नये बायो-इन्क्यूबेशन केंद्र से जम्मू-कश्मीर में स्टार्टअप कल्चर बढ़ने की उम्मीद
हिमालय के जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बसे जम्मू-कश्मीर में सुगंधित तेल उत्पादों, औषधीय मशरूम, न्यूट्रासटिकल उत्पादों, हर्बल दवाओं और वेलनेस उद्योग में अपार संभावनाएं हैं। यह स्थिति बायोटेक स्टार्ट-अप के लिए एक बेहतर उद्यमशीलता क्षमता प्रदान करती है।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिकी अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की जम्मू स्थित प्रयोगशाला- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (सीएसआईआर-आईआईआईएम) में बायोनेस्ट (BioNEST) इन्क्यूबेशन सेंटर शुरू हो गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा बायोनेस्ट की शुरुआत की गई है।
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बायोनेस्ट के आरंभ से जम्मू-कश्मीर में सुगंधित एवं औषधीय पौधों पर आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा जम्मू-कश्मीर में जैव प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन देने और स्थानीय युवाओं में उद्यमीय दृष्टिकोण एवं कौशल विकसित करने के उद्देश्य से बायोनेस्ट इन्क्यूबेशन सेंटर को डिजाइन किया गया है।
हिमालय के जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बसे जम्मू-कश्मीर में सुगंधित तेल उत्पादों, औषधीय मशरूम, न्यूट्रासटिकल उत्पादों, हर्बल दवाओं और वेलनेस उद्योग में अपार संभावनाएं हैं। यह स्थिति बायोटेक स्टार्ट-अप के लिए एक बेहतर उद्यमशीलता क्षमता प्रदान करती है। प्रतिभाशाली युवाओं और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद इस क्षेत्र में उद्यमिता का अभाव रहा है। बायोनेस्ट की स्थापना इस खाई को पाटने में कारगर हो सकती है।
बायोनेस्ट इनक्यूबेशन केंद्र का उद्देश्य उद्यमीय विचारों को प्रोत्साहित करना, और इस क्षेत्र के युवाओं के बीच स्टार्ट-अप संस्कृति का पोषण करना है। यह इन्क्यूबेशन केंद्र स्टार्टअप्स को उत्पाद विकास चक्र के दौरान समग्र समर्थन, सलाह और पोषण के जरिये मुख्यधारा में शामिल होने में मदद करने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। औषधीय एवं सुगंधित पौधों पर आधारित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने में नया इन्क्यूबेशन केंद्र विशेष भूमिका निभा सकता है।
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केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि स्टार्टअप कॉन्सेप्ट आखिरकार जम्मू में भी रफ्तार पकड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर-आईआईआईएम द्वारा पहले ही 64 स्टार्टअप पंजीकृत किए जा चुके हैं, और कई अन्य स्टार्टअप्स बायोनेस्ट द्वारा प्रदान किये जा रहे आजीविका से जुड़े समर्थन एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाने के लिए लगातार संपर्क में हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बायोनेस्ट के उद्घाटन के अवसर पर बताया कि सीएसआईआर-आईआईआईएम में पंजीकृत स्टार्टअप्स द्वारा 14 उत्पाद विकसित किए जा चुके हैं, जिनमें से चार उत्पाद बाजार में पहुँच चुके हैं। डॉ सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान सीएसआईआर-आईआईआईएम द्वारा अरोमा मिशन की शुरुआत की गई है, जिससे युवाओं और किसानों के लिए रोजगार एवं आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हुआ है। जम्मू में लैवेंडर की खेती से हुई ‘बैंगनी क्रांति’ का उदाहरण देते हुए कहा कि इस क्षेत्र लैंवेडर की खेती परिवर्तनकारी साबित हुई है।
डॉ सिंह ने बताया कि मुंबई स्थित अजमल बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, अदिति इंटरनेशनल और नवनेत्री गमिका जैसी प्रमुख कंपनिया सुगंधित तेल खरीद रही है, जिससे सुगंधित पौधों की खेती कर रहे किसानों एवं युवाओं को अपना उत्पाद बेचने के लिए बाजार तलाशने जैसी व्यावसायिक चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
सीएसआईआर-आईआईआईएम, जहाँ यह इन्क्यूबेशन केंद्र स्थापित किया गया है, को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए उच्च मूल्य के उत्पादों की खोज और विकास के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे एवं वैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए जाना जाता है। वर्ष 1942 में ड्रग लेबोरेटरी (अब सीएसआईआर-आईआईआईएम) के रूप में अपनी स्थापना के बाद से यह राष्ट्रीय प्रयोगशाला जम्मू-कश्मीर में मजबूत अनुसंधान तथा विकास आधार विकसित करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
(इंडिया साइंस वायर)
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