जब देश के संपूर्ण सामर्थ्य ने दांव नहीं लगाया, ये राज्य मदद के लिए सामने आया, हॉकी टीम की जर्सी पर INDIA के साथ Odisha लिखे होने की कहानी
ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के ऐतिहासिक प्रदर्शन के नायक नवीन पटनायक कहे जा रहे हैं। एक दौर था जब हॉकी में भारत आला दर्जे की टीम थी और सबसे ज्यादा मेडल हॉकी में ही जीते। 1980 के बाद भारत को एक भी मेडल हॉकी में नहीं मिला।
टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जहां 49 साल के लंबे इंतजार के बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल में स्थान पाया था तो वहीं महिला हॉकी टीम ने पूर्वानुमानों को धता बताते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई। हालांकि बेल्जियम के खिलाफ सेमीफाइनल में पुरुष हॉकी टीम 2-5 की हार के बाद गुरुवार को होने वाले कांस्य पदक के प्लेऑफ की तैयारी में है। वही आज ओलंपिक में महिला हॉकी टीम का मुकाबला सेमीफाइनल में अर्जेंटीना के साथ है। पूरे देश में इसे लेकर जबरदस्त जोश है मुकाबला दोपहर 3:00 बजे शुरू होगा। 20 साल से उड़ीसा के मुख्यमंत्री पद पर काबिज नवीन पटनायक वैसे तो सुर्खियों में कम ही रहते हैं। लेकिन टोक्यो ओलंपिक में एक के बाद एक मिली सफलता के बाद सोशल मीडिया पर नवीन पटनायक की चर्चा खूब हो रही है। जीत तो पूरे देश की है फिर एक राज्य के सीएम की चर्चा क्यों हो रही है?
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ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के ऐतिहासिक प्रदर्शन के नायक नवीन पटनायक कहे जा रहे हैं। एक दौर था जब हॉकी में भारत आला दर्जे की टीम थी और सबसे ज्यादा मेडल हॉकी में ही जीते। 1980 के बाद भारत को एक भी मेडल हॉकी में नहीं मिला। धीरे-धीरे हॉकी को नजरअंदाज कर दिया गया। सहारा 1995 से भारतीय हॉकी से जुड़ी हुई थी। 2017 में कंपनी का करार 2021 के लिए बढ़ा दिया गया। लेकिन खराब वित्तीय हालत की वजह से यह डील समय से पहले टूट गई। सहारा के हटने के बाद ओडिशा सरकार ने भारतीय हॉकी को स्पॉन्सर करने का फैसला किया। राज्य सरकार पिछले 3 साल से भारतीय हॉकी टीम को स्पॉन्सर कर रही है। हालिया वर्षों में पुरूष हॉकी वर्ल्ड कप, वर्ल्ड लीग, प्रो लीग और ओलंपिक क्लॉलिफार्स जैसे कई बड़े टूर्नामेंट के मैच भुवनेश्वर में हुए हैं। ओडिशा सरकार की तरफ से लगातार विभिन्न माध्यमों से हॉकी टीमों को सहायता किया जाता रहा है। ओडिशा देश का इकलौते राज्य हैं जो किसी भी नैशनल हॉकी टीम का आधिकारिक पार्टनर हैं।
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एकनिष्ठ, अखंड, अक्षुण्ण भारतीय जर्सी पर 'India' के साथ 'Odisha' लिखे होने के कारण और फिर बाद मैं परिणाम को किसी तर्क और बुद्धिमत्ता या कोई भावना से ढका नहीं जा सकता। यह शाश्वत सत्य है कि जब देश के संपूर्ण सामर्थ ने हॉकी प्रताप नहीं लगाया तो एक राज्य के मुख्यमंत्री ने सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया। ओलंपिक जैसे विश्व मंच पर फिर जैसी में भारत के अतिरिक्त एक और नाम लिखकर भारत खेला। एक देश था जिसकी तरफ से यह खेल रहे थे और एक देश के भीतर का देश था जिसने वास्तव में देश के खिलाड़ियों को देश का माना और उसे सहयोग दिया।
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