कई वरिष्ठ नेताओं की मोदी मंत्रिमंडल से छुट्टी क्यों हुई? जानिए फेरबदल का राजनीतिक गणित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरों को शामिल करने को लेकर जितनी चर्चा नहीं हुई उससे ज्यादा चर्चा कई चेहरों को मंत्रिमंडल से बाहर करने को लेकर की कई। नेताओं के मंत्रिमंडल से बाहर करने को लेकर चर्चाएं अलग-अलग तरह से की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया है। इस विस्तार को लेकर कई तरह की खबरें रही। इन सबके बीच 12 नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया तो वही 43 नए मंत्रियों ने शपथ ली। मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया। कुछ मंत्रालयों को छोड़ दे तो लगभग सभी मंत्रियों के मंत्रालयों में भी फेरबदल किया गया है। भारत के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब मंत्रिमंडल विस्तार में इतनी ज्यादा संख्या में मंत्रियों ने शपथ ली हो और इतना बड़ा फेरबदल हुआ हो। भारतीय राजनीति को समझने वाले लोग भी इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा और अद्भुत फैसला मान रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री, शिक्षा मंत्री और सूचना और प्रसारण मंत्री का एक साथ बदलाव कहीं ना कहीं कई तरह के संकेत दे रहा है। इन्हीं विषयों को लेकर हमने प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक के नीरज कुमार दुबे।
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नीरज कुमार दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का जितना बड़ा विस्तार किया है उससे बड़ा तो फेरबदल कर दिया है। प्रधानमंत्री समेत चार-पाँच शीर्ष मंत्रियों को छोड़ दें तो पूरी सरकार का स्वरूप ही बदल गया है। इसे आप मोदी 2.0 की दूसरी सीरीज भी कह सकते हैं। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई परिवर्तित कैबिनेट की पहली बैठक में जिस तरह धड़ाधड़ फैसले लिये गये और उन फैसलों को अमली जामा पहनाने के लिए जिस तरह समय निर्धारित किये गये वह दर्शाता है कि प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों को साफ संकेत और संदेश दे दिया है कि अब थमने या आराम करने का वक्त नहीं बल्कि तेजी से काम करने और उस काम को जनता के बीच दिखाने का भी वक्त है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरों को शामिल करने को लेकर जितनी चर्चा नहीं हुई उससे ज्यादा चर्चा कई चेहरों को मंत्रिमंडल से बाहर करने को लेकर की कई। नेताओं के मंत्रिमंडल से बाहर करने को लेकर चर्चाएं अलग-अलग तरह से की जा रही है। हमने इसी से जुड़ा सवाल नीरज कुमार दुबे से भी पूछा। दुबे ने कहा कि जहाँ तक मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की कवायद की बात है तो इसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ बड़े संदेश दिये हैं। पहला- व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा हो उसके कार्य प्रदर्शन की गुणवत्ता से कतई समझौता नहीं किया जायेगा। दूसरा- किसी खास मंत्रालय का मंत्री यदि जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता तो उसके खिलाफ उपजी नाराजगी का असर पूरी सरकार पर नहीं पड़ने दिया जायेगा। तीसरा- 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' मूलमंत्र पर आगे बढ़ते हुए सरकार में समाज के सभी वर्गों और देश के हर कोने की पर्याप्त भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी। चौथा- बेहतरीन कार्य करने वालों को पुरस्कृत किया जाता रहेगा। पाँचवाँ- पार्टी संगठन के लिए निष्ठापूर्वक काम करने वालों को 'बड़े अवसर' दिये जाएंगे।
अश्विनी वैष्णव, अनुराग ठाकुर, मनसुख मंडाविया व अन्य नवनियुक्त मंत्रियों ने प्रभार संभाला
मंत्रिपरिषद में बड़े फेरबदल के एक दिन बाद अश्विनी वैष्णव, अनुराग ठाकुर और मनसुख मंडाविया सहित नव नियुक्त मंत्रियों ने अपने-अपने मंत्रालय का प्रभार संभाल लिया। नौकरशाह और उद्यमी रहे 51 वर्षीय वैष्णव ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ रेलवे का भी प्रभार संभाला है। वहीं, कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत किये गये अनुराग ठाकुर ने भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभार संभाल लिया। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ रेलवे का भी प्रभार मिलने पर ओडिशा से सांसद वैष्णव ने कहा कि यह जिम्मेदारी देने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं। वैष्णव ने कहा कि उनका मुख्य जोर कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने पर होगा। वहीं, दर्शना जरदोश ने रेल राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया। ठाकुर ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी है और वह इसे पूरा करने की अपनी सर्वोत्तम कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से जनता तक पहुंचने पर उनका सबसे ज्यादा ध्यान रहेगा। गुजरात से भारतीय जनता पार्टी के नेता मनसुख मंडाविया ने कोविड-19 महामारी के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के रूप मेंकार्यभार संभाल लिया। मंडाविया ने इस मंत्रालय में डॉ. हर्षवर्धन की जगह ली है, जिन्होंने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था। डॉ. भारती प्रवीण पवार ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में अश्विनी चौबे का स्थान लिया है।
