भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए सरकार को करना होगा यह काम
शुभम यादव । Apr 17 2020 5:08PM
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के मुताबिक भारत और चीन अपने विकास दर को बनाए रखने में कामयाब रहेंगे। भारत की विकास दर पटरी पर बने रहेगी इसका कारण कोरोनावायरस से बचने के लिए लिए गए त्वरित फैसले का परिणाम होगा। चालू वित्तीय वर्ष में चीन की विकास दर 1 से 2 फ़ीसदी के बीच रहेगी।
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से जुड़े सारे आंकड़े पेश किए। लेकिन इसमें भारत की जीडीपी ग्रोथ के बारे में किसी प्रकार की चर्चा नहीं की गई। कोरोना महामारी के चंगुल में फंसकर भारत की अर्थव्यवस्था डूब सकती है, इसका आकलन राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने किया है।
पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत की 0 से 2 फ़ीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने के लिए भारत सरकार को सभी राज्यों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के मुताबिक भारत और चीन अपने विकास दर को बनाए रखने में कामयाब रहेंगे। भारत की विकास दर पटरी पर बने रहेगी इसका कारण कोरोनावायरस से बचने के लिए लिए गए त्वरित फैसले का परिणाम होगा। चालू वित्तीय वर्ष में चीन की विकास दर 1 से 2 फ़ीसदी के बीच रहेगी। आने वाले वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर सबसे तेजी से ग्रोथ करते हुए 7.5 फीसद तक पहुंच सकती है।
वर्तमान के हालातों की बात करें तो वित्त मंत्रालय के पूर्व सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के मुताबिक अगर भारत सरकार 10 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च करेगी साथ ही राज्यों के साथ मिलकर समन्वय स्थापित करते हुए संपूर्ण सरकारी खर्चों को सीमित करेगी तो अर्थव्यवस्था को बराबर बनाए रखने में कामयाबी मिलेगी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में आने वाली मंदी 1930 के बाद सबसे बड़ी भयावह स्थिति होगी। लेकिन भारत के लिए यह ऐसा मौका होगा, जब अपने सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाते हुए भारत की जीडीपी तेजी से ग्रोथ करती हुई आगे बढ़ सकती है।
भारत में अर्थव्यवस्था को लेकर आने वाला संकट अन्य देशों के मुकाबले काफी कम रहेगा। जिससे भारत सरकार आसानी से निपट सकता है। आने वाले समय में कुछ ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे भारत का जीडीपी प्रतिशत बढ़ाने के लिए धन जुटाने को लेकर उपाय करने होंगे। रिजर्व बैंक से लोन लेकर छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के प्रयास करने होंगे। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मदद देते हुए राहत पहुंचाने का प्रयास करना होगा।
IMF क्यों कर रहा है भारत के हित में बात?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपने आंकलन के अनुसार जो बातें कही हैं, उसमें इस कोरोना संकट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास करने की बात कही है, आखिर उसका क्या कारण हो सकता है? इस पर विचार करने पर पता चलता है कि कोरोनावायरस ने भारत को अभी तक इतना प्रभावित नहीं किया है, जितना वैश्विक स्तर पर अन्य देशों को प्रभावित करते हुए उनकी अर्थव्यवस्था की गति को डामाडोल किया है। जैसे ही कोरोनावायरस ने दुनिया को अपनी चपेट में लेना चालू किया तत्काल ही भारत सरकार ने अपने त्वरित फैसलों से देश को लाॅकडाउन कर दिया, जिससे भारत वित्तीय संकट की उस स्थिति तक पहुंचने से बच गया, जहां अर्थव्यवस्था को डूबने का खौफ पैदा हो सकता था।
पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत की 0 से 2 फ़ीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने के लिए भारत सरकार को सभी राज्यों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के मुताबिक भारत और चीन अपने विकास दर को बनाए रखने में कामयाब रहेंगे। भारत की विकास दर पटरी पर बने रहेगी इसका कारण कोरोनावायरस से बचने के लिए लिए गए त्वरित फैसले का परिणाम होगा। चालू वित्तीय वर्ष में चीन की विकास दर 1 से 2 फ़ीसदी के बीच रहेगी। आने वाले वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर सबसे तेजी से ग्रोथ करते हुए 7.5 फीसद तक पहुंच सकती है।
वर्तमान के हालातों की बात करें तो वित्त मंत्रालय के पूर्व सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के मुताबिक अगर भारत सरकार 10 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च करेगी साथ ही राज्यों के साथ मिलकर समन्वय स्थापित करते हुए संपूर्ण सरकारी खर्चों को सीमित करेगी तो अर्थव्यवस्था को बराबर बनाए रखने में कामयाबी मिलेगी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में आने वाली मंदी 1930 के बाद सबसे बड़ी भयावह स्थिति होगी। लेकिन भारत के लिए यह ऐसा मौका होगा, जब अपने सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाते हुए भारत की जीडीपी तेजी से ग्रोथ करती हुई आगे बढ़ सकती है।
भारत में अर्थव्यवस्था को लेकर आने वाला संकट अन्य देशों के मुकाबले काफी कम रहेगा। जिससे भारत सरकार आसानी से निपट सकता है। आने वाले समय में कुछ ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे भारत का जीडीपी प्रतिशत बढ़ाने के लिए धन जुटाने को लेकर उपाय करने होंगे। रिजर्व बैंक से लोन लेकर छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के प्रयास करने होंगे। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मदद देते हुए राहत पहुंचाने का प्रयास करना होगा।
IMF क्यों कर रहा है भारत के हित में बात?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपने आंकलन के अनुसार जो बातें कही हैं, उसमें इस कोरोना संकट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास करने की बात कही है, आखिर उसका क्या कारण हो सकता है? इस पर विचार करने पर पता चलता है कि कोरोनावायरस ने भारत को अभी तक इतना प्रभावित नहीं किया है, जितना वैश्विक स्तर पर अन्य देशों को प्रभावित करते हुए उनकी अर्थव्यवस्था की गति को डामाडोल किया है। जैसे ही कोरोनावायरस ने दुनिया को अपनी चपेट में लेना चालू किया तत्काल ही भारत सरकार ने अपने त्वरित फैसलों से देश को लाॅकडाउन कर दिया, जिससे भारत वित्तीय संकट की उस स्थिति तक पहुंचने से बच गया, जहां अर्थव्यवस्था को डूबने का खौफ पैदा हो सकता था।
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