डोपिंग की चुनौतियों का सामना करने के लिये आमूलचूल बदलाव को तैयार NDTL

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साहू ने पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ मौजूदा हालात में अनजाने में डोपिंग के अधिकांश मामले जागरूकता के अभाव में देखने को मिल रहे हैं जो खुराक से जुड़े, बाजार में उपलब्ध दूषित उत्पादों से जुड़े या जानकारी के अभाव की वजह से होते हैं। इससे खिलाड़ियों का कैरियर खतरे में पड़ जाता है।’’

राष्ट्रीय डोपिंग टेस्ट लैब (एनडीटीएल) के निदेशक पी एल साहू का कहना है कि खिलाड़ियों में डोपिंग की चुनौतियों का सामना करने के लिये लैब आमूलचूल बदलाव की राह पर है। इसके तहत जागरूकता कार्यक्रम, उपकरणों का आधुनिकीकरण, बुनियादी ढांचे का नवीनीकरण शामिल है। साहू ने पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ मौजूदा हालात में अनजाने में डोपिंग के अधिकांश मामले जागरूकता के अभाव में देखने को मिल रहे हैं जो खुराक से जुड़े, बाजार में उपलब्ध दूषित उत्पादों से जुड़े या जानकारी के अभाव की वजह से होते हैं। इससे खिलाड़ियों का कैरियर खतरे में पड़ जाता है।’’

डोपिंग के खिलाफ भारत के प्रयासों को 2019 में करारा झटका लगा था जब विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी (वाडा) ने एनडीटीएल पर छह महीने का निलंबन लगा दिया था। वाडा की टीम ने पाया कि यह लैब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है। तत्कालीन खेलमंत्री किरेन रीजीजू के अनुरोध के बाद दिसंबर 2021 में निलंबन हटाया गया। साहू ने कहा ,‘‘ उस बात को काफी समय बीत चुका है और अब एनडीटीएल पूरी तरह बदलाव के लिये तैयार है।’’ उन्होंने कहा कि जो योजनायें तैयार की गई हैं , उन पर पहले ही काम होना था लेकिन कोरोना महामारी और नीतिगत विलंब के कारण देरी हुई। साहू ने कहा कि सालाना छह हजार नमूनों से ज्यादा जांच किये जाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाहर भी और डोप टेस्ट लैब बनाई जायेंगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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