आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रणाली को और सक्षम बना सकता है नया कृत्रिम न्यूरॉन
शोध के माध्यम से मौजूदा आधुनिक एडॉप्टिव थ्रेसोल्ड स्पाइकिंग न्यूरॉन्स की तुलना में अधिक सटीक, तेज अभिसरण और कुशल हार्डवेयर कार्यान्वयन में लचीला स्पाइकिंग न्यूरॉन मॉडल प्रदर्शित किया गया है। नया समाधान कम न्यूरॉन्स के साथ उच्च प्रदर्शन प्राप्त करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में दुनियाभर में नित नये आयाम गढ़े जा रहे हैं। इस दिशा में कार्य करते हुए भारतीय शोधकर्ताओं को एक नयी उपलब्धि हाथ लगी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के शोधकर्ताओं ने अपने ताजा अध्ययन में मस्तिष्क से प्रेरित एक ऐसा कृत्रिम न्यूरॉन विकसित किया है, जो एक सटीक और कुशल न्यूरोमॉर्फिक आर्टिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्रणाली के निर्माण में उपयोगी हो सकता है।
इसे भी पढ़ें: विकसित हुई घर बैठे कोरोना संक्रमण के स्वयं परीक्षण की इलेक्ट्रॉनिक तकनीक
न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी के उस क्षेत्र को संदर्भित करता है, जहाँ इंजीनियर मानव मस्तिष्क के काम से प्रेरित बुद्धिमान मशीनों के निर्माण की कोशिश करते हैं। यह माना जाता है कि मस्तिष्क के भीतर बुद्धि को बढ़ाने वाले सबसे महत्वपूर्ण बिल्डिंग ब्लॉक्स न्यूरॉन और सिनेप्स होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन की अंतर्विषयक प्रकृति होने के कारण यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता), न्यूरोमॉर्फिक हार्डवेयर और नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ता है।
आईआईटी, दिल्ली के विद्युत इंजीनियरी विभाग के प्रोफेसर मनन सूरी के नेतृत्व में विकसित किए गए इस नये ‘स्पाइकिंग’ न्यूरॉन मॉडल का नाम DEXAT (Double EXponential Adaptive Threshold neuron) रखा गया है। यह शोध महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पीच रेकोग्निशन जैसे वास्तविक अनुप्रयोगों के लिए सटीक, तेज और ऊर्जा-कुशल न्यूरोमॉर्फिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सिस्टम बनाने में प्रयुक्त हो सकता है।
नये विकसित किए गए कृत्रिम न्यूरॉन की विशेषताओं में न्यूरोमॉर्फिक प्रोसेसिंग के लिए DEXAT नामक नया मल्टी टाइम स्केल स्पाइकिंग न्यूरॉन मॉडल शामिल है। इस अध्ययन में, उभरते नैनो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर आधारित नये न्यूरॉन मॉडल का कुशल हार्डवेयर प्रदर्शन एवं रीयल-टाइम Spatio-Temporal न्यूरोमॉर्फिक प्रोसेसिंग का सफल हार्डवेयर प्रदर्शन किया गया है।
प्रोफेसर मनन सूरी ने बताया है कि “हम सेमीकंडक्टर मेमोरी प्रौद्योगिकी के सभी पहलुओं और अकादमिक एवं औद्योगिक भगीदारी के साथ इसके उभरते अनुप्रयोगों पर व्यापक शोध कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमने सरल भंडारण से परे मेमोरी टेक्नोलॉजी के अनेक नये-नये उपयोगो को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है। इन-मेमोरी-कंप्यूटिंग, न्यूरोमॉर्फिक-कंप्यूटिंग, एज-एआई (edge AI), सेंसिंग और हार्डवेयर-सुरक्षा जैसे अनुप्रयोगों के लिए सेमीकंडक्टर मेमोरी का कुशलतापूर्वक उपयोग किया गया है। यह शोध विशेष रूप से एडेप्टिव स्पाइकिंग न्यूरॉन्स के निर्माण के लिए नैनो स्केल ऑक्साइड-आधारित मेमोरी डिवाइस एनालॉग गुणों का उपयोग करता है।”
इसे भी पढ़ें: केवीपीवाई फेलोशिप के लिए 25 अगस्त तक छात्र कर सकते हैं आवेदन
इस शोध के माध्यम से मौजूदा आधुनिक एडॉप्टिव थ्रेसोल्ड स्पाइकिंग न्यूरॉन्स की तुलना में अधिक सटीक, तेज अभिसरण और कुशल हार्डवेयर कार्यान्वयन में लचीला स्पाइकिंग न्यूरॉन मॉडल प्रदर्शित किया गया है। नया समाधान कम न्यूरॉन्स के साथ उच्च प्रदर्शन प्राप्त करता है। इससे संबंधित लाभ कई डेटा सेट पर दिखाए गए हैं। गूगल स्पोकन कमांड डेटासेट पर 91% की वर्गीकरण सटीकता हासिल की गई है । इस शोध कार्य पर एक पेटेंट भी दायर किया गया है ।
शोधकर्ताओं ने एक हाइब्रिड नैनो डिवाइस आधारित हार्डवेयर का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है। अत्याधिक डिवाइस परिवर्तनशीलता के साथ भी प्रस्तावित नैनो-डिवाइस न्यूरोमॉर्फिक नेटवर्क ने 94% सटीकता प्राप्त की, जिससे इसकी मजबूती का संकेत मिलता है।
यह अध्ययन शोध पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित किया गया है। इस शोध कार्य में प्रोफेसर मनन सूरी के अलावा दो अन्य शोधार्थी अहमद शाबान और साई सुक्रुथ बेजुगम शामिल हैं।
(इंडिया साइंस वायर)
अन्य न्यूज़