महामारी के कारण ‘परेशानी’ के बावजूद तोक्यो के लिए तैयार है भारतीय हॉकी अंपायर

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कोविड-19 महामारी ने उन्हें खेल के जरूरी समय से वंचित कर दिया है, लेकिन भारत के ओलंपिक से जुड़े अनुभवी हॉकी अंपायर जावेद शेख और रघुप्रसाद आरवी पिछले एक साल की ‘परेशानी’ के बाद भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए दृढ़संकल्प हैं।

नयी दिल्ली। कोविड-19 महामारी ने उन्हें खेल के जरूरी समय से वंचित कर दिया है, लेकिन भारत के ओलंपिक से जुड़े अनुभवी हॉकी अंपायर जावेद शेख और रघुप्रसाद आरवी पिछले एक साल की ‘परेशानी’ के बाद भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए दृढ़संकल्प हैं। रघुप्रसाद और शेख के के पास 100 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंगका अनुभव है। वे 23 जुलाई से शुरू होने वाले तोक्यो ओलंपिक में अंपायरिंग के लिए एफआईएच द्वारा भारत से चुने गए मात्र दो अंपायरों में शामिल हैं। रघुप्रसाद ने हॉकी इंडिया के पोडकास्ट ‘हॉकी ते चर्चा’ में कहा, ‘‘ मैंने एक साल से भी ज्यादा समय पहले किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में अंपायरिंग की थी। महामारी के कारण कोई टूर्नामेंट नहीं हो सका और हम पिछले कुछ महीनों में किसी भी बाहरी कार्य के लिए यात्रा करने में असमर्थ थे।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ यह हालांकि मेरे लिए तोक्यो में अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं करने का कोई कारण नहीं हो सकता। हमें अपने काम के शीर्ष पर रहना होगा और सही अंपायरिंग निर्णय देना होगा।’’ मुंबई के रहने वाले शेख ने ओलंपिक से पहले दोनों के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ हम दोनों अतीत में ओलंपिक खेलों में अंपायरिंग कर चुके हैं। मैं रियो (2016 में) में था और सब कुछ बहुत सुचारू था लेकिन इस बार महामारी के कारण चीजें बहुत अलगहै। और हमें अपने-अपने शहरों में लॉकडाउन के कारण अपनी योजनाओं को बदलना पड़ा है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘सामान्य परिस्थितियो में, हम एक बड़े टूर्नामेंट से पहले अपने अभ्यास और फिटनेस दिनचर्या से गुजरते हुए हॉकी के मैदान पर होते। महामारी ने हमें थोड़ा पीछे धकेल दिया है , लेकिन हमें इससे निपटने के तरीके खोजने होंगे।’’ दोनों मैच अधिकारियों फिटनेस पर ध्यान देने के साथ विभिन्न टूर्नामेंट के वीडियो को देख कर ओलंपिक की तैयारी कर रहे है जिसमें टीम संरचनाओं और रणनीति का विश्लेषण करना भी शामिल है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 150 से ज्यादा मैचों का अनुभव रखने वाले रघुप्रसाद ने कहा, ‘‘ अंपायरों को साल में कम से कम चार बार बार-बार फिटनेस टेस्ट से गुजरना पड़ता है। खिलाड़ियों की तरह हमारे पास भी ‘यो-यो’ और ‘डल मोंटे स्प्रिंट टेस्ट’ है। हमें यो-यो बीप टेस्ट में 2200 मीटर और छह सेकंड के अंदर 40 मीटर की दौड़ पूरी करनी होती है। ऐसे में हम अंपायरों के लिए भी फिटनेस सर्वोपरि है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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