अय्यर ने ली थी मनोचिकित्सक से मदद

Shreyas Iyer

नौ साल पहले की बात है और उस समय मनोचिकित्सा को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था। आमतौर पर ऐसे समय में अभिभावक बच्चों को डांटते थे लेकिन श्रेयस के पिता ने उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाने का फैसला किया।

भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर के पिता संतोष अय्यर ने कहा कि जब उनके बेटे के प्रदर्शन में गिरावट आयी तो उन्होंने मनोचिकित्सक से मदद ली जिससे इस क्रिकेटर को खेल में सुधार करने में मदद मिली। संतोष ने ‘क्रिकबज’ के कार्यक्रम ‘स्पाइसी पिच’ में बताया कि अय्यर जब 16 साल के थे और उनके खेल में गिरावट आयी थी तब उन्हें डांट से ज्यादा मनोचिकित्सक की सलाह की जरूरत महसूस हुई। आमतौर पर भारतीय परिवेश में जिन अभिभावकों को अपने बच्चों से ज्यादा उम्मीदें होती है , वह उनके लिए अच्छा करने की चाहत में नुकसान कर बैठते है।

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सीमित ओवरों की भारतीय टीम में जगह पक्की कर चुके अय्यर के पिता ने कहा, ‘‘जब वह चार साल का था तब वह घर में प्लास्टिक की गेंद से खेलता था। उस समय भी वह गेंद को बल्ले के बीचों बीच से मारता था। इससे हमें उनके प्रतिभा के बारे में पता चला। हम उसकी उस प्रतिभा को निखारने के लिए जो भी संभव था वह करने की कोशिश कर रहे थे।’’ मुंबई अंडर-16 के लिए खेलते समय अय्यर के प्रदर्शन मेंगिरावट आयी तो कोच ने कहा कि उसका ध्यान भटक रहा है। सीनियर अय्यर ने कहा, ‘‘जब एक कोच ने कहा कि आपके बेटे के पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है लेकिन उसका ध्यान भटक रहा है। मैं थोड़ा चिंतित हो गया था। मुझे लगा कि वह किसी के प्यार में पड़ गया है या गलत संगत में आ गया है।’’ उन्होंन बताया कि यह नौ साल पहले की बात है और उस समय मनोचिकित्सा को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था। आमतौर पर ऐसे समय में अभिभावक बच्चों को डांटते थे लेकिन मैंने उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाने का फैसला किया।

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मनोचिकित्सक ने मुझे कहा, ‘‘ आखिरकार, मुझे बताया गया कि चिंता की कोई बात नहीं है। ज्यादातर क्रिकेटरों की श्रेयस भी खराब दौर से गुजर रहा है। फिर उसने जल्द ही लय हासिल कर ली और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।’’ अय्यर ने 18 एक दिवसीय में 748 रन बनाये है जहां उनका औसत लगभग 50 का है। उन्होंने 22 टी20 अंतरराष्ट्रीय में 27 से अधिक के औसत से 417 रन बनाये है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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