महामारी के दौरान कामगार वर्ग, खासतौर पर अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के प्रभावित होने के बीच भूपेंद्र यादव को महामारी के बीच श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है। उन्हें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जितेंद्र सिंह ने नये केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उन्हें बुधवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया था। संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी कार्यभार संभाल लिया, जबकि नारायण टी. राणे ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का कार्यभार संभाला। राणे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। भानु प्रताप सिंह वर्मा ने भी इसी मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है। गुजरात से भाजपा नेता पुरूषोत्तम रूपाला ने मात्स्यिकी, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय का दायित्व संभाला। राज कुमार सिंह ने विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला। दो राज्य मंत्रियों प्रतिमा भौमिक और ए नारायणसामी ने भी अपना- अपना पदभार संभाला। सुभाष सरकार ने शिक्षा राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। वह, पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से सांसद हैं, जबकि मुंजापारा महेंद्रभाई ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री का प्रभार संभाला। पूर्व रेल मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला। उन्होंने कहा कि भारत के शिक्षा तंत्र ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शुरुआत के साथ एक बड़ी कामयाबी हासिल की है।
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प्रधान ने कहा कि भारत को समान ज्ञान वाले समाज की दिशा में ले जाने के उद्देश्य से वह छात्रों, युवाओं को प्राथमिक हितधारक बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पशुपति कुमार पारस ने खाद्य प्रसंस्करण और गिरिराज सिंह ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का कार्यभार कैबिनेट मंत्री के रूप में संभाला है। रामचंद्र प्रसाद सिंह ने इस्पात मंत्रालय का कार्यभार संभाला। किरण रीजीजू ने विधि एवं न्याय मंत्रालय का कार्यभार संभाला। रामचंद्र प्रसाद सिंह जदयू नेता एवं सेवानिवृत आईएएस अधिकारी हैं। भाजपा के लोकसभा सदस्य भगवंत खुबा ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री का प्रभार संभाला। वहीं, भागवत किशनराव कारद ने वित्त राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला। उत्तराखंड से सांसद अजय भट्ट ने रक्षा राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला। हरदीप सिंह पुरी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय का कार्यभार संभाला लिया। रामेश्वर तेली ने मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। अजय कुमार और निसीथ प्रामाणिक ने केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री का पदभार संभाल लिया। कुमार (60) उत्तर प्रदेश के खीरी से लोकसभा सदस्य है और प्रमाणिक (35) पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से लोकसभा सदस्य है। नौकरशाह से नेता बने आर के सिंह ने विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री का प्रभार संभाला।
केवल मंत्रियों का काम मायने रखता है और उन्हें मीडिया का आकर्षण पाने के दुष्चक्र में नहीं पड़ना चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भीड़भाड़ वाले स्थानों पर लोगों द्वारा कोविड-19 के नियमों का पालन न करने पर चिंता जताते हुए कहा कि लापरवाही के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए और एक छोटी सी गलती के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं जिससे महामारी से लड़ाई कमजोर पड़ सकती है। मंत्रिमंडल विस्तार के एक दिन बाद मंत्रिपरिषद के सदस्यों से बातचीत में उन्होंने कहा कि महामारी के विरुद्ध भारत की लड़ाई पूरे जोर-शोर से जारी है और टीकाकरण अभियान तथा जांच की जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने लापरवाही न बरतने की सलाह दी। एक सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के महीनों में संक्रमण के जितने मामले