रवि शास्त्री की इस की सलाह ने बदल दी थी सचिन तेंदुलकर की जिंदगी

ravi shastri

तेंदुलकर ने स्काईस्पोर्ट्स पर ‘नासिर मीट्स सचिन’ के दौरान नासिर हुसैन से कहा, ‘‘मुझे स्वीकार करना होगा कि मुझे पता नहीं था। मैंने पहला टेस्ट ऐसे खेला जैसे मैं स्कूल का मैच खेल रहा था। ’’वर्ष 1989 में पहले टेस्ट में तेंदुलकर पाकिस्तान केतेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने थे जिसमें इमरान खान,वसीम अकरमऔर वकार यूनिस जैसे दिग्गज शामिल थे।

लंदन। मास्टर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्हें अपने टेस्ट पदार्पण के समय इतनी समझ नहीं थी और उन्हें लगा था कि उनके लिये सबकुछ खत्म हो गया। जब वह 24 साल बाद अंतिम बार मैदान पर उतरे तो उन्होंने महान बल्लेबाज के तौर पर रिकार्ड 200 टेस्ट मैच खेल लिये थे। तेंदुलकर ने स्काईस्पोर्ट्स पर ‘नासिर मीट्स सचिन’ के दौरान नासिर हुसैन से कहा, ‘‘मुझे स्वीकार करना होगा कि मुझे पता नहीं था। मैंने पहला टेस्ट ऐसे खेला जैसे मैं स्कूल का मैच खेल रहा था। ’’ वर्ष 1989 में पहले टेस्ट में तेंदुलकर पाकिस्तान के तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने थे जिसमें इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे दिग्गज शामिल थे। इसके बारे में बात करते हुए तेंदुलकर ने कहा, ‘‘वसीम और वकार काफी तेज गेंद फेंक रहे थे और वे शार्ट गेंद भी डाल रहे थे, इसके अलावा जितनी भी खतरनाक तरह की चीजें कर सकते थे, कर रहे थे। मैंने कभी भी इस तरह की गेंदबाजी का अनुभव नहीं किया था, इसलिये पहला मुकाबला इतना अच्छा नहीं था। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘कभी कभार, मुझे उनकी तेजी और उछाल ने पछाड़ा भी और जब मैं 15 रन पर आउट हुआ तो ड्रेसिंग रूम में जाते हुए मुझे शर्म महसूस हो रही थी। ’’

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तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं ऐसे सोच रहा था, ‘तुमने क्या किया, तुमने ऐसा क्यों खेला’ और जब मैं ड्रेसिंग रूम में पहुंचा तो मैं सीधे बाथरूम में गया और मेरे आंसू निकलने ही वाले थे। ’’ कई बल्लेबाजी रिकार्ड बनाने वाले तेंदुलकर को लगा कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिये इतने अच्छे खिलाड़ी नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा कि मैं बिलकुल अच्छा नहीं था। मैंने खुद से सवाल किये और कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि यह पहला और अंतिम मुकाबला होगा। ’’ मुझे लगा कि मैं इस स्तर पर खेलने के लिये अच्छा नहीं हूं। मैं निराश और हताश था। ’’

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 तेंदुलकर ने कहा कि मौजूदा भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री से बात करके कुछ मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अब भी रवि शास्त्री से की गयी वो बात याद है। रवि ने कहा, ‘‘तुम ऐसा खेले जैसे यह स्कूल का मैच था। तुम सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों के खिलाफ खेल रहे हो, तुम्हें उनकी काबिलियत और कौशल का सम्मान करने की जरूरत है। ’’ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘तब मैंने रवि से कहा कि मुझे उनकी (पाकिस्तानी गेंदबाजों की) रफ्तार से परेशानी हो रही थी। इस पर रवि ने कहा, ‘‘ऐसा होता है, चिंता मत करो। तुम क्रीज पर जाकर आधा घंटा बिताओ, फिर तुम उनकी रफ्तार से तालमेल बिठा लोगे और सब सही हो जायेगा। ’’ फिर तेंदुलकर को दूसरे टेस्ट के लिये चुना गया और उन्होंने अर्धशतक लगाया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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