। इन ट्रेनों में आरक्षण के लिए बुकिंग 11 मई शाम चार बजे से शुरू होगी। बुकिंग सिर्फ आईआरसीटीसी की वेबसाइट (https://www.irctc.co.in/) के जरिए की जा सकेगी। भारतीय रेल ने कहा कि स्टेशनों पर टिकट बुकिंग खिड़की बंद रहेगी, प्लेटफॉर्म टिकट सहित कोई काउंटर टिकट जारी नहीं होगा। उसने कहा कि सिर्फ वैध आरक्षित टिकटधारकों को रेलवे स्टेशन में प्रवेश की अनुमति होगी। उसने कहा कि यात्रियों के लिए प्रस्थान बिंदु पर मास्क पहनना और स्वास्थ्य जांच अनिवार्य होगा, सिर्फ उन्हीं लोगों को ट्रेन में चढ़ने की अनुमति होगी जिनमें वायरस से संक्रमण के कोई लक्षण नजर नहीं आएगा।

प्रधानमंत्री सोमवार को मुख्यमंत्रियों से करेंगे वार्ता

लॉकडाउन चरणबद्ध तरीके से हटाने के बीच आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने पर जोर देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार दोपहर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत करेंगे। देश में कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ यह पांचवीं बैठक होगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा (पीएमओ) ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंस सोमवार दोपहर तीन बजे शुरू होगी। सरकार में मौजूद सूत्रों ने बताया कि बैठक में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने और कोविड-19 के ‘रेड जोन’ को ‘ऑरेंज जोन’ या ‘ग्रीन जोन’ में तब्दील करने की कोशिशें बढ़ाने पर बल दिया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि बैठक में भाग लेने वाले सभी मुख्यमंत्रियों को बातचीत के दौरान अपने विचार रखने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री द्वारा मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बार 27 अप्रैल को बातचीत किये जाने के बाद से कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, जो लगभग 28,000 के आंकड़े से बढ़ कर करीब 63,000 पहुंच गई है। बैठक के कुछ दिनों बाद केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की अवधि और दो हफ्तों के लिये 17 मई तक बढ़ा दी। हालांकि, आर्थिक गतिविधियों में और लोगों की आवाजाही में कुछ छूट दी गई। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन 25 मार्च से लागू है। कई राज्यों ने हाल ही में श्रम कानून के नियमों को उदार बनाया है, ताकि कार्यालयों/फैक्टरियों में अलग-अलग पाली (शिफ्ट) में काम कराने या सीमित संख्या में श्रमिकों के साथ औद्योगिक गतिविधियों में तेजी लाई जा सके। सूत्रों के मुताबिक सोमवार की बैठक में लॉकडाउन चरणबद्ध तौर पर हटाने के तहत पाबंदियों में और अधिक छूट देने पर भी चर्चा हो सकती है। लेकिन सारे प्रतिबंध एक ही बार नहीं हटाये जा सकते। लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई को समाप्त होने से कुछ ही दिन पहले यह बैठक होने वाली है। दूसरा चरण तीन मई को समाप्त हुआ था, जबकि पहला चरण 14 अप्रैल को समाप्त हुआ था। रविवार को एक बैठक में राज्य के मुख्य सचिवों को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने कहा कि कोविड-19 से बचाव की जरूरत है, पर आर्थिक गतिविधियों को भी सूझ बूझ से तेज करने की जरूरत है। लॉकडाउन के चलते विभिन्न राज्यों में फंसे हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर स्पेशल ट्रेनों से अपने-अपने गृह राज्य लौट रहे हैं, ऐसे में औद्योगिक गतिविधियों को फिर से शुरू करना राज्यों के लिये एक चुनौती साबित होगी।

इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन में शहरों का हाल खूब सुना होगा, आइये जरा गाँवों की देखी-सुनी सुनाते हैं