सामने आ रहे थे अब उससे कम देखने को मिल रहे हैं लेकिन लोगों को बाहर नहीं निकलना चाहिए। सभी को याद रखना चाहिए कि कोविड-19 का खतरा अभी समाप्त नहीं हुआ है। कई अन्य देशों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। वायरस में उत्परिवर्तन भी हो रहा है। मोदी ने मंत्रियों से कहा कि लोगों में डर पैदा करना लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि जनता से सभी प्रकार की सावधानी बरतने का आग्रह करना चाहिए ताकि आने वाले समय में राष्ट्र इस महामारी के संकट से उबर सके। उन्होंने मंत्रियों से समय पर कार्यालय पहुंचने और अपनी ऊर्जा मंत्रालय के काम करने में लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मंत्रियों का ध्यान सबसे वंचित लोगों की सहायता करने पर केंद्रित होना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि मोदी ने कहा कि मंत्री अपने पूर्ववर्तियों से मिलकर उनके अनुभवों से सीख सकते हैं। उन्होंने नए मंत्रियों से कहा कि जो अब सरकार में नहीं हैं उन्होंने भी काफी योगदान दिया है और नए मंत्रियों को उनसे सीखना चाहिए। मोदी ने सलाह देते हुए कहा कि केवल मंत्रियों का काम मायने रखता है और उन्हें मीडिया का आकर्षण पाने के दुष्चक्र में नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रियों को अनावश्यक बयनबाजी से बचना चाहिए।
मंत्रिपरिषद विस्तार: 30 मंत्री लोकसभा और 11 राज्यसभा के सदस्य
नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिपरिषद विस्तार में शपथ लेने वाले 43 मंत्रियों में 30 लोकसभा और 11 राज्यसभा के सदस्य हैं। इसके साथ ही, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष एल मुरुगन दो ऐसे मंत्री हैं जो फिलहाल संसद के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। सोनोवाल फिलहाल असम विधानसभा सदस्य हैं। इस मंत्रिपरिषद विस्तार में कुल 15 कैबिनेट और 28 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। राज्यसभा के जिन सदस्यों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है उनमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नारायण नारायण राणे, जद (यू) अध्यक्ष आरसीपी सिंह, भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव, हरदीप पुरी, मनसुख मंडाविया और पुरुषोत्तम रुपाला शामिल हैं। भाजपा के ही राजीव चंद्रशेखर, बीएल वर्मा, भागवत कराड को राज्य मंत्री बनाया गया है और ये तीनों मंत्री राज्यसभा के सदस्य हैं।
लोकसभा के जिन सदस्यों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है उनमें भाजपा के डॉक्टर वीरेंद्र कुमार, किरेन रिजिजू, आरके सिंह, जी किशन रेड्डी और अनुराग ठाकुर तथा लोक जनशक्ति पार्टी (पारस गुट) के नेता पशुपति कुमार पारस शामिल हैं। इनके अलावा, अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल, भाजपा के एसपी सिंह बघेल, शोभा कारंदलाजे, भानू प्रताप सिंह वर्मा, दर्शना जारदोश, मीनाक्षी लेखी, अन्नपूर्णा देवी, कौशल किशोर, अजय भट्ट, अजय कुमार, चौहान देवूसिंह, भगवंत खूबा, भारती पवार, पंकज चौधरी, शांतनु ठाकुर, मुंजपारा महेंद्रभाई, निशीथ प्रामाणिक, ए नारायणस्वामी, कपिल पाटिल, राजकुमार रंजन सिंह, प्रतिमा भौमिक, सुभाष सरकार, भागवत कराड, बिश्वेसर टुडू और जॉन बारला भी लोकसभा सदस्य हैं जो राज्य मंत्री बने हैं।
मोदी मंत्रिपरिषद विस्तार में उप्र के जातिगत समीकरण साधने का प्रयास
केंद्रीय मंत्रिपरिषद् में हुए विस्तार में उत्तर प्रदेश के जिन सात मंत्रियों को शामिल किया गया है उनके चयन में जातिगत समीकरण को साधते हुए अगले वर्ष के शुरू में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया है। राज्य से जो नये केंद्रीय मंत्री बनाये गये हैं उनमें से तीन का संबंध पिछड़े वर्ग, तीन का दलित समूह है जबकि एक ब्राह्मण समुदाय से हैं। हालांकि इन सात चेहरों में से केवल एक सहयोगी दल का है और शेष भाजपा के ही सांसद हैं। मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल किये गये मंत्रियों में महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से भाजपा से छठवीं बार चुने गये पंकज चौधरी और मिर्जापुर से भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) से दूसरी बाद की सांसद अनुप्रिया पटेल पिछड़े वर्ग के कुर्मी समाज से हैं जबकि बदायूं निवासी राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा पिछड़े वर्ग के लोधी राजपूत हैं। अनुसूचित जाति वर्ग में आगरा से भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह बघेल धनगर, जालौन के सांसद भानु प्रताप वर्मा-कोरी और लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र के सांसद कौशल किशोर पासी समाज से आते हैं। इनके अलावा लखीमपुर खीरी से दूसरी बार के सांसद अजय कुमार ब्राह्मण समाज से हैं। उप्र कोटे से शामिल किये गये मंत्रियों में सिर्फ अनुप्रिया पटेल सहयोगी अपना दल (एस) की हैं जबकि बाकी सभी भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं। पंकज चौधरी को केंद्र में संतोष गंगवार के इस्तीफा देने के बाद मौका मिला है क्योंकि गंगवार भी कुर्मी समाज के हैं। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में यादव समाज के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग में कुर्मी बिरादरी की मजबूत भागीदारी है।
