Nuh में अगर झगड़ा सिर्फ Hindu-Muslim का था तो दंगाइयों ने पुलिस को निशाने पर क्यों ले लिया?
हम आपको यह भी बता दें कि मेवात के गांवों में साइबर ठग तैयार करने के लिए ट्रेनिंग कोर्स भी करवाया जाता है। बताया जा रहा है कि ये कोर्स 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक का होता है। लगभग सात दिन के गहन प्रशिक्षण के बाद ठग तैयार कर दिए जाते हैं।
हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के मामले में गिरफ्तार किये गये लोग पुलिस के सामने जो कुछ कबूल कर रहे हैं वह काफी चौंकाने वाला है। बताया जा रहा है कि हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किये गये लोगों ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने अवैध हथियारों से फायरिंग की थी। यही नहीं, जांच में यह बात भी सामने आ रही है कि हिंसा में रोहिंग्या भी शामिल थे। रोहिंग्याओं की भूमिका दिल्ली दंगों में भी सामने आयी थी। वैसे देखा जाये तो नूंह में हुई इस साम्प्रदायिक हिंसा में नुकसान हिंदू का भी हुआ है और मुसलमान का भी। लेकिन सवाल उठता है कि पुलिस को क्यों नुकसान पहुँचाया गया? इसका जवाब यह है कि दरअसल झारखंड के जामताड़ा की तरह हरियाणा का मेवात भी ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों का अड्डा बनता जा रहा था इसलिए पुलिस यहां लगातार दबिश दे रही थी। पुलिस की दबिश और छापों के जरिये ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों को काफी नुकसान हो रहा था इसलिए उनके मन में पुलिस के विरुद्ध काफी गुस्सा भरा हुआ था। सोमवार को विश्व हिंदू परिषद की जलाभिषेक यात्रा पर हमला करने के दौरान जब पुलिस श्रद्धालुओं के बचाव में उतरी तो उसे भी निशाने पर ले लिया गया।
दो होम गार्ड जवानों की मौत होना, SHO पर गोलीबारी और दर्जनों पुलिसकर्मियों को घायल करना दर्शाता है कि धार्मिक यात्रा के अलावा दंगाइयों का दूसरा सबसे बड़ा निशाना पुलिस थी। दरअसल साइबर ठगी के मामले में भारत का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन चुके मेवात में पुलिस की कार्रवाइयों के चलते इन लोगों का धोखाधड़ी का धंधा चौपट हो रहा था। इन लोगों की करोड़ों रुपए की हेराफेरी पकड़ी जा चुकी थी। इस सबके चलते यहां के गांवों में पुलिस के खिलाफ आक्रोश देखने को मिल रहा था। इन लोगों को मौका उस दिन मिल गया जिस दिन विश्व हिन्दू परिषद की यात्रा निकली। दंगाइयों ने उपद्रव की आड़ में साइबर पुलिस स्टेशन को इसलिए बुरी तरह फूंक डाला ताकि उनके धोखाधड़ी के रिकॉर्ड जल जायें। बताया यह भी जा रहा है कि दंगाइयों ने अन्य पुलिस स्टेशनों को छोड़ कर सिर्फ साइबर पुलिस थाने को इसलिए निशाना बनाया ताकि गांव वालों के खिलाफ दर्ज एफआईआर समेत सारे रिकॉर्ड मिट जायें।
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बताया यह भी जा रहा है कि एक साइबर ठग सैकुल खान की हाल में पुलिस हिरासत में मौत हो गयी थी, इस बात को लेकर भी गांव वाले पुलिस के खिलाफ भड़के हुए थे इसलिए जैसे ही उनको मौका मिला उन्होंने अपना गुस्सा दिखा दिया। सैकुल खान के बारे में गांव वालों का कहना है कि वह पुलिस हिरासत में टॉर्चर के दौरान मारा गया जबकि पुलिस का कहना है कि 22 जुलाई को सैकुल को साँस लेने में दिक्कत आई थी जिसका अस्पताल से इलाज करवा कर फिर वापस थाने लाया गया था। 23 जुलाई को सैकुल को फिर साँस लेने में आ रही दिक्कत के चलते अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।
हम आपको यह भी बता दें कि मेवात के गांवों में साइबर ठग तैयार करने के लिए ट्रेनिंग कोर्स भी करवाया जाता है। बताया जा रहा है कि ये कोर्स 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक का होता है। लगभग सात दिन के गहन प्रशिक्षण के बाद ठग तैयार कर दिए जाते हैं। इस तरह की मीडिया रिपोर्टें हैं कि तैयार किए गए ठगों को बैंक अकाउंट खोलने के लिए नकली सिम कार्ड और डॉक्यूमेंट्स भी दिए जाते हैं। यहां पर जो कोर्स कराये जाते हैं उनमें 'सेक्सटॉर्शन या हनीट्रैप वाला कोर्स सबसे महंगा बताया जाता है। इस कोर्स की अवधि भी सबसे ज्यादा यानि तीन महीने की है। यह भी बताया जाता है कि प्रशिक्षण हासिल करने के बाद अपराधी खेतों से काम करते हैं क्योंकि वहां फोन को ट्रैक कर पाना बहुत मुश्किल होता है।
इस सबके चलते हालात ऐसे हो गये हैं कि मेवात को देशभर में साइबर अपराधों की राजधानी भी कहा जाने लगा है। हनी ट्रैप में फँसाना हो, वर्क फ्रॉम होम का प्रस्ताव देकर लोगों को फँसाना हो, बैंक खातों में ऑनलाइन फ्रॉड करना हो, ओएलएक्स या ऐसी ही किसी अन्य वेबसाइट पर सामान की खरीद-बिक्री के विज्ञापन देकर लोगों को फँसाना हो, यूट्यूब लाइक के जरिये लोगों को घर बैठे कमाई के ऑफर देकर उनके पैसे हड़पने हों या ओटीपी पूछकर पैसे निकालने हों...ऐसे सारे खेल मेवात से ही चलते हैं।
बहरहाल, अब हरियाणा सरकार इन आर्थिक अपराधियों को बख्शने के मूड़ में नहीं है। इस इलाके में स्लमों पर बुलडोजर चलवा दिया गया है। बताया जा रहा है कि देश के कई भागों से आकर यहां लोग बस जाते थे और आर्थिक तथा अन्य प्रकार के अपराध करते थे। हरियाणा प्रशासन ने नूंह जिले के तावडू में अवैध अतिक्रमण को जिस तरह से हटाया है, उससे प्रदर्शित हुआ है कि कभी कभी कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए बाबा का बुलडोजर चलाना ही पड़ता है।
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