महत्वपूर्ण आंकड़ा

कोरोना वायरस से निपटने की राह में कामयाबी की ओर बढ़ने का हवाला देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि पिछले 24 घंटे में 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना वायरस संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है और स्वस्थ होने की दर 30 फीसदी से अधिक तक बढ़ गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 1,511 मरीज स्वस्थ हुए हैं। यह एक दिन में ठीक होने वाले मरीजों की अब तक की सबसे अधिक संख्या है। राष्ट्रीय राजधानी के मंडोली क्षेत्र में कोविड-19 के चिकित्सा केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे हर्षवर्धन ने संवाददाताओं से कहा कि देशभर में शनिवार को 86,000 नमूनों की जांच की गई और अब भारत की क्षमता प्रतिदिन 95,000 नमूने जांचने की है। उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 के नमूने जांच करने के लिए एक प्रयोगशाला से शुरुआत की थी, जो अब बढ़कर 472 तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि अब देशभर में 4,362 कोरोना चिकित्सा केंद्र कार्यरत हैं, जहां मामूली संक्रमण के लक्षण वाले 3,46,856 मरीजों को रखा जा सकता है। हर्षवर्धन ने कहा, 'हम कोरोना वायरस से युद्ध में कामयाबी की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पिछले तीन दिन से मामले दोगुना होने की दर 12 दिन हो चुकी है। मरीजों के स्वस्थ होने की दर 30 फीसदी से अधिक है। कोविड-19 के करीब 60,000 मरीज में से लगभग 20,000 ठीक होकर घर जा चुके हैं।' उन्होंने ने यह भी बताया कि महामारी से निपटने में दिल्ली और नौ राज्य की सरकारों की सहायता के लिए केंद्रीय दलों को भेजा जा रहा है। इनमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। हर्षवर्धन ने कहा, 'केंद्र सरकार ने अब तक राज्य सरकारों को 72 लाख एन-95 मास्क और 36 लाख व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) का वितरण किया है।' केंद्रीय मंत्री ने महामारी से निपटने में संघर्ष कर रहे 'कोरोना योद्धाओं' की भी सराहना की। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, रविवार तक देश में संक्रमितों की संख्या 62,939 रही जबकि मृतकों की संख्या 2,109 तक पहुंच गई।

जल्द समाप्त होगा लॉकडाउन

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को प्रवासी श्रमिकों से घर नहीं लौटने का अनुरोध करते हुए कहा कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद हालात बदलेंगे और उन्हें काम मिलने लगेगा। उन्होंने दिल्ली में रह रहे प्रवासी श्रमिकों से अनुरोध किया कि वे जहां हैं वहीं रहें, उनकी सरकार घर वापसी के लिए ट्रेनों का इंतजाम कर रही है। केजरीवाल ने कहा, ‘‘यह लॉकडाउन जल्दी खत्म होने वाला है और सबकुछ वापस पटरी पर आ जाएगा। आपको फिर से काम मिल जाएगा क्योंकि सबकुछ चालू हो जाएगा। कृपया दिल्ली छोड़कर ना जाएं।’’ उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार केन्द्र से बात करके घर लौटने के इच्छुक प्रवासी श्रमिकों के लिए ट्रेन का इंतजाम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं सभी से दिल्ली में रुकने की अपील करता हूं। हम आपको, आपके घरों तक पहुंचाने का इंतजाम कर रहे हैं। फिलहाल आपका खुद से दिल्ली छोड़कर जाना आपके और आपके परिवार के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।’’ इस बीच, पंजाब के करीब 150 प्रवासी श्रमिक जो नेहरु विहार स्थित सरकारी केन्द्र में रह रहे थे, उन्होंने आज सुबह अपने प्रदेश के लिए यात्रा शुरू की। मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया है, ‘‘नेहरु विहार के सर्वोदय विद्यालय में बनाए गए दिल्ली सरकार के अस्थाई शिविर में रह रहे पंजाब के प्रवासी श्रमिक आज सुबह अपने घर रवाना हुए। हमारी मेडिकल टीम ने उनकी जांच की, उन्हें भोजन, मास्क और सैनिटाइजर भी दिया गया। ईश्वर उनकी यात्रा सफल बनाए।’’ केजरीवाल ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को बिना भोजन-पानी के सड़कों पर चलता देखना दुखदायी है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रवासी मजदूर अभी भी सड़कों पर हैं, वे घर जाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कई-कई दिन से खाना नहीं खाया है और कोई अपने-आप उनकी मदद नहीं कर रहा है। वो अपने बच्चों को कंधे पर उठाए हुए हैं। मैंने एक व्यक्ति को अपनी बूढ़ी मां को भी गोद में लिए हुए देखा।''