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कोरोना महामारी के दौरान देश में इसके मामले बढ़ने के दौरान संतोष गंगवार ने एक बार राज्य सरकार के महामारी प्रबंधन को लेकर सवाल भी उठाए थे। महाराजगंज से छह बार के सांसद पंकज चौधरी जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर क्षेत्र से हैं और गोरखपुर के डिप्टी मेयर भी रह चुके हैं वहीं सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी क्षेत्र से जुड़ी हैं। राजनीतिक समीक्षकों की दलील है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी कुर्मी समाज से ही आते हैं और चूंकि उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने भी अपनी राज्य इकाई की कमान कुर्मी समाज के नरेश उत्तम पटेल के ही हाथों में सौंपी है, इसलिए यह बिरादरी भाजपा और सपा की विशेष प्राथमिकता में आ गई है। हाल के दिनों में दूसरे दलों के कई कुर्मी नेताओं ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली है जबकि दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी ने विधान मंडल दल के नेता लालजी वर्मा और सुषमा पटेल जैसे कुर्मी समाज के कई नेताओं को दल से निष्कासित कर दिया तो विशेष रूप से इस वर्ग पर भाजपा और सपा की नजरें टिकी हुई है। हाल में कुर्मी समाज से ही आने वाली बहराइच जिले की भाजपा विधायक माधुरी वर्मा के पति पूर्व विधायक दिलीप वर्मा भी भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गये। उत्तर प्रदेश की पिछड़ी जातियों में लोधी समाज का भी प्रभाव कम नहीं है। लोधी समाज से आने वाले उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह इन दिनों अस्वस्थ हैं। हालांकि राज्य सरकार में उनके पौत्र संदीप सिंह मंत्री हैं जबकि पुत्र राजवीर सिंह एटा के सांसद हैं। भाजपा ने संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा को मौका दिया है क्योंकि बीएल वर्मा भी लोध समाज में अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं। पश्चिम क्षेत्र के भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने कहा कि भाजपा ने कल्याण सिंह के विकल्प के तौर पर बीएल वर्मा को हमेशा बढ़ावा दिया और मंत्रिपरिषद में भी उन्हें इसी इरादे से मौका दिया गया है। सांसद सत्यपाल सिंह बघेल इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित आगरा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद चुने गये।
इसके पहले वह 2017 में फिरोजाबाद की टूंडला सीट से विधानसभा के लिए चुने गये और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री भी रहे। बघेल इससे पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी में भी रह चुके हैं। वामपंथी पृष्ठभूमि से शुरुआती राजनीति करने वाले पासी समाज के कौशल किशोर लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र से भाजपा से दूसरी बार सांसद हैं और पार्टी ने उन्हें दूसरी बार राज्य में अनुसूचित मोर्चा का अध्यक्ष भी बनाया है। राज्य में गैर जाटव दलितों में पासी समाज की अच्छी तादाद है। इसी तरह जालौन के भाजपा सांसद भानु प्रताप वर्मा अनुसूचित वर्ग के कोरी समाज से आते हैं। भानु प्रताप वर्मा कानपुर-बुंदेलखंड के प्रतिनिधित्व के तौर पर भी एक प्रमुख चेहरा हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दलित चेहरों में पासी, कोरी और धनगर को मौका देकर भाजपा ने गैर जाटवों को महत्व देने का संदेश दिया है। कांग्रेस से ब्राह्मण चेहरा जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें मंत्रिपरिषद में लिए जाने की अटकलें थीं लेकिन तराई पट्टी के लखीमपुर खीरी क्षेत्र से भाजपा के दूसरी बार के सांसद अजय कुमार मिश्र टेनी के मंत्री बनाये जाने से एक दूसरा संदेश गया है। अजय कुमार पार्टी के कैडर बेस कार्यकर्ता माने जाते हैं और भाजपा के ही एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी ने अपने कैडर बेस कार्यकर्ता को महत्व देकर ब्राह्मणों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को भी महत्व दिया है।
हर्षवर्धन समेत 12 की छुट्टी, सात पदोन्नत, सिंधिया, राणे सहित 36 नए चेहरे मंत्रिपरिषद में शामिल
