3 सालों में योगी ने किया UP का कायाकल्प, फिलहाल नहीं दिख रहा उनका कोई विकल्प
मोदी के बाद योगी पर ही भाजपा का दारोमदार है। क्योंकि हिन्दुत्ववादी चेहरे के साथ ही देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं। जिस तरह वह नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद बड़ी हिंसा को काबू करने में सफल रहे इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपने कार्यकाल के सफलतापूर्वक तीन साल पूरे कर रही है। विकास के साथ—साथ सुरक्षा, शांति, समरसता और समृद्धि के रास्ते पर उत्तर प्रदेश निरन्तर बढ़ रहा है। नि:संदेह योगी सरकार के तीन साल का काम सपा और बसपा के 15 साल के कार्यकाल पर भारी पड़ रहा है। जो काम सपा बसपा की सरकारें 15 साल में नहीं कर पायीं, वह कार्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महज तीन साल में कर दिखाया है। योगी ने जो तय किया वह किया, जो ठान लिया उसे समय पर पूरा कर दिखाया। कड़क मिजाजी उनके कार्यों में भी बखूबी देखने को मिल रही है।
कठोर परिश्रम और त्वरित निर्णय के अलावा शुचिता समन्वय योगी आदित्यनाथ की पहचान है। वह सतत राष्ट्र साधना में रत मोदी के नक्शेकदम पर चलने वाले दूसरे राजनेता हैं। मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले काम किया था गौरक्षा का। अवैध बूचड़खाने बंद कराये। बड़ा बजट आवंटन कर प्रदेशभर में गौशालाओं का निर्माण कराया। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देते हुए अयोध्या और काशी की तस्वीर बदलने का काम किया। नागरिकों की सुरक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता होती है। इसलिए योगी ने अपराधियों को ठिकाने लगाने का काम किया। बड़ी संख्या में इन्काउन्टर किये गये। परिणाम स्वरूप प्रदेश में शांति व्यवस्था कायम हुई। बिजली पानी सड़क स्वास्थ्य सुरक्षा में प्रदेश को अव्वल बनाया।
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योगी ने सबके प्रति समत्व भाव रखते हुए सरकारी योजनाओं को बिना भेदभाव के हर वर्ग तक पहुंचाया। जबकि पूर्ववर्ती सरकारों में जाति मत मजहब के आधार पर काम होता था। जैसे हठयोग सम्पूर्ण शरीर की जड़ता को दूर कर शरीर मन बुद्धि को सबल एवं चैतन्य युक्त बनाती है उसी प्रकार योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में व्याप्त जड़ता को दूर कर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में लगे हैं।
यही कारण है कि देश में कहीं भी चुनाव हो मोदी अमित शाह के बाद सर्वाधिक मांग योगी आदित्यनाथ की ही रहती है। उन्होंने विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नकेल कसने का काम किया। जबकि पूर्ववर्ती सरकारों में कई नेताओं व नौकरशाहों ने भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार करते हुए संपत्ति अर्जित की। जौहर यूनीवर्सिटी के नाम पर सरकारी जमीन हड़पने वाले आजम खां आज जेल की हवा ले रहे हैं। आजम खां पर कार्रवाई कर योगी ने एक बड़ा संदेश देने का काम किया है। बहन बेटियों की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो फोर्स का गठन किया। एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन कर सरकारी भूमि को भूमाफिआयों से मुक्त कराया। मुख्यमंत्री ने जहां परम्परागत उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट लांच किया, वहीं प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देते हुए अयोध्या मथुरा काशी को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है। योगी सरकार प्रदेश के 400 महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। इस योजना के तहत प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक पर्यटन केंद्र विकसित किया जायेगा। इनमें ऋषियों-मुनियों के आश्रम, ऐतिहासिक किले, शहीद स्थल, स्मारक, नदियों के तट और उनके उद्गम स्थल शामिल किये गये हैं। योगी सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए विभागों में ई-ऑफिस और सड़क, शराब व खनन पट्टों के आवंटन में ई-टेंडर व्यवस्था लागू की। तो वहीं सरकारी अनुदान लाभार्थियों के खाते में सीधे भेजने की व्यवस्था की गयी। राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए ई-पॉश मशीन का प्रयोग शुरू किया गया। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने आम लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सहयोग के लिए एंटी करप्शन पोर्टल शुरू किया। इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं लेकिन जो भ्रष्टाचार का काकश नीचे तक फैला है उसे तोड़ने के लिए कठोर प्रहार की जरूरत है। चिकित्सा शिक्षा में भी सुधार हो रहा है। पुलिस विभाग आज भी मनमाने ढंग से चल रहा है। जितनी स्वतंत्र वर्तमान में यूपी पुलिस है, उतनी आजादी पुलिस को किसी की सरकार में नहीं रही है। आज पुलिस के भाव इतने बढ़ गये हैं कि सत्ता पक्ष के सांसद, विधायक की भी पुलिस नहीं सुन रही है। पुलिस महकमे को दबाव से मुक्त होना चाहिए लेकिन यूपी पुलिस इतनी भरोसेमंद नहीं है जितना योगी जी समझ रहे हैं।