होम डिलिवरी की मंजूरी मांगी

शराब विनिर्माताओं के साथ अब रेस्तराओं, बार तथा खान-पान संबंधी ऑनलाइन सुविधा देने वाली कंपनियों ने भी सरकार से शराब की होम डिलिवरी करने की छूट मांगी है। इन कंपनियों का कहना है कि इससे कारोना वायरस के संक्रमण के खतरे वाले इस दौर में लोगों के बीच परस्पर सुरक्षित दूरी सुनिश्चित होगी बल्कि यह पाबंदी में तबाह हो चुके उनके कामकाज को भी उबारने में मददगार साबित होगा। ताजी बीयर बनाने वाली कंपनियों के संगठन ऑल इंडिया ब्रेवर्स एसोसियेशन (एआईबीए) ने इसके लिये फ्लिपकार्ट, अमेजन और ग्रोफर्स जैसी ई-वाणिज्य कंपनियों तथा जोमैटो व स्विगी जैसी खाद्य पदार्थ डिलिवरी कंपनियों को विशेष लाइसेंस देने का सुझाव दिया है। संगठन ने कहा कि ये कंपनियां ऑनलाइन ऑर्डर ले सकती हैं और लाइसेंस प्राप्त खुदरा तथा थोक शराब विक्रेताओं के जरिये मांग को पूरा कर सकती हैं। संगठन ने शराब के लिये राज्य के आबकारी विभागों के तहत ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिये पोर्टल बनाने का भी सुझाव दिया। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते रेस्तरांओं और होटलों के पास करीब 3,000 करोड़ रुपये की शराब का स्टॉक जमा हो गया है। ये राज्य सरकारों से मांग कर रहे हैं कि उन्हें स्टॉक खाली करने के लिये होम डिलिवरी की सुविधा दी जाये। भारतीय राष्ट्रीय रेस्तरां संघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष अनुराग कटरियार ने कहा, ‘‘इस समय हम काफी संकट से जूझ रहे हैं। एक तरफ हमारे पास महंगी शराब का स्टॉक जमा हो गया है, वहीं दूसरी तरह हमारे सामने नकदी का संकट है।’’ हालांकि, अब उद्योग को रोशनी की कुछ किरण दिख रही है, क्योंकि कई राज्यों ने शराब बिक्री की अनुमति दे दी है। कटरियार ने कहा, ‘‘हम सभी राज्य सरकारों से आग्रह करते हैं कि हमें शराब के स्टॉक की बिक्री की अनुमति दी जाए। ‘होम डिलिवरी’ मॉडल से हम यह शराब बेच सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि इससे हमें अपना स्टॉक निकालने में मदद मिलेगी। हम कुछ पैसे जुटा पाएंगे जिससे लोगों की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। साथ ही इस मॉडल के जरिये हम लोगों के बीच परस्पर दूरी के दिशानिर्देशों का भी अनुपालन कर सकेंगे। कटरियार ने कहा कि हमें पता है कि इसके लिए कुछ कानूनों में बदलाव की जरूरत होगी। लेकिन मुझे विश्वास है कि मौजूदा असाधारण स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया जाएगा। खान-पान संबंधी ऑनलाइन सुविधा देने वाली कई कंपनियां सरकार से मंजूरी मिलने पर शराब की होम डिलिवरी करने के लिये तैयार हैं। सूत्रों की मानें तो शराब की ऑनलाइन बिक्री व होम डिलिवरी के लिये स्विगी जैसी कंपनियों के साथ प्राधिकरणों की बातचीत चल रही है। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज के महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा, ‘‘सरकार को अलग से प्रशासित ऑनलाइन माध्यम के जरिये शराब की होम डिलिवरी को संस्थागत स्वरूप देने पर गौर करना चाहिये। हम इसमें हरसंभव सहयोग व मदद प्रदान करेंगे। इसी तरह बीयर कैफे के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) राहुल सिंह ने कहा कि भारत में शराब तीन तरीकों..खुदरा, होरेका (होटल, रेस्तरां और कैटरिंग) तथा कैंटीन स्टोरों के जरिये बेची जाती हे। देशभर में होरेका लाइसेंस वाले स्थानों की संख्या 30,000 के करीब है। सिंह ने कहा, ‘‘किसी भी समय कम से कम एक महीने का स्टॉक रहता है। इसका मतलब है कि लॉकडाउन की वजह से देशभर में विभिन्न आउटलेट्स पर कम से कम 3,000 करोड़ रुपये का स्टॉक पड़ा है।'' उन्होंने कहा कि शराब की खुदरा बिक्री शुरू हो गई है। अब हमारे उद्योग को भी इसकी अनुमति दी जानी चाहिए। सिंह ने कहा, ‘‘हम राज्य सरकारों से आग्रह कर रहे हैं कि हमें अस्थायी रूप से अपना स्टॉक बेचने की अनुमति दी जाए।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देशों ने ऐसा किया है। यहां भी ऐसा किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने आठ मई के एक आदेश में लॉकडाउन के दौरान शराब की होम डिलिवरी व ऑनलाइन बिक्री पर राज्यों को विचार करने को कहा है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इससे कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगायी जा सकती है।