केंद्रीय मंत्रिपरिषद का बहुप्रतीक्षित फेरबदल व विस्तार बुधवार को संपन्न हो गया। इसमें हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, डी वी सदानंद गौड़ा, संतोष गंगवार जैसे नेताओं की केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गई, जबकि मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनाने में मदद करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिव सेना से भाजपा में आए नारायण राणे को कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया। मंत्रिपरिषद के इस विस्तार और फेरबदल में 36 नए चेहरों को शामिल किया गया है, जबकि सात वर्तमान राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। सिंधिया और राणे सहित आठ नए चेहरों को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित एक समारोह में मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए सभी 43 सदस्यों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल विपिन रावत सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर मौजूद थे। प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद मोदी ने पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार किया है।
कैबिनेट मंत्री के रूप में महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य नारायण राणे, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र कुमार, मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य राम चंद्र प्रसाद सिंह, ओड़िशा से भाजपा के राज्यसभा सदस्य अश्विनी वैष्णव और लोक जनशक्ति पार्टी के पारस गुट के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने शपथ ली। इनके अलावा किरेन रिजिजू, राजकुमार सिंह, हरदीप सिंह पुरी और मनसुख भाई मांडविया ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। इन चारों नेताओं को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। रिजिजू इससे पहले युवक कार्यक्रम और खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे और सिंह पहले विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे जबकि पुरी आवासन तथा शहरी विकास और नागर विमानन मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। मांडवियाबंदरगाह, पोत और जलमार्ग परिवहन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। भाजपा महासचिव व राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य भूपेंद्र यादव ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। जिन राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर सीधे कैबिनेट मंत्री बनाया गया उनमें पुरुषोत्तम रूपाला, जी किशन रेड्डी और अनुराग सिंह ठाकुर शामिल हैं। रूपाला इससे पहले कृषि राज्यमंत्री थे जबकि रेड्डी गृह राज्यमंत्री और ठाकुर वित्त राज्यमंत्री थे। राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वालों में उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से भाजपा के सांसद पंकज चौधरी, अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल, आगरा के सांसद एस पी सिंह बघेल, कर्नाटक से भाजपा के राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर, कर्नाटक के ही उडुपी चिकमंगलूर से सांसद शोभा करंदलाजे, उत्तर प्रदेश के जालौन से पांचवीं बार के सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा, गुजरात के सूरत की सांसद दर्शना जरदोश, नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी, झारखंड के कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी, कर्नाटक के चित्रदुर्ग के सांसद ए नारायणस्वामी, उत्तर प्रदेश के मोहनलाल गंज से सांसद कौशल किशोर, उत्तराखंड के नैनीताल-ऊधमसिंह नगर से सांसद अजय भट्ट, उत्तर प्रदेश के ही खीरी से सांसद अजय मिश्रा, उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य बी एल वर्मा, गुजरात के खेड़ा से सांसद चौहान देबू सिंह, कर्नाटक के बीदर से सांसद भगवंत खूबा, महाराष्ट्र के भिवंडी से सांसद कपिल पाटिल, पश्चिम त्रिपुरा की सांसद प्रतिमा भौमिक, पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से सांसद सुभाष सरकार, महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य भागवत कराड, मणिपुर के सांसद राजकुमार रंजन सिंह, महाराष्ट्र के ही दिन्डोरी से सांसद भारती पवार, ओडिशा के मयूरभंज से सांसद विश्वेश्वर टुडु, पश्चिम बंगाल के बनगांव के सांसद शांतनु ठाकुर, गुजरात के सुरेंद्रनगर से सांसद मुंजापरा महेंद्र भाई, पश्चिम बंगाल के अलीद्वारपुर से सांसद जॉन बरला, तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष एल मुरुगन और पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से सांसद निषिथ प्रमाणिक शामिल हैं। जिन नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली उनमें 26 लोकसभा के सदस्य हैं जबकि आठ राज्यसभा से हैं। इनमें से मुरुगन और सोनोवाल ऐसे नेता है जो संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। मंत्रिपरिषद में हुए इस फेरबदल व विस्तार में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व उत्तर प्रदेश को मिला है।
