ओबीसी, आदिवासी और ब्राह्मण सीएम का दांव खेल कर मोदी ने विपक्ष को कर दिया चित
ओबीसी कार्ड के जिस दांव के सहारे अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में और तेजस्वी यादव बिहार में कुल मिलाकर लोक सभा की 120 सीटों को साधने की रणनीति बना रहे थे, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में एक यादव मुख्यमंत्री बनाकर विफल कर दिया है।
मोदी-शाह और नड्डा की तिकड़ी ने वो कमाल कर दिखाया है जो आज से महज एक सप्ताह पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था। यह तो सब मान कर चल रहे थे कि अगर भाजपा इस बार छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सत्ता में आती है तो भी रमन सिंह, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे सिंधिया का फिर से मुख्यमंत्री बनना मुश्किल है लेकिन यह सब इतनी आसानी से हो जाएगा और यही तीनों नेता अपने-अपने राज्य में नए मुख्यमंत्री का नाम प्रस्तावित करेंगे, ऐसा किसी ने सोचा तक नहीं था।
लेकिन छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्रियों के चयन ने लोगों और भाजपा नेताओं के साथ-साथ विपक्षी दलों को भी हैरान-परेशान कर दिया है बल्कि अगर यह कहा जाए कि ओबीसी, आदिवासी और ब्राह्मण सीएम का दांव खेल कर मोदी ने विपक्ष को चारों खाने चित कर दिया है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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ओबीसी कार्ड के जिस दांव के सहारे अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में और तेजस्वी यादव बिहार में कुल मिलाकर लोक सभा की 120 सीटों को साधने की रणनीति बना रहे थे, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में एक यादव मुख्यमंत्री बनाकर विफल कर दिया है। ओबीसी यादव मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने यादव नाम के सहारे राजनीतिक दल चलाने वाले अखिलेश यादव और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव के सामने एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने सिर्फ छत्तीसगढ़ का चुनावी गणित ही नहीं साधा है बल्कि देश भर के 10 करोड़ से ज्यादा आदिवासी जनसंख्या को एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी दे दिया है। लोक सभा की 543 सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। ये 47 सीटें छत्तीसगढ़ के अलावा असम, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल सहित 17 राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों से आती है। इन 47 लोक