इसे भी पढ़ें: न्यायपालिका के दबाव में होने का दुष्प्रचार करने वाले जरा गिरेबाँ में झाँक कर देखें

अब तक 366 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन

भारतीय रेल ने कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिये लागू लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे करीब चार लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य पहुंचाया और इसके लिये एक मई से 366 “श्रमिक स्पेशल” ट्रेनों का संचालन किया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 287 ट्रेन अपने गंतव्य तक पहुंच चुकी हैं जबकि 79 ट्रेन अभी रास्ते में हैं। अधिकारियों ने कहा कि इन 287 ट्रेनों में से 127 ट्रेन उत्तर प्रदेश के लिये थीं, 87 बिहार, 24 मध्य प्रदेश, 20 ओडिशा, 16 झारखंड, चार राजस्थान, तीन महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के लिये दो-दो और आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के लिये एक-एक ट्रेन थीं। इन ट्रेनों से तिरुचिरापल्ली, तीतलागढ़, बरौनी, खंडवा, जगन्नाथपुर, खुर्दा रोड, छपरा, बलिया, गया, पूर्णिया, वाराणसी समेत कई शहरों के प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचाया गया। प्रत्येक श्रमिक ट्रेन में 24 कोच हैं जिनमें से प्रत्येक कोच में 72 सीट हैं। सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने के लिये हालांकि प्रत्येक कोच में सिर्फ 54 यात्रियों को ही सफर करने दिया जा रहा है और बीच वाली बर्थ किसी को नहीं दी जा रही। रेलवे ने विशेष ट्रेनों पर आने वाली लागत की घोषणा अभी नहीं की है लेकिन अधिकारियों ने संकेत दिये कि रेलवे ने ऐसी प्रत्येक सेवा पर करीब 80 लाख रुपये खर्च किये। सरकार ने पूर्व में कहा था कि इन सेवाओं पर आने वाली लागत राज्यों के साथ 85:15 के अनुपात में साझा की जाएगी। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की सेवाएं जबसे शुरू हुई हैं सबसे ज्यादा ट्रेन गुजरात से रवाना हुई हैं जिसके बाद केरल का नंबर है। सबसे ज्यादा ट्रेनें बिहार और उत्तर प्रदेश पहुंची हैं। इससे पहले किराया वसूलने को लेकर रेलवे विपक्षी दलों के निशाने पर आ गया था। रेलवे ने अपने दिशानिर्देश में कहा है कि ट्रेनों का संचालन तभी होगा जब उनमें 90 प्रतिशत सीटें भरी होंगी और “राज्यों को टिकट का शुल्क वसूलना होगा।''

कपड़ा उद्योग नये माहौल में खुद को ढाले

केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने रविवार को कपड़ा उद्योग से नये माहौल में खुद को ढालने और सरकार से वित्तीय पैकेज मांगना बंद करने को कहा। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण सरकार के वित्त पर पहले से अच्छा-खासा दबाव है। उन्होंने मर्चेन्ट्स चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्यों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘उद्योग के लिये यह समय आत्ममंथन का है। कपड़ा उद्योग पैकेज या समर्थन की मांग कर रहा है...अब समय नई दिशा और नई सोच का है। उद्योग के पास क्षमता है। अगर वे नये माहौल में खुद को ढालते हैं, उन्हें किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।’’ ईरानी ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के लिये पिछले डेढ़ महीने में पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) बनाये जाने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि कपड़ा कंपनी जेसीटी समूह ने ‘लॉकडाउन’ (बंद) के दौरान पंजाब में पीपीई के नमूनों की जांच के लिये औरंगाबाद स्थित प्रयोगशालाओं में भेजने में मदद का आग्रह किया और इसके लिये सरकार ने कंपनी की मदद की। कपड़ा मंत्री ने उद्योग मंडल के सदस्यों से कहा कि जो आप पैसे की उम्मीद करते हैं, वह लोगों का पैसा है और अब नागरिक एक-एक पाई का हिसाब मांगते हैं। ईरानी ने कहा, ‘‘सरकार का काम नीति बनाना और समर्थन उपलब्ध कराना है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार अपनी ओर से मदद के लिये हर संभव उपाय कर रही है। रिजर्व बैंक पहले ही छूट दे चुका है और बैंक कंपनियों को संकट से पार पाने में मदद कर रहे हैं। ईरानी ने कहा कि कपड़ा मंत्रालय जूट उद्योग की मदद के लिये कार्य योजना तैयार करने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय जूट बोर्ड जूट की गुणवत्ता में सुधार के लिये उपायों पर गौर कर रहा है। उद्योग को अपने लाभ का एक हिस्सा जूट की गुणवत्ता में सुधार को लेकर आधुनिकीरण में लगाने की जरूरत है।’’