यहां से सात सांसदों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है। हालांकि इनमें से किसी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया है। जिन 36 नए चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है उनमें उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक प्रतिनिधित्व पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र को मिला है। इन राज्यों से चार-चार सांसदों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। गुजरात से तीन, मध्य प्रदेश, बिहार और ओड़िशा से दो-दो नेताओं को मंत्री बनाया गया है जबकि उत्तराखंड, झारखंड, त्रिपुरा, नयी दिल्ली, असम, राजस्थान, मणिपुर ओर तमिलनाडु से एक-एक नेता को मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। इससे पहले रमेश पोखरियाल निशंक, डॉ. हर्षवर्द्धन, सदानंद गौड़ा, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, संतोष कुमार गंगवार सहित 12 मंत्रियों ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया। इनके अलावा थावरचंद गहलोत, बाबुल सुप्रियो, संजय धोत्रे, रतनलाल कटारिया, प्रतापचंद सारंगी और देवश्री चौधरी ने भी अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन सभी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पिछड़ा वर्ग, दलितों और महिलाओं का बढ़ा प्रतिनिधित्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में किए व्यापक फेरबदल और विस्तार में पिछड़ा वर्ग, दलितों, जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व जहां बढ़ाया है। इस फेरबदल और विस्तार में प्रधानमंत्री ने 12 मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए युवा व अनुभवी नेताओं के मिश्रण को तरजीह दी है और इसके जरिए शासन को और मजबूती प्रदान करने की कोशिश की है। वर्तमान मंत्रिपरिषद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एकमात्र ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने 1998 और 2004 की तत्कालीन वाजपेयी सरकारों में भी काम किया है। इस विस्तार में भाजपा ने अपने बढ़ते भौगोलिक जनाधार का भी विशेष ख्याल रखा है। उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक सात मंत्रियों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। इनमें से अधिकांश आरक्षित जाति समुदाय से आते हैं। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। जिन 36 नए चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है उनमें उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक प्रतिनिधित्व पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र को मिला है। इन राज्यों से चार-चार सांसदों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है।
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गुजरात से तीन, मध्य प्रदेश, बिहार और ओड़िशा से दो-दो नेताओं को मंत्री बनाया गया है जबकि उत्तराखंड, झारखंड, त्रिपुरा, नयी दिल्ली, असम, राजस्थान, मणिपुर और तमिलनाडु से एक-एक नेता को मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। इनमें से अधिकांश को राज्यमंत्री बनाया गया है। सात राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इनमें अनुराग सिंह ठाकुर, जी किशन रेड्डी, आर के सिंह, हरदीप सिंह पुरी भी शामिल हैं। भूपेंद्र यादव एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जिन्हें अभी तक कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं रहा है। वह अभी तक भाजपा संगठन का काम देखते रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षें में एक सांसद के रूप में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री ने इस विस्तार में त्रिपुरा और मणिपुर जैसे छोटे राज्यो को भी जगह दी है। दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।
सहयोगी दलों का ध्यान रखते हुए इस विस्तार में बिहार से जनता दल युनाईटेड और लोक जनशक्ति पार्टी के पारस गुट से पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। दोनों बिहार से ताल्लुक रखते हैं। सात महिलाओं को इस मंत्रिपरिषद विस्तार में जगह दी गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को मिलाकर अब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मिहला मंत्रियों की कुल संख्या नौ हो गई है। देबश्री चौधरी को मंत्रिपरिषद से आज बाहर का रास्ता दिखा गया। आज कुल 15 सदस्यों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में और 28 ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद मोदी ने पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार किया है।
- अंकित सिंह
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