बायोटेक क्षेत्र की प्रगति में महिला उद्यमिओं की भूमिका अहम
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग में महिला वैज्ञानिकों को आकर्षित करने और बेरोजगार महिला वैज्ञानिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए विशेष योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
बायोटेक स्टार्टअप के क्षेत्र में भारत, महिलाओं के लिए विशिष्ट परियोजनाओं से महिलाओं के नेतृत्व वाली परियोजनाओं की ओर बढ़ रहा है। भारत अगले 04 वर्षों में बायोटेक क्षेत्र को 70 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से 150 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने की ओर देख रहा है। इस लक्ष्य को महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना पूरा नहीं किया जा सकता। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है।
नई दिल्ली में आयोजित बायोटेक स्टार्ट-अप्स प्रदर्शनी (एक्सपो) में “75 महिला बायोटेक उद्यमियों का संग्रह” और “स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के दौरान निर्मित 75 बायोटेक उत्पाद" पर आधारित पुस्तिकाओं के विमोचन के अवसर पर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि महिला उद्यमी-स्वामित्व वाली बायोटेक कंपनियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। उन्होंने कहा कि महिला वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष, परमाणु विज्ञान, ड्रोन और नैनो-प्रौद्योगिकी में अपनी जगह बनायी है, और वर्ष 2023 में शुरू होने वाले ‘गगनयान’ मिशन सहित कई बड़ी वैज्ञानिक परियोजनाओं का नेतृत्व महिला वैज्ञानिक कर रही हैं।
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डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी ) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) में महिला वैज्ञानिकों को आकर्षित करने और बेरोजगार महिला वैज्ञानिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए विशेष योजनाएं संचालित की जा रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाजार की स्थिति, विभिन्न व्यावसायिक अवसरों तक पहुँच और व्यवसाय स्वामित्व की दुनिया में महिला उद्यमियों की छलांग लगाने की तत्परता एक विजयी ट्रिफेक्टा बनाती हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्टार्टअप्स को सहायता और सक्षम वातावरण प्रदान किया गया है, जिससे पिछले 08 वर्षों के दौरान देश में बायोटेक स्टार्टअप्स की संख्या 50 से बढ़कर 5,000 से अधिक हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि जैव-प्रौद्योगिकी, जैव-अर्थव्यवस्था को संचालित करने वाली प्रमुख सक्षम तकनीक है, जिसे एक उभरते क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत, जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूरे विश्व में 12वाँ, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तीसरा और विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है। डॉ सिंह ने कहा कि अगले 25 वर्षों की अमृतकाल अवधि में इस इकोसिस्टम और नवाचार की संस्कृति के निर्माण व इसकी सहायता करने के लिए छोटे व बड़े उद्योग और शिक्षाविदों को एक साथ आना होगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने बायोटेक अनुसंधान में महिला वैज्ञानिकों की भागीदारी बढ़ाने और क्षमता निर्माण के लिए बायोकेयर कार्यक्रम शुरू किया है। उन्होंने कहा कि बायोटेक उद्यमिता में महिलाओं को पुरस्कृत करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक) ने टीआईई, दिल्ली की सहभागिता में विनर अवार्ड (उद्यमी अनुसंधान में महिला) की शुरुआत की है। बाइरैक की यह पहल महिला विशिष्ट बायो-इनक्यूबेटरों के साथ सभी महिला स्टार्टअप्स को उत्कृष्टता प्राप्त करने में सहायता प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है।
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डीबीटी सचिव डॉ राजेश एस. गोखले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बायोटेक स्टार्टअप एक्स्पो-2022 की अध्यक्षता करने, और देश को 'आत्मनिर्भर' बनाने की चुनौती अपनाने के लिए युवा मस्तिष्क को प्रेरित करने के लिए धन्यवाद दिया। डॉ गोखले ने केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह को उनकी सहायता और नेतृत्व के लिए भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि डीबीटी, इस गति को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए हर तरह के प्रयास को सुनिश्चित करेगा।
बायोटेक स्टार्टअप एक्स्पो के दूसरे दिन प्रख्यात पैनलिस्टों और कारपोरेट हस्तियों की मौजूदगी में स्टार्टअप पिचिंग सत्र के साथ बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) बैठकें आयोजित की गईं। इस पिचिंग सत्र में विनिर्माता, निवेशक, व्यवसायिक सलाहकार, एबीएलई, सीआईआई, फिक्की, एफएसआईआई, एआईएमईडी के औद्योगिक प्रतिनिधि, अकादमिक निदेशक व प्रोफेसर और व्यावसायिक सलाहकार (टीआईई) ने हिस्सा लिया।
(इंडिया साइंस वायर)
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