7740 विशेष स्वास्थ्य केंद्र

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि देश के 483 जिलों में कोविड-19 के मरीजों के लिए 7,740 विशेष केंद्रों की पहचान की गई है। मंत्रालय के मुताबिक महामारी से निपटने के लिये पर्याप्त स्वास्थ्य आधारभूत ढांचा उपलब्ध है। कोविड-19 प्रबंधन के लिये समर्पित जन स्वास्थ्य केंद्रों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है- समर्पित कोविड अस्पताल (डीसीएच), समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र (डीसीएचसी) और समर्पित कोविड देखभाल केंद्र (डीसीसीसी)। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रविवार तक सभी राज्यों-केंद्र शासित क्षेत्रों के 483 जिलों में 7740 केंद्रों की पहचान की गई है जिनमें राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के अस्पताल और देखभाल केंद्रों के साथ ही केंद्र सरकार से संबद्ध अस्पताल भी शामिल हैं। इसमें कहा गया कि कुल 6,56,769 पृथक बिस्तर हैं जिनमें से 3,05,567 संक्रमण के पुष्ट मामलों के लिये जबकि 3,51,204 संक्रमण के संदिग्ध मामलों के लिये हैं। ऑक्सीजन की सुविधा से युक्त 99, 492 बिस्तर हैं जबकि 1,696 में पाइपलाइन से ऑक्सीजन देने की सुविधा है, इसके अलावा 34,076 आईसीयू बिस्तर हैं। केंद्र सरकार की तरफ से सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से अनुरोध किया गया है कि लोगों की जानकारी के लिये अपनी वेबसाइटों पर तीनों तरह के कोविड-19 समर्पित केंद्रों की जानकारी अपलोड करें और 32 राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों ने ऐसा कर भी दिया है जबकि अन्य इस प्रक्रिया में लगे हुए हैं। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) में कोविड-19 की जांच क्षमता को और बढ़ाए जाने की जरूरत के मद्देनजर शक्ति प्राप्त समूह द्वारा उच्च क्षमता वाली मशीन की खरीद की अनुशंसा को मंजूरी दी गई थी। बयान में कहा गया कि ‘द कोबास 6800’ जांच मशीन को यहां एनसीडीसी में सफलता पूर्वक लगा दिया गया है। एनसीडीसी दिल्ली, एनसीआर, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और कई दूसरे राज्यों की जरूरत के मुताबिक नमूनों की जांच में मदद कर रहा है। एनसीडीसी अभी प्रतिदिन 300-350 नमूनों की जांच करने की क्षमता रखता है लेकिन कोबास 6800 के आने के साथ ही उसकी क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से इजाफा होगा। कोबास 6800 मशीन से 24 घंटे में 1200 नमूनों की जांच हो सकती है। अब तक कुल 19357 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं जिनमें से बीते 24 घंटे में ही 1511 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिली है। इससे लोगों के ठीक होने की दर 30.76 प्रतिशत हो गई है। मंत्रालय के मुताबिक, देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या रविवार को 2,109 हो गई और संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 62,939 पर पहुंच गए हैं। पिछले 24 घंटे में 128 लोगों की मौत हुई और 3,277 मामले सामने आए हैं।

