डेविड वॉर्नर ने कोहली और स्मिथ की बताई ये खास क्वालिटि

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ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज डेविड वार्नर ने कहा कि कोहली और स्मिथ का सफल होने का जज्बाअलग है।वार्नर ने हर्षा भोगले से ‘क्रिकबज इन कनवरसेशन’में बात करते हुए कहा,‘विराट का रन जुटाने का जुनून और जज्बा स्टीव की तुलना में अलग है।उन्होंने कहा कि कोहली विपक्षी टीमको कमजोर करने के लियेरन जुटाते हैं जबकि स्मिथअपनी बल्लेबाजी का लुत्फ उठाते हैं।

नयी दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज डेविड वार्नर मानते हैं कि विराट कोहली और स्टीव स्मिथ समान रूप से अपनी टीमों का मनोबल बढ़ाते हैं लेकिन दोनों का बल्लेबाजी का जज्बा और जुनून एक दूसरे से अलग है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय कप्तान कोहली और शीर्ष आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज स्मिथ मौजूदा युग के दो शीर्ष क्रिकेटर हैं। ये दोनों लगातार नयी उपलब्धियां हासिल करते रहे हैं जिससे इन दोनों में से बेहतर कौन पर बहस शुरू होती है। वार्नर ने हर्षा भोगले से ‘क्रिकबज इन कनवरसेशन’ में बात करते हुए कहा, ‘‘विराट का रन जुटाने का जुनून और जज्बा स्टीव की तुलना में अलग है। ’’ उन्होंने कहा कि कोहली विपक्षी टीम को कमजोर करने के लिये रन जुटाते हैं जबकि स्मिथ अपनी बल्लेबाजी का लुत्फ उठाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘स्टीव क्रीज पर गेंद को हिट करने के लिये जाता है, वह ऐसे ही चीजों को देखता है। वह क्रीज पर जमकर गेंदों को हिट करना चाहता है, वह आउट नहीं होना चाहता। वह इनका आनंद लेता है। ’’

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वार्नर को लगता है कि कोहली इस बात से वाकिफ है कि अगर वह क्रीज पर बना रहेगा तो उसकी टीम शीर्ष पर पहुंच जायेगी। उन्होंने कहा, ‘‘विराट निश्चित रूप से आउट नहीं होना चाहता लेकिन वह जानता है कि अगर वह कुछ समय क्रीज पर बितायेगा तो वह तेजी से काफी रन जुटा लेगा। वह आप पर हावी होने की कोशिश करेगा। इससे आने वाले खिलाड़ी को मदद मिलती है, भारतीय टीम के बहुत से खिलाड़ी हैं जो शानदार हो सकते हैं। ’’ आस्ट्रेलिया के इस सलामी बल्लेबाज ने साथ ही कहा कि दोनों खिलाड़ी मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं और अगर वे एक अच्छी पारी खेलते हैं तो इससे पूरी टीम का मनोबल बढ़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब क्रिकेट की बात आती है तो दोनों मानसिक रूप से काफी मजबूत हैं। दोनों क्रीज पर समय बिताकर रन जुटाना पसंद करते हैं। ’’ वार्नर ने कहा, ‘‘अगर वे रन जुटाते हैं तो उनका मनोबल बढ़ने के साथ पूरी टीम का भी मनोबल बढ़ता है। अगर वे सस्ते में आउट हो जाते हैं तो मैदान पर सभी को ऐसा महसूस होता है कि अब हम सभी को अच्छा करना होगा। यह बहुत ही विचित्र स्थिति होती है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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