Chai Par Sameeksha: रायबरेली में राहुल बचा पाएंगे गांधी परिवार का किला, प्रियंका क्यों नहीं लड़ीं चुनाव?
नीरज दुबे ने कहा कि स्मृति ईरानी ने 2014 में अमेठी से बुरी हार का सामना कर किया था। बावजूद इसके वह अमेठी से कनेक्ट रही। वहां उन्होंने अपना घर बनाया। वह लगातार लोगों से मिलती रहीं और इसका फल उन्हें 2019 में मिला।
प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने इस सप्ताह भी चुनावी मुद्दों पर चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। नीरज कुमार दुबे से हमने सवाल पूछा कि आखिर राहुल गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ना क्यों सही समझा? अमेठी से गांधी परिवार ने दूरी क्यों बनाई? साथ ही साथ हमने यह भी समझने की कोशिश की कि आखिर प्रियंका गांधी या उनके पति रॉबर्ट वाड्रा इस चुनावी मैदान में क्यों नहीं उतरे? इन सभी सवालों के जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि राहुल गांधी अमेठी क्यों नहीं गए रायबरेली क्यों गए, इसका जवाब सही मायने में कांग्रेसी दे सकती है। लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस अमेठी को लेकर आस्वस्त नहीं थी। उन्होंने कहा कि पिछली बार के चुनाव में राहुल गांधी को अमेठी से हार मिली थी। उसके बाद वह अमेठी से पूरी तरीके से दूर हो गए। शायद इस वजह से राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव नहीं लड़ा।
नीरज दुबे ने कहा कि स्मृति ईरानी ने 2014 में अमेठी से बुरी हार का सामना कर किया था। बावजूद इसके वह अमेठी से कनेक्ट रही। वहां उन्होंने अपना घर बनाया। वह लगातार लोगों से मिलती रहीं और इसका फल उन्हें 2019 में मिला। नीरज दुबे ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान हमने देखा कि किस तरीके से रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद भी स्मृति ईरानी हमेशा अमेठी के दौरा करती हैं। पंचायत स्तर तक के लोगों से उनका कनेक्ट रहता है। ऐसे में राहुल गांधी और कांग्रेस को कोई इनपुट गई होगी, इसके बाद पार्टी ने उन्हें रायबरेली से उतरने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पॉलिटिकल ब्रांडिंग का काफी ख्याल रखती है।
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नीरज दुबे ने कहा कि अगर दोबारा अमेठी से राहुल गांधी चुनाव हार जाते तो यह कांग्रेस और राहुल गांधी की छवि के लिए बहुत घातक साबित हो सकता था। इसलिए उन्हें रायबरेली भेजा गया। नीरज दुबे ने कहा कि पॉलिटिकल ब्रांडिंग ही प्रियंका गांधी के केस में ही लागू होती है। अगर प्रियंका गांधी इस चुनाव में जीत जाती तो हो सकता था कि इस बात की चर्चा खूब होती कि वह अपने पहले ही चुनाव में मुश्किल परिस्थितियों में जीत हासिल कर चुकी हैं। यह राहुल गांधी के लिए सहज स्थिति नहीं थी। इस वजह से भी उन्हें चुनावी मैदान में नहीं उतरा गया। इसके अलावा पार्टी भाई बहन को पार्लर खड़ा नहीं करना चाहती है। साथ ही साथ अगर प्रियंका गांधी को चुनावी हार मिलती तो एक कांग्रेस का ट्रंप कार्ड खत्म हो जाता।
उन्होंने कहा कि जब तक प्रियंका गांधी चुनाव नहीं लड़ रही हैं, तब तक लोगों में कांग्रेस इस बात का जोश भरने की कोशिश करती रहती है कि वह इंदिरा गांधी की तरह हैं। नीरज दुबे ने कहा कि वायनाड में वाम दल ने बहुत ही मजबूती से चुनाव लड़ा है। हो सकता है राहुल गांधी के पास कोई इनपुट हो इसलिए उन्होंने रायबरेली का रुख किया है। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि अगर वायानाड और रायबरेली दोनों जगह से राहुल गांधी को जीत मिलती है तो वह कौन सी सीट अपने पास रखेंगे, यह उनके सामने बड़ी चुनौती होगी। साथ ही साथ राहुल गांधी की कोशिश रहेगी कि वह रायबरेली को अपने पास रखें।
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