सड़क किनारे दिया बच्ची को जन्म

कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के कारण परेशान होकर महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश के सतना जिले स्थित अपने गांव के लिए पैदल जा रही 30 वर्षीय एक प्रवासी महिला मजदूर ने रास्ते में सड़क किनारे एक बच्ची को जन्म दिया है। बड़वानी जिले स्थित सेंधवा ग्रामीण पुलिस थाना प्रभारी वी एस परिहार ने रविवार को बताया कि इस महिला की पहचान शकुंतला के रूप में की गई है। इस महिला की यह पांचवीं संतान है और जच्चा—बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के नासिक के पास के गांव में मध्यप्रदेश के सतना से गए मजदूर लौट रहे थे, जिसमें 30 वर्षीय गर्भवती महिला शकुंतला भी अपने पति एवं चार बच्चों के साथ सतना के समीप ग्राम उचेरा के लिए निकली थी। परिहार ने बताया, 'सफर के दौरान नासिक और धूलिया के बीच महाराष्ट्र स्थित ग्राम पिपरी में शकुंतला को प्रसव पीड़ा होने लगी, जिसके बाद साथ में ही चल रही अन्य महिलाओं ने सड़क किनारे ही साड़ियों की आड़ कर शकुंतला को प्रसव कराया और उसने एक बच्ची को जन्म दिया। यह घटना चार दिन पहले की है।' उन्होंने कहा कि लेकिन सफर काफी लंबा और कठिनाइयों से भरा था, जिसके चलते प्रसव के मात्र एक घंटे बाद ही महिला अपने पति राकेश और पांच बच्चों के साथ एक बार फिर से सफर पर निकल पड़ी और महाराष्ट्र की सीमा पार कर करीब 210 किलोमीटर की दूरी पैदल ही चल कर शनिवार को मध्य प्रदेश में आ गये। परिहार ने बताया कि जब महाराष्ट्र की सीमा पार कर मध्य प्रदेश स्थित बिजासन चौकी पर अन्य प्रवासी मजदूरों की मेडिकल जांच की जा रही थी, तो इसी दरमियान पुलिस की नजर इस महिला पर पड़ी और उसने पूछताछ करने पर सारी घटनाक्रम का खुलासा किया। उन्होंने कहा, 'इसके बाद हमने शकुंतला, उसके पति एवं नवजात शिशु सहित पांचों बच्चों को एकलव्य छात्रावास में पहुंचाया, जहां उनके रुकने और खाने की व्यवस्था के साथ ही उन्हें उनके गांव छोड़ने के लिए बस की व्यवस्था भी कराई है।' 

इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन लगाते रहना समस्या का हल नहीं, बंदिशों के साथ आगे बढ़ना होगा

ई-कॉमर्स कारोबार पहले के स्तर पर वापस आ रहा है

ई-कॉमर्स उद्योग से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि लॉकडाउन के चलते मई के पहले सप्ताह में ई-कॉमर्स मंचों पर गैर-मूलभूत वस्तुओं की बिक्री पिछले साल की तुलना में कम रही है, लेकिन ऑर्डर तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान लोग अन्य वस्तुओं के साथ ही कपड़े, स्मार्टफोन और साजसज्जा के सामान खरीद रहे हैं। ई-कॉमर्स कंपनियों को 25 मार्च से 40 दिन तक देशव्यापी लॉकडाउन के बाद चार मई से हरे रंग और नारंगी रंग वाले क्षेत्रों में सभी सामान बेचने की अनुमति दी थी। लॉकडाउन के पहले दो चरणों में फ्लिपकार्ट, अमेजन और स्नैपडील जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल मूलभूत वस्तुओं जैसे किराने का सामना, दवाओं और स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों को बेचने की अनुमति दी गई थी। कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या के आधार पर विभिन्न जिलों को लाल, नारंगी और हरे रंग के क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। हालांकि, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद जैसे देश के प्रमुख ई-कॉमर्स केंद्र लाल क्षेत्र में शामिल हैं, जहां ई-कॉमर्स कंपनियां सिर्फ मूलभूत वस्तुओं की आपूर्ति कर सकती हैं। उद्योग के एक अधिकारी ने बताया कि इस दौरान लोग चार्जर, एक्सटेंशन क्वॉर्ड्स, नोटबुक और पेन जैसी वस्तुओं को खरीदने के लिए ऑर्डर कर रहे हैं। साथ ही ट्रिमर, शतरंज और कैरम जैसे उत्पादों की भी मांग है। उन्होंने कहा कि चूंकि गैर-मूलभूत सामानों की आपूर्ति अभी पूरे देश में नहीं की जा रही है, इसलिए पिछले साल की तुलना में बिक्री कम है, हालांकि लॉकडाउन से पूर्व मार्च महीने के आंकड़ों के मुकाबले अच्छी-खासी बढ़ोतरी है। स्नैपडील के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारे ऑर्डर की संख्या तेजी से बढ़ रही है और परिचालन के पांच दिनों के भीतर ऑर्डर की संख्या लॉकडाउन से पहले की संख्या के मुकाबले 50 फीसदी अधिक है।’’ उन्होंने बताया कि ई-कॉमर्स मंचों पर आने वाले लोगों और खरीदारों का अनुपात भी लॉकडाउन के पहले के स्तर के मुकाबले दोगुना है। इस दौरान बर्तन, मिक्सर और ग्राइंडर तथा मच्छरदानी जैसे उत्पादों की खोज और बिक्री सबसे अधिक रही। प्रवक्ता ने कहा कि पानीपत, अंबाला, पंचकुला, अमृतसर, उदयपुर, वलसाड, जामनगर, गोवा, कोयम्बटूर, विशाखापत्तनम, पुडुचेरी, तिरुवनंतपुरम, कोझीकोड, तूतीकोरिन, कटक और गुवाहाटी में काफी अधिक मांग देखने को मिली है। अमेजन इंडिया के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनके प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं को स्मार्ट डिवाइस, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसोई के उपकरण, कपड़े, खिलौने और अन्य घरेलू वस्तुओं के आर्डर मिले हैं। पेटीएम मॉल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीनिवास मोथे ने कहा कि कंपनी के ई-कॉमर्स मंच पर मोबाइल, मास्क, ट्रिमर, लैपटॉप के साथ-साथ अन्य उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों की बिक्री में वृद्धि हुई है।

