विवादित बयान देना आजम की आदत, उन्हें भाव नहीं दें

giving controversial statement is Azam khan habit
अजय कुमार । Jun 30 2017 12:12PM

आजम खान ने अपने ताजा बयान में कहा था कि ''महिला दहशतगर्द फौज के प्राइवेट पार्ट्स को काटकर साथ ले गयीं। उन्हें हाथ से शिकायत नहीं थी, सिर से नहीं थी, पैर से नहीं थी, जिस्म के जिस हिस्से से उनको शिकायत थी, उसे काट के ले गए।''

बेहूदी हरकतों से समाजवादी पार्टी को हाशिये पर पहुंचा चुके सपा के कथित कद्दावर नेता आजम खान पिछले कुछ दिनों से सुर्खियां नहीं बटोर पा रहे थे। आजकल आजम के पास करने के लिये कुछ है नहीं। सत्ता में रहते आजम ने अपने लिये जो 'पाप का घड़ा' भरा था, वह योगी राज में फूटने की कगार पर है। ऐसे में आजम की फजीहत होना लाजिमी है। अब इसको लेकर तो आजम कोई टीका−टिप्पणी कर नहीं सकते हैं तो अनर्गल प्रलाप करके अपना दिल बहला लेते हैं और सुर्खियां अलग से मिल जाती हैं। वह जानते हैं कि हिन्दुतान के मीडिया को सार्थक समाचार की जगह विवादित बयानों पर मिर्च−मसाला छिड़क पर परोसने में ज्यादा मजा आता है। आजम इसी का फायदा उठाकर वर्षों से अपनी सियासत चमकाते चले आ रहे हैं। वर्ना, इतने 'बड़े' नेता के पास अपना काम गिनाने के लिये बहुत कुछ होता। न कि वह पाकिस्तानी हुक्मरानों की तरह बार−बार भारतीय फौज पर कीचड़ उछालते।

इससे पहले भी आजम फौजियों के बीच मजहब की दीवार खड़ी करके उनकी एकजुटता को तोड़ने का प्रयास कर चुके हैं। दरअसल, आजम खान ने अपने ताजा बयान में कहा था कि 'महिला दहशतगर्द फौज के प्राइवेट पार्ट्स को काटकर साथ ले गयीं। उन्हें हाथ से शिकायत नहीं थी, सिर से नहीं थी, पैर से नहीं थी, जिस्म के जिस हिस्से से उनको शिकायत थी, उसे काट के ले गए।' बहरहाल, इतिहास गवाह है कि आजम पहले भी इस तरह के बयान दे चुके हैं। मोदी, योगी, आरएसएस हमेशा उनके निशाने पर रहे हैं। बुलंदशहर रेप कांड पर विवादित बयान के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट से माफी तक मांगना पड़ी थी।

आजम खान की बसपा सुप्रीमो मायावती से पुरानी सियासी अदावत है। उनके लिए आजम ने यहां तक कह दिया था− "दिमागी मरीज अपने आपको मरीज नहीं समझता, फिर घर वालों की जिम्मेदारी है कि उसे रस्सी से बांधकर ले जाएं और उसको जबरदस्ती दवा खिलाएं, उसका इलाज करें।" न्यूज चैनलों के बारे में आजम अपनी सोच जगजाहिर करते हुए यहां तक कह चुके हैं− "मीडिया नरेंद्र मोदी की हिमायत कर रहा है, बिका हुआ है। मोदी का खरीदा हुआ गुलाम है। हमारा दुश्मन है मीडिया।"

आजम की नाराजगी चंद नेताओं या फिर कुछ संस्थाओं तक सीमित नहीं है। वह इतिहास में दर्ज हो चुकी हस्तियों से भी खफा रहते हैं। वे शाहजहां से नाराज हैं कि उसने मुमताज महल के लिए ताजमहल क्यों बनाया? उन्होंने कहा था "मस्जिद के बजाय ताजमहल गिराने चलें तो मैं उसमें आगे चलूंगा, इसलिए कि किसी भी हुकमरान को आम अवाम के खजाने से अपनी महबूबा के लिए ताजमहल बनाने का हक नहीं दिया जा सकता।" आजम अपने काम को लेकर जितना चर्चा में नहीं रहते हैं उतना वो अपने विवादास्‍पद बयान के लेकर सुर्खियों में रहते हैं। जिसके कारण उनकी चौतरफा आलोचना होती है तो उनके 'छपास रोग' को सुकून मिलता है। आजम जौहर विश्वविद्यालय को लेकर यूपी के पूर्व राज्यपालों टीवी राजेश्वर और बीएल जोशी को काफी खरी−खोटी सुना चुके हैं। मौजूदा राज्यपाल राम नाईक के खिलाफ तो सत्ता में रहते आजम विधान सभा तक में अभद्र भाषा का प्रयोग कर चुके हैं, जिसको तत्कालीन विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद ने राज्यपाल से माफी मांग कर ठंडा किया था।

आजम खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना 'रावण' से की थी। उन्होंने मोदी का नाम लिए बगैर कहा था, 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों पर शासन करने वाले 'राजा' रावण का पुतला दहन करने लखनऊ आये लेकिन वह भूल गए कि सबसे बड़ा रावण लखनऊ में नहीं, बल्कि दिल्ली में रहता है। आजम ने कारगिल युद्ध को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा था कि करगिल युद्ध में भारत को जीत हिंदू नहीं, मुस्लिम सैनिकों ने दिलाई थी। आजम खान एक बलात्कार पीड़ित महिला पर भी टिप्पणी कर काफी चर्चा में रहे थे। दरअसल, आजम खान के पास एक मुसलिम महिला खुद के साथ हुए बलात्कार की शिकायत लेकर पहुंची थी, लेकिन आजम खान ने उस पीड़िता के जख्म पर मरहम लगाने की बजाय कहा, अगर इस बदनामी को इतनी शोहरत दोगी तो जमाने को शक्ल कैसे दिखाओगी।

आजम खान देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। उन्‍होंने कहा था, बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाया था ना राजीव साहब, पूरे खानदान का नाम−ओ−निशान मिट गया। यह अल्‍लाह का इंसाफ है। आजम ने रेप की घटना को लेकर भी काफी विवादित बयान दिया था। उन्‍होंने रेप की घटना को फैशन बता डाला था, जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी। उनके बयान की घोर निंदा की गयी थी।

उन्‍होंने युवतियों के साथ रेप की बढ़ रही घटना के लिए मोबाइल फोन को जिम्‍मेदार ठहराया था। विवादास्पद बयानों से सुर्खियां बटोरने के चक्कर में आजम ने यूपी की सियासत में तो अपनी हैसियत गंवा ही दी है, अब तो समाजवादी पार्टी के नेता भी उनसे मुंह चुराने लगे हैं, लेकिन जो हालात नजर आ रहे हैं उससे तो यही लगता है कि आजम सुधरने वाले नहीं हैं बल्कि वह ऐसे बयानों के सहारे आगे बढ़ने की सियासत करते रहेंगे। इसीलिये वह एक के बाद एक विवादित बयान देते रहते हैं।

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