विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक असमानता दूर करने के लिए तीन नई परियोजनाएं
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने बताया कि नेशनल टास्क फोर्स की ‘विज्ञान में महिलाएं’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शोध एवं विकास कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 15 प्रतिशत है, जो 30 प्रतिशत के वैश्विक औसत की तुलना में कम है।
नई दिल्ली।(इंडिया साइंस वायर): विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक असमानता दूर करने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने तीन नई परियोजनाओं की घोषणा की है। इनमें जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टिट्यूशन्स, विज्ञान ज्योति और महिलाओं के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर केंद्रित पोर्टल शामिल हैं। विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की विषयवस्तु भी ‘विज्ञान में महिलाएँ’ रखी गई है।
विज्ञान ज्योति योजना हाईस्कूल में पढ़ने वाली मेधावी लड़कियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों में उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने में मदद करेगी। वहीं, जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टिट्यूशन्स परियोजना विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में लैंगिक समानता का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक चार्टर और रूपरेखा विकसित करने में मदद करेगी। इसके अलावा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर केंद्रित एक ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किया जा रहा है, जिस पर महिलाओं पर केंद्रित योजनाओं, स्कॉलरशिप, फेलोशिप और विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के विवरण के साथ करियर काउंसलिंग मिल सकेगी।
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राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने बताया कि नेशनल टास्क फोर्स की ‘विज्ञान में महिलाएं’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शोध एवं विकास कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 15 प्रतिशत है, जो 30 प्रतिशत के वैश्विक औसत की तुलना में कम है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षण संस्थानों में भी तस्वीर इससे अलग नहीं है। उन्होंने कहा कि बेहद कम महिलाएं विज्ञान के क्षेत्र में एक सफल करियर बना पाती हैं। इस धारणा को बदलने की जरूरत है कि महिलाएं विज्ञान और विशेष रूप से गणित तथा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में काम करने के लिए कम अनुकूल हैं। राष्ट्रपति ने विज्ञान के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की गुणवत्ता और प्रासंगिकता बढ़ाने पर जोर दिया है।
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने समारोह में विज्ञान संचार एवं लोकप्रियकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और मेधावी महिला वैज्ञानिकों को उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए है। इन पुरस्कारों में नेशनल साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन अवार्ड्स, ऑगमेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च (अवसर) अवार्ड्स, एसईआआरबी-वुमेन एक्सीलेंस अवार्ड्स और सामाजिक लाभ के लिए प्रौद्योगिकी आधारित उत्कृष्ट अनुप्रयोगों के लिए युवा महिलाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान संचार पुरस्कारों के अंतर्गत पुस्तकों एवं पत्रिकाओं सहित प्रिंट मीडिया के जरिये विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए इस बार ओडिशा के विज्ञान लेखक डॉ सूर्यमणि बेहेरा और असम की डॉ अमिया राजबोंगषी को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया है। बच्चों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के लिए मेरठ, उत्तर प्रदेश के विज्ञान शिक्षक दीपक शर्मा और बस्ती, उत्तर प्रदेश की संस्था किसान सेवा संस्थान को पुरस्कृत किया गया है।
नवप्रवर्तक एवं पारपरिक प्रणालियों के माध्यम से विज्ञान संचार के लिए तीन संचारकों को पुरस्कृत किया गया है, जिनमें गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रोफेसर महेश वर्मा, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, तमिलनाडु के प्रोफेसर डॉ एस. नागरथिनम और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र कुमार शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के रूमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ उमा कुमार को पुरस्कार प्रदान किया गया है।
अवसर योजना के पोस्ट डॉक्टोरल वर्ग के अंतर्गत चेन्नई के शोधार्थी डॉ चंद्रन रेतनराज और पुणे की डॉ ज्योता सरकार को पुरस्कार दिया गया है। अवसर योजना के तहत पीएचडी शोधार्थियों के वर्ग में प्रथम पुरस्कार चेन्नई की क्रिस फेल्शिया को दिया गया है। दो द्वितीय पुरस्कार, दिल्ली के सायनतन सूर और पिलानी के आनंद अभिषेक को दिया गया है। इसके अलावा, तीन शोधार्थियों को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया है, जिनमें कोलकाता के अनिर्बान सरकार, बंगलूरू के चित्रांग दानी, मैसूर की एम.एल. भव्या शामिल हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर वर्ष 28 फरवरी को ‘रामन प्रभाव’ की खोज की याद में मनाया जाता है। इस दिन भारत के मशहूर वैज्ञानिक सर सी.वी. रामन ने ‘रामन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी, जिसके लिए वर्ष 1930 में उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। इस दिन, पूरे देश में विज्ञान संचार गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।
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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि "मुझे खुशी है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इस वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की विषयवस्तु के रूप में ‘विज्ञान में महिलाएं’ विषय को चुना है। नवाचार और लैंगिंक समानता पूरी विकास प्रक्रिया को रेखांकित करते हैं। भारत के संदर्भ ‘विज्ञान में महिलाएं’ सिर्फ एक विषय नहीं है, बल्कि यह एक सचेत विकासात्मक प्रतिमान है। भारतीय विज्ञान में लैंगिक समानता स्थापित करने की बात करते समय हमें प्रतीकात्मक से समग्र प्रयासों की ओर बढ़ना चाहिए।"
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम तकनीक जैसी नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और सभी प्रयासों में वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने विकिपीडिया व डीडी साइंस जैसी हालिया और आगामी विज्ञान संचार परियोजनाओं का भी उल्लेख किया।
इस मौके पर, ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, फरीदाबाद की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर गगनदीप कांग ने विशेष वक्तव्य दिया। प्रोफेसर कांग मशहूर वैज्ञानिक और रॉयल सोसायटी की पहली भारतीय महिला फेलो हैं। समारोह के दौरान सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे, जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ रेनू स्वरूप और भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजराघवन मौजूद थे।
(इंडिया साइंस वायर)
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