इसे भी पढ़ें: क्यों देरी से बनते हैं टीके और इसके विकास की प्रक्रिया क्या है?

बंगाल में कोविड-19 से 14 और लोगों की मौत

पश्चिम बंगाल में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 से 14 और लोगों की मौत होने के साथ ही रविवार को वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 113 हो गई है। राज्य सरकार की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 153 नए मामले आए हैं, जो अभी तक एक दिन में आए सबसे ज्यादा मामले हैं। बुलेटिन के अनुसार, आज हुई 14 मौतों में से 10 अकेले कोलकाता में हुई हैं। पश्चिम बंगाल में अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,939 मामलों की पुष्टि हुई है जिनमें से 1,337 का फिलहाल इलाज चल रहा है।

मालदीव में फंसे 700 भारतीयों को लेकर लौटा पहला जहाज

कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण अलग-अलग देशों में फंसे भारतीयों को निकालने की केंद्र सरकार की पहल के तहत मालदीव से करीब 700 भारतीयों को लेकर नौसेना का पहला पोत रविवार को कोचीन बंदरगाह पहुंचा, जबकि एक अन्य पोत अन्य यात्रियों की वापसी के लिये माले पहुंच चुका है। वंदे भारत मिशन के चौथे दिन एअर इंडिया ने भी फंसे हुए भारतीयों की वतन वापसी के लिये करीब एक दर्जन उड़ानों का संचालन किया। पोर्ट ट्रस्ट ने एक बयान में कहा, ‘‘मालदीव से लाए गए 698 लोगों का पहला समूह आज (रविवार) सुबह साढ़े नौ बजे भारतीय नौसेना के पोत ‘आईएनएस जलाश्व’ से कोचीन बंदरगाह पहुंचा।’’ इस समूह में 595 पुरुष और 103 महिलाएं हैं। इनमें से 10 साल से कम आयु के 14 बच्चे और 19 गर्भवती महिलाएं हैं। पोत से आए यात्रियों में से 440 केरल से हैं जबकि 187 तमिलनाडु तथा चार दिल्ली के रहने वाले हैं। अन्य यात्री 17 अन्य राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से हैं। इसी के साथ ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु’ के नाम से शुरू किये गए अभियान के तहत मालदीव में फंसे लगभग 200 भारतीयों को वापस लाने के लिये एक अन्य नौसैनिक पोत ‘आईएनएस मगर’ भी रविवार को माले पहुंच गया। पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 के लक्षणों वाले यात्रियों को आईएनएस जलाश्व से पहले उतारा गया और इसके बाद छोटे-छोटे समूहों में अन्य लोगों को जिले-वार उतारा गया। उन्होंने कहा कि यात्रियों के सामानों को भी सैनिटाइज किया गया। अधिकारियों ने कहा कि टर्मिलन के अंदर ही सीमाशुल्क एवं आव्रजन प्रक्रियाएं पूरी की गयीं जहां बीएसएनएल द्वारा सिमकार्ड वितरित करने और यात्रियों के फोन में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल करने का इंतजाम किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने यात्रियों की अस्पताल, पृथक-वास केंद्र या घर पर पृथक-वास के लिये आगे की यात्रा का प्रबंध किया था और इसके लिये एंबुलेंस, राज्य परिवहन की बसें और टैक्सियों को लगाया गया था। वहीं लंदन और सिंगापुर से एअर इंडिया की दो उड़ानों के जरिये 572 भारतीय रविवार सुबह मुंबई पहुंचे। ब्रिटेन में फंसे 329 भारतीय नागरिक एअर इंडिया के विमान से मुंबई पहुंचे। महाराष्ट्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि इन यात्रियों में