शरीर गोलियों से छलनी हो चुका था लेकिन जंग में अपने साथियों को जीवनदान दे गया ये सिपाही
तोलोलिंग चोटी पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी का मेजर अजय जसरोटिया ने मुंहतोड़ जवाब दिया। उधर से गोलियां चलती रही और भारतीय सैनिक आगे बढ़ते रहे।
कारगिल की जंग चल रही थी। 17 हजार फुट ऊंची तोलोलिंग चोटी पर कब्जा करके पाकिस्तानी घुसपैठिए लगातार भारतीय सैनिकों पर फायरिंग कर रहे थे। पाकिस्तानी सैनिकों को लगा कि ऊंचाई से गोलीबारी करके वह भारत पर विजय प्राप्त कर लेंगे लेकिन उनके नापाक इरादों को भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। तोलोलिंग चोटी से पाकिस्तानियों को खदेड़ने की जिम्मेदारी मेजर अजय जसरोटिया और उनकी पलटन को दी गई थी।
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तोलोलिंग चोटी पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी का मेजर अजय जसरोटिया ने मुंहतोड़ जवाब दिया। उधर से गोलियां चलती रही और भारतीय सैनिक आगे बढ़ते रहे। इसी दौरान अजय जसरोटिया खुद गंभीर रूप से घायल हो गये थे लेकिन घुसपैठियों को मैदान से पीछे खदेड़ रहे थे ऐसे में उनका पूरा शरीर गोलियों से भर चुका था तब भी उन्होंने अपने छह घायल साथियों को बमबारी के बीच से सुरक्षित निकाल कर खुद को मातृभूमि की बलिवेदी को समर्पित कर दिया।
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मेजर अजय कुमार जसरोटिया का जन्म 31 मार्च 1972 को जम्मू कश्मीर में हुआ था। अजय अर्जुन सिंह जसरोटिया और बीना जसरोटिया के पुत्र थे। मेजर अजय ने अपनी पढ़ाई अपने गृहनगर में की और बाद में जम्मू में कॉमर्स कॉलेज से स्नातक किया। वह एक सैन्य परिवार से थे, जिसमें उनके दादा लेफ्टिनेंट कर्नल खजूर सिंह ने सेना में सेवा की और बीएसएफ में डीआईजी के रूप में अपनी सेवाएं दीं। अजय बचपन से ही सशस्त्र बलों में शामिल होने के इच्छुक थे और स्नातक के बाद अपने सपने का पालन किया। उन्होंने संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा दी जिसके माध्यम से उनका चयन किया और 23 वर्ष की आयु में 1996 में सेना में भर्ती हुए।
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