डीआरडीओ द्वारा प्रौद्योगिकी विकास के लिए दिये जाने वाले अनुदान में पाँच गुनी वृद्धि
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक ताजा वक्तव्य में केंद्रीय बजट 2022-23 का हवाला देते हुए कहा गया है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत निजी उद्योग, स्टार्टअप और शिक्षाविदों के लिए रखा गया था।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना (टीडीएफ) के अंतर्गत प्रदान किया जाने वाला अनुदान बढ़ाकर पाँच गुना कर दिया गया है। इस बढ़ोतरी के बाद प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना के अंतर्गत मिलने वाले 10 करोड़ रुपये की अनुदान राशि बढ़कर अब 50 करोड़ रुपये प्रति परियोजना कर दी गई है।
प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना का उद्देश्य रक्षा अनुप्रयोगों के लिए अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणालियों का निर्माण और रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है। यह कार्यक्रम डीआरडीओ द्वारा कार्यान्वयित किया जा रहा है, जो थलसेना, नौसेना, वायुसेना और डीआरडीओ की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
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रक्षा मंत्रालय का यह कार्यक्रम मेक इन इंडिया अभियान का हिस्सा है। इसके अंतर्गत स्वदेशी घटकों, उत्पादों, प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए सार्वजनिक/निजी उद्योगों; विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्टअप्स की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक ताजा वक्तव्य में केंद्रीय बजट 2022-23 का हवाला देते हुए कहा गया है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत निजी उद्योग, स्टार्टअप और शिक्षाविदों के लिए रखा गया था। बढ़ा हुआ अनुदान बजट घोषणा के अनुरूप है, जिससे रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।
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टीडीएफ योजना का उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर करने के लिए रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित करके रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन प्रदान करना है। यह योजना कुल परियोजना लागत के 90 प्रतिशत तक की सुविधा प्रदान करती है और उद्योगों को अन्य उद्योग/शिक्षाविदों के साथ मिलकर काम करने की अनुमति देती है।
रक्षा मंत्रालय के वक्तव्य में कहा गया है कि बढ़ी हुई फंडिंग के साथ, उद्योग और स्टार्टअप मौजूदा और भविष्य की हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों के लिए अधिक जटिल तकनीकों को विकसित करने में सक्षम होंगे। टीडीएफ योजना के तहत अब तक 56 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।
(इंडिया साइंस वायर)
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