से जो लोग मुंबई के हैं, उन्हें हवाईअड्डे के पास स्थित होटलों में अनिवार्य रूप से पृथक-वास में रखा गया है जबकि अन्य शहरों के यात्रियों को उनके स्थानों पर ले जाया गया और उन्हें भी पृथक-वास के उद्देश्य से अधिग्रहीत किये गए होटलों में रखा जाएगा। वहीं अमेरिका में फंसे भारतीयों की वापसी की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। पहली उड़ान सैन फ्रांसिस्को से मुंबई और हैदराबाद के लिए शनिवार को रवाना हुई। यह उड़ान सोमवार सुबह अपने गंतव्य पर पहुंचेंगी। एअर इंडिया की नौ मई से भारतीय नागरिकों की वतन वापसी के लिए अमेरिका से भारत के लिए सात उड़ानें संचालित करने की योजना है। एअर इंडिया की उड़ान न्यूजर्सी में नेवार्क लिबर्टी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भारतीय नागरिकों को लेकर मुंबई और अहमदाबाद के लिए रविवार को रवाना होगी। नेवार्क से 14 मई को दिल्ली और हैदराबाद के लिए एक अन्य उड़ान रवाना होगी। विमान में सवार होने से पहले सभी यात्रियों की चिकित्सा जांच होगी और उन्हीं लोगों को यात्रा की इजाजत होगी जिनमें लक्षण नजर नहीं आएंगे। भारत पहुंचने पर सभी यात्रियों की चिकित्सा जांच की जाएगी और उन्हें आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करना होगा तथा उस पर पंजीकरण कराना होगा। सभी यात्रियों को भारत पहुंचने पर अनिवार्य रूप से 14 दिन तक पृथक केंद्रों में भारत सरकार द्वारा तय मानकों के मुताबिक भुगतान कर रहना होगा। न्यूयॉर्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक वतन वापसी की कवायद और समन्वय एक “लगातार चलने वाला अथक कार्य” है और अधिकारी “यह सुनिश्चित करने के लिये हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि कोई भी सीट खाली न जाए क्योंकि” विभिन्न कारणों से बड़ी संख्या में भारतीय विदेशों में फंसे हैं और वे घर वापसी के लिये “बेताब” हैं। प्राथमिकता फंसे हुए यात्रियों, गंभीर रूप से बीमार मरीजों, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों और छात्रों को दी जा रही है। न्यूजर्सी से दो उड़ानों के अलावा शिकागों से भी दो उड़ान 11 और 15 मई को रवाना होगीं। वाशिंगटन डीसी से एक मात्र उड़ान 12 मई को दिल्ली और हैदराबाद के लिये रवाना होगी। विदेश में फंसे भारतीयों की वापसी के पहले चरण की शुरुआत सात मई को हुई थी और यह 15 मई को खत्म होगा। इसके तहत कुल 64 उड़ानों का संचालन होगा जो 12 देशों से करीब 15 हजार भारतीयों को लेकर लौटेंगी। ये उड़ाने भारत में 15 हवाई अड्डों पर उतरेंगी। एअर इंडिया की उड़ान भारतीयों को लाने के साथ ही संबंधित देशों के फंसे हुए विदेशियों को भी यहां से लेकर जा रही हैं। दूसरे चरण में 15 मई से मध्य एशिया और यूरोप के देशों जैसे कजाख्स्तान, उज्बेकिस्तान, रूस, जर्मनी, स्पेन और थाईलैंड से फंसे हुए भारतीयों को लाया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार तक भारत वापसी के लिये विदेशों में फंसे 67,833 लोग पंजीकरण करा चुके थे इनमें 22,470 छात्र,15,815 प्रवासी कामगार, वीजा खत्म होने का सामना कर रहे 9,250 और चिकित्सा आपातकाल के आधार पर वतन वापसी चाहने वाले 5,531 लोग शामिल हैं।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़