सौरव गांगुली ने कहा, प्रसाद की अगुवाई वाली चयन समिति का दौर हुआ खत्म
संशोधित संविधान में हालांकि अधिकतम पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान है। गांगुली ने बीसीसीआई की 88वीं वार्षिक आम बैठक के बाद कहा कि कार्यकाल समाप्त हो गया है मतलब कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
मुंबई। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने रविवार को संकेत दिये कि चयनसमिति के जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा क्योंकि ‘‘आप अपने कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते।’’ बीसीसीआई पुराने संविधान में चयनसमिति के लिये अधिकतम कार्यकाल चार साल का था और इस आधार पर इसके अध्यक्ष एमएसके प्रसाद और उनके साथी गगन खोड़ा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
The 88th BCCI AGM took place at the BCCI headquarters in Mumbai today. pic.twitter.com/Z3YaD8OKiF
— BCCI (@BCCI) December 1, 2019
संशोधित संविधान में अधिकतम पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान है। प्रसाद और खोड़ा को 2015 में नियुक्त किया गया था जबकि जतिन परांजपे, शरणदीप सिंह और देवांग गांधी 2016 में चयनसमिति से जुड़े थे और उनके कार्यकाल का अभी एक साल बचा हुआ है।
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संशोधित संविधान में हालांकि अधिकतम पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान है। गांगुली ने बीसीसीआई की 88वीं वार्षिक आम बैठक के बाद कहा कि कार्यकाल समाप्त हो गया है मतलब कार्यकाल समाप्त हो चुका है। आप कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते और उनमें से अधिकतर का कार्यकाल समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए वे बने रहेंगे और मुझे नहीं लगता कि इसमें परेशानी होनी चाहिए।
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गांगुली ने कहा कि वे हर साल चयनकर्ताओं की नियुक्ति नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि आपने जरूर सुना होगा कि आईसीसी प्रत्येक वर्ष टूर्नामेंट चाहती है, इसका मतलब यह नहीं है कि चयनकर्ता हमेशा बने रहेंगे। हमारे यहां कार्यकाल तय है और हमें उसका ध्यान रखना होगा। गांगुली के बयान से लगता है कि नये चयनकर्ताओं का कार्यकाल पांच साल का होगा। उन्होंने कहा कि उनका कार्यकाल पांच साल का है, वे पांच साल तक रह सकते हैं लेकिन हम यह करेंगे कि हम चयनकर्ताओं का कार्यकाल तय करके उनकी नियुक्ति करेंगे।
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प्रसाद की अगुवाई वाली चयनसमिति के कार्य के बारे में गांगुली ने कहा कि उन्होंने अच्छी भूमिका निभायी। टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया और हमें किसी तरह की परेशानी नहीं है। भारतीय टीम ने पांच सदस्यीय पैनल के कार्यकाल के दौरान अच्छी सफलताएं हासिल की लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम अनुभव के कारण उन्हें लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता था।
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