Chai Par Sameeksha: Rahul Gandhi की संसद से लेकर सड़क तक चल रही राजनीति किस दिशा में जा रही है
नीरज दुबे ने कहा कि विपक्ष के नेता के रोल के बजाय राहुल गांधी रील पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह लोगों के बीच जा रहे हैं अच्छी बात है, लेकिन फोटो से ज्यादा उनके समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने राहुल गांधी को लेकर विस्तृत चर्चा की। हमने प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे से यह सवाल पूछा कि राहुल गांधी बतौर नेता प्रतिपक्ष संसद के शुरुआती सत्र में कैसा प्रदर्शन करने में कामयाब रहे? इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि यह अच्छी बात है कि संसद में राहुल गांधी जितने सक्रिय दिखाई दे रहे हैं, उतना सड़क पर भी वे सक्रिय हो रहे हैं। अलग-अलग राज्यों का दौरा कर रहे हैं। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री की ओर से राहुल गांधी को बालक बुद्धि कहा जाता है तो इस पर भी सोचने की जरूरत है कि आखिर ऐसा क्यों बताया गया? नीरज दुबे ने कहा कि भले ही राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बन गए हैं लेकिन अपनी बात को जिम्मेदारियां से नहीं कह रहे हैं। वह दूसरों के कंधों से बंदूक चलाने की कोशिश कर रहे हैं।
दुबे ने कहा कि राहुल गांधी हमेशा दूसरों का उदाहरण देकर अपनी बात रख रहे हैं। वह मजबूती से, जिम्मेदारी के साथ अपनी ओर से कोई बात अब तक नहीं रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को दूसरों को बीच में नहीं लाना चाहिए। खुद के ऊपर जिम्मेदारी लेनी चाहिए। लोकसभा या राज्यसभा में जो भी नेता विपक्ष रहा है, वह सार्थक चर्चा करता रहा है। लेकिन राहुल गांधी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी का स्वभाव बेहद ही हल्का रहा। वह फोटो फ्रेम को लेकर ज्यादा चिंतित लगे। नीरज दुबे ने कहा कि विपक्ष के नेता के रोल के बजाय राहुल गांधी रील पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह लोगों के बीच जा रहे हैं अच्छी बात है, लेकिन फोटो से ज्यादा उनके समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। आपकी पार्टी की ओर से आपको जननायक के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय होने से वोट नहीं मिलते हैं।
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नीरज दुबे ने कहा कि कांग्रेस ने भले ही 99 सीटों पर जीत हासिल की है। लेकिन उसमें सहयोगी दलों का ज्यादा रोल है। उन्होंने कहा कि एक ही सत्र में किसी नेता को फेल या पास किया जाए, यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का जो भाव है कि मैं लोगों से मिलूं, मैं लोगों की समस्याओं को जानू, यह अच्छी बात है। लेकिन उनकी टीम किस तरीके से उन्हें प्रस्तुत करना चाहती है, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राहुल गांधी को गंभीर नेता की छवि बनाने के लिए मेहनत करनी होगी। यह पहला सत्र है, इसमें औपचारिकताएं थी। लेकिन आने वाले सत्रों में रिसर्च के साथ राहुल गांधी को बोलने की जरूरत होगी। ऐसे में उस समय वह किस तरीके से काम करते हैं, इस पर सभी की निगाहें रहने वाली है। नीरज दुबे ने इस बात पर भी जोर दिया कि राहुल गांधी मेहनत कर रहे हैं, यह अच्छी बात है। उनसे परिपक्वता की अब उम्मीद की जा सकती है।
लालू यादव के बयान कि अगस्त तक मोदी सरकार गिर जाएगी पर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि यह कार्यकर्ताओं को उत्साह में रखने के लिए ऐसे दावे किए जाते हैं। खासकर के लालू यादव जैसे नेताओं की ओर से। नीरज दुबे ने कहा कि पूरी तरीके से स्थिर सरकार है। किसी भी दबाव में नरेंद्र मोदी दिखाई नहीं दे रहे हैं। हां, यह बात सही है कि बीजेपी जब अपने दम पर बहुमत में थी। तब की स्थिति अलग थी, अब की स्थिति अलग है। लेकिन सरकार कमजोर है, इसको लेकर किसी भी तरीके की बात करना गलत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खुद एनडीए के नेताओं को अपने साथ रख रहे हैं। उन्हें हर समय महत्व दे रहे हैं। एनडीए के अलग-अलग नेताओं से लगातार संपर्क में है। सहयोगियों को साथ रखने की कोशिश हो रही है। ऐसे में इस तरह की भविष्यवाणी बेकार लगते हैं।
हमने अपने इस कार्यक्रम में हाथरस से घटना को लेकर भी चर्चा की और नीरज दुबे ने कहा कि हमें इस तरीके के चीजों पर लगाम लगाने की जरूरत है। भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की घटनाओं से खराब होती है। अस्पतालों की हालत खराब होती है। लोगों को एंबुलेंस नहीं मिले, समय पर चिकित्सा नहीं मिली। प्रशासन की असफलता साफ तौर पर दिखाई देती है। दूसरी और बिहार में पुल गिरने की घटनाओं पर नीरज दुबे ने कहा कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की जरूरत है। बिहार को विकसित राज्य बनाना है तो नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की आवश्यकता होगी।
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