गोवा में भाजपा बनायेगी सरकार या कांग्रेस को मिलेगा मौका ? पढ़ें राजनीतिक हालात का सटीक ब्यौरा
कांग्रेस के लिए यह भी कहा जा रहा है कि यदि राज्य में सरकार बनानी है तो उसे भितरघातियों से सावधान रहना होगा। हम आपको बता दें कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस इस बार गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है।
गोवा में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। राज्य में 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 10 मार्च को चुनाव परिणाम आयेंगे। एक ओर जहां सभी राजनीतिक दल इस बार अपनी-अपनी सरकार बनने के दावे प्रस्तुत कर रहे हैं तो वहीं राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस पिछली बार की तरह इस बार भी चौंका सकती है और या तो वह सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है या फिर बहुमत के करीब भी पहुँच सकती है। गोवा के वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि विधानसभा की 40 सीटों में से 20 सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं जबकि भाजपा को 15 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के बारे में माना जा रहा है कि वह तीन से चार सीटें हासिल कर सकती है और आम आदमी पार्टी एक या दो सीटों पर चुनाव जीत सकती है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने चूँकि तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है इसलिए उसकी स्थिति पहले की अपेक्षा मजबूत नजर आ रही है और उसके पास संसाधन भी पहले की अपेक्षा ज्यादा नजर आ रहे हैं।
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हालांकि कांग्रेस की बेहतर संभावनाओं के बारे में जो अनुमान लगाये जा रहे हैं वह तभी सही सिद्ध होंगे जब पार्टी राजनीति के पुराने खिलाड़ियों को मैदान में उतारने की बजाय नये लोगों को मौका देगी। फिलहाल कांग्रेस में मची जबरदस्त भगदड़ को देखते हुए इस पार्टी को यहां जितना कमजोर माना जा रहा है असल में ऐसी स्थिति नहीं है क्योंकि राज्य में सत्ता विरोधी लहर पर यदि भाजपा ने काबू नहीं किया तो कांग्रेस का काम आसान हो सकता है। कांग्रेस के लिए यह भी कहा जा रहा है कि यदि राज्य में सरकार बनानी है तो उसे भितरघातियों से सावधान रहना होगा। हम आपको बता दें कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस इस बार गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है। वैसे कांग्रेस का मुख्य चुनावी मुकाबला भले भाजपा से है लेकिन उसे चोट पहुँचाने का मुख्य काम तृणमूल कांग्रेस कर रही है जो हर समय सिर्फ इसी बात की ताक में है कि कैसे कांग्रेस के नीचे से जमीन खिसकाई जा सके।
जहां तक भाजपा की बात है तो सत्तारुढ़ दल ने हाल ही में पिछले 10 वर्षों में अपने शासन के प्रदर्शन का एक रिपोर्ट कार्ड पेश किया था जिसका एक वर्ग के बीच प्रभाव दिख रहा है। कई लोगों को यह भी लगता है कि राज्य के विकास को जारी रखने के लिए डबल इंजन वाली सरकार का बने रहना जरूरी है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति रहने पर विकास कार्य प्रभावित होते हैं। भाजपा से जुड़े प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने जनसंपर्क करने और लोगों को डबल इंजन वाली सरकार का महत्व समझाने का काम शुरू भी कर दिया है। हालांकि शहरी इलाकों में तो डबल इंजन वाली सरकार की आवश्यकता को लोग समझ रहे हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में हालात थोड़े अलग नजर आ रहे हैं। हालांकि लोग इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि भाजपा ने गोवा में राजनीतिक अस्थिरता के दौर को समाप्त किया है। पहले स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर और उसके बाद प्रमोद सावंत ने गठबंधन की सरकार को सफलतापूर्वक चला कर दिखाया है।
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भाजपा को उम्मीद है कि साल 2021 में जिस तरह गोवा में जिला पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम चुनावों में भाजपा को शानदार जीत मिली थी वह सिलसिला 2022 के विधानसभा चुनावों में भी जारी रह सकता है। देखा जाये तो वर्षों बाद यह पहला चुनाव है जो मनोहर पर्रिकर की अनुपस्थिति में होगा। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भले सरकार की छवि स्वच्छ रखने में सफल रहे हों लेकिन पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को आज भी लगता है कि उनको दरकिनार कर सावंत को मुख्यमंत्री बनाया गया इसलिए वह प्रमोद सावंत के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ने की वकालत कर रहे हैं। देखना होगा कि क्या भाजपा आलाकमान प्रमोद सावंत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ता है या नहीं। जहां तक भाजपा का मत है उसका कहना है कि राज्य में कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है और पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रहेगी। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत बार-बार डबल इंजन वाली सरकार की बात दोहराते हुए विश्वास व्यक्त कर रहे हैं कि राज्य में भाजपा बहुमत से सरकार बनायेगी।
वहीं आम आदमी पार्टी की बात करें तो वह यहां अपने दिल्ली के विकास मॉडल को प्रदर्शित करते हुए नये और स्वच्छ छवि वाले लोगों के सहारे मैदान में उतरने को तैयार है। लेकिन आम आदमी पार्टी के बारे में लोग यह भी मान रहे हैं कि उसकी सरकार बनेगी नहीं और अगर उसकी एकाध सीटें आईं भी तो त्रिशंकु विधानसभा बनने की स्थिति में आम आदमी पार्टी के विधायक कांग्रेस या भाजपा के साथ जा सकते हैं। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने भी यहां अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। हाल में कांग्रेस के कई नेता तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं। लेकिन पार्टी को प्रचार कार्य के लिए बंगाल से अपने कार्यकर्ताओं को लाकर गोवा में लगाना पड़ा है। आपको गोवा में जगह-जगह टीएमसी के बंगाल से आये कार्यकर्ता मिल जायेंगे जोकि पार्टी के पम्पलेट बांटते फिर रहे हैं।
हम आपको बता दें कि गोवा में विधानसभा चुनावों से पहले दो बड़े गठबंधन बने हैं। कांग्रेस ने जीएफपी के साथ गठबंधन किया है। जीएफपी एक क्षेत्रीय संगठन है, जो 2017 में मनोहर पर्रिकर सरकार का हिस्सा था, जबकि तृणमूल कांग्रेस को एमजीपी के रूप में एक क्षेत्रीय भागीदार मिला है, जिसने शिवसेना के साथ गठबंधन में 2017 का चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में पर्रिकर के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गया था। बहरहाल, जहां तक इस बार डिजिटल चुनाव प्रचार की बात है तो गोवा में सभी राजनीतिक दल इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यहां हर पार्टी का संसाधनों से समृद्ध आईटी सेल है जो अन्य चार राज्यों की अपेक्षा गोवा के चुनाव प्रचार को नये मुकाम पर पहुँचाने के लिए तैयार है।
- नीरज कुमार दुबे
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