योगी ने हार-जीत की परवाह किए बिना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों का नोएडा न जाने का मिथक कई बार तोड़ा। दिल्ली में जब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसा और उपद्रव शुरू हुआ तो इसकी आंच उत्तर प्रदेश में भी लगी। विरोधियों ने चिंगारी उदगारने का काम किया। यूपी में भी कई जिलों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये। नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में यूपी को जलाने की साजिश रची गयी थी। योगी आदित्यनाथ ने स्थिति को भांपते हुए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदेश में हुए रियेक्शन पर जो एक्शन लिया है वह काबिले तारीफ है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदर्शन के दौरान हुए सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों द्वारा कराकर एक नयी परम्परा की शुरूआत की है। उपद्रवियों से निपटने के योगी के इस फार्मूले को अपनाने के लिए अन्य प्रांतीय सरकारें विचार कर रही हैं।
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योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को सुलगने से बचा लिया गया। मोदी के बाद योगी पर ही भाजपा का दारोमदार है। क्योंकि हिन्दुत्ववादी चेहरे के साथ ही देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं। जिस तरह वह नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद बड़ी हिंसा को काबू करने में सफल रहे इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। योगी सरकार राष्ट्रहित में कठोर निर्णय लेने के लिए जानी जाएगी। इन सब विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए योगी आदित्यनाथ ने जो तरीका अपनाया वह स्वागत योग्य कदम था। क्योंकि जब प्रदर्शनकारी पूरी तैयारी के साथ प्रदर्शन करने आये थे तो पुलिस ने भी हाथ साफ करने में कोर कसर नहीं छोड़ी। शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए दण्ड जरूरी है। इसलिए दंगाइयों के खिलाफ जिस तरह की कार्रवाई योगी सरकार ने की है वो पूरे देश में एक मिसाल बन चुकी है। यही कारण है कि जिस वक्त दंगाई दिल्ली को जला रहे थे, उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कैमरे के सामने दहाड़ रहे थे कि किसी में हिम्मत हो तो उत्तर प्रदेश में बवाल करके देखे। इसी का परिणाम रहा कि दिल्ली कई दिन जलती रही, जबकि उत्तर प्रदेश में उपद्रवी घरों में दुबके रहे। दिल्ली से पहले लखनऊ में भी एक दिन जमकर उपद्रव हुआ था। दंगाइयों ने महिलाओं-बच्चों को आगे खड़ा करके दिनभर खूब हिंसा, लूटपाट और आगजनी की थी। तमाम सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ। महिलाओं-बच्चों की ढाल के चलते पुलिस कुछ कर नहीं पाई। दूसरे दिन जब प्रदर्शन हुआ तो उन्हें सबक सिखाया गया। उनकी पहचान के लिए योगीजी ने नया रास्ता निकाला। उपद्रवियों की वीडियो फुटेज निकलवाकर शहरभर में इनकी होर्डिंग लगवा दी और वसूली के नोटिस इनके घरों के दरवाजों पर चस्पा करवा दिए। उपद्रवियों पर गैंगेस्टर एक्ट लग गये। इस कार्रवाई से दंगाइयों की हवा निकल गई।
मुस्लिम आक्रांताओं ने साम्राज्य वाली मानसिकता का परिचय देते हुए हमारे स्थलों को तोड़ा था। ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदल बदले। जब से योगी मुख्यमंत्री बने, गुलामी के प्रतीक को हटाने और असली नाम यानि जो नाम पहले था उसको दुबारा करने का काम कर रहे हैं। सम्पूर्ण भारत आज अयोध्या और काशी की प्राचीनता, आध्यात्मिकता और धरोहरों पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है। काशी अपनी पुरातन काया बरकरार रखते हुए नये कलेवर में आगे बढ़ रही है। पुरातन परम्पराओं को अक्षुण्ण रखते हुए साधन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। काशी में देव दीपावली व शिवरात्रि, अयोध्या में दीपोत्सव व रामनवमी, मथुरा में रंगोत्सव व जन्माष्टमी को सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल करने का कार्य किया। बहुत से स्थानीय मेलों को प्रान्तीयकरण किया गया। जबकि अभी तक 84 कोसी परिक्रमा, विश्व विख्यात स्थल नैमिषारण्य और बरसाने की प्रसिद्ध लट्ठमार होली जिसको देखने भारत ही नहीं विश्व के कोने—कोने से लोग आते हैं। अभी तक यह प्रान्तीय मेले की श्रेणी में शामिल नहीं थे। शासन सत्ता की कुछ मर्यादाएं होती हैं। लेकिन योग धर्म संन्यास धर्म निभाते हुए जिस तरह शासन सत्ता की मर्यादाओं का पालन करते हुए राजधर्म का निर्वहन योगी कर रहे हैं वह अपने आप में बेमिसाल है।
-बृजनन्दन राजू
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