राजस्थान के रण में पहले दो दौर तो गहलोत जीत गये, सत्ता के फाइनल का विजेता कौन होगा?
राजस्थान की सरकार पर मँडराये संकट से निपटने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर प्रयास कर रहे हैं। वह सफल होते भी नजर आ रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या उनकी यह सफलता आगे भी जारी रहेगी या फिर सत्ता के फाइनल में कोई और विजेता बनकर उभरेगा?
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार इस सप्ताह तब संकटों से घिर गयी जब राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने 19 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया। अशोक गहलोत को चूँकि पायलट के मंसूबों की भनक पहले से ही थी इसीलिए वह अपनी सरकार को बचा पाने में सफल रहे और उपमुख्यमंत्री पद से सचिन पायलट को बर्खास्त कर दिया। यही नहीं राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी सचिन पायलट की विदाई कर दी गयी। पायलट का साथ दे रहे दो मंत्रियों की भी राज्य सरकार से छुट्टी कर दी गयी। अशोक गहलोत ने बहुमत से ज्यादा विधायकों को अपने पक्ष में खड़ा कर दिया। पूरी कांग्रेस पार्टी भी अशोक गहलोत के साथ खड़ी नजर आई। यकीनन सचिन पायलट को भी लगा होगा कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा वह सिर्फ कहने के लिए थे, पूरी पार्टी तो गहलोत के इशारे पर चलती है।
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सप्ताह भर के उतार-चढ़ावों के दौरान फिलहाल तो अशोक गहलोत एक बार फिर अपनी जादूगिरी दिखाकर सरकार बचाने में कामयाब नजर आ रहे हैं लेकिन सचिन पायलट भी राजनीति के बाजीगर हैं जो बाजी हार कर भी जीत जाने का माद्दा रखते हैं। उधर भाजपा का कांग्रेस के आरोपों पर कहना है कि कांग्रेस अपने अंतर्विरोधों को हम पर थोप रही है। कांग्रेस ने एक ऑडियो क्लिप जारी कर भाजपा के कुछ नेताओं पर आरोप भी लगाये जिससे भाजपा ने पूरी तरह इंकार करते हुए इसे फर्जी आरोप लगाने का अभियान बता दिया है।
इस पूरे प्रकरण पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चुप्पी जहाँ भाजपा के नेताओं को खल रही है वहीं कांग्रेस भी वसुंधरा राजे के संभावित कदम की अटकलें लगाने में व्यस्त हैं। अटकलें इस बात की भी चल रही हैं कि क्या सचिन पायलट कांग्रेस में रह कर ही अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे, या भाजपा में शामिल होंगे या फिर अपनी नई पार्टी बनाएंगे। बहरहाल सचिन पायलट का अगला कदम तभी सामने आने की संभावना है जब सचिन समेत उनके समर्थक विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष से मिले नोटिस के मुद्दे पर हाईकोर्ट कोई फैसला सुना देगा।
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प्रभासाक्षी ने अपने साप्ताहिक कार्यक्रम 'चाय पर समीक्षा' में वरिष्ठ पत्रकारों से राजस्थान के घटनाक्रम से जुड़े मुद्दों पर बात की। चर्चा के दौरान दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश ठाकुर, जयपुर से श्री योगेन्द्र योगी और धौलपुर से श्री प्रमेन्द्र विधोलिया स्टूडियो के साथ जुड़े। चर्चा का संचालन प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने किया। चर्चा के दौरान मुख्यतः निम्न चार प्रश्नों पर राय जानी गयी-
प्रश्न-1. सचिन पायलट की बगावत राजस्थान और देश में कांग्रेस को कमजोर करेगी या फिर यह कदम खुद सचिन पायलट को राजनीतिक रूप से भारी पड़ेगा?
प्रश्न-2. राजस्थान में अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने में सफल होते दिख रहे हैं लेकिन हालात जिस तरह के हैं क्या उससे आपको लगता है कि वह अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे?
प्रश्न-3. राजस्थान में कांग्रेस ने भाजपा पर खरीद-फरोख्त के आरोप लगाये हैं क्या आपको लगता है कि अगर भाजपा जोड़तोड़ की सरकार बनाने में सफल होती है तो वह चल पायेगी?
प्रश्न-4. कांग्रेस जिस तरह एक-एक कर राज्य खोती जा रही है उस परिस्थिति में पार्टी को क्या करना चाहिए ताकि नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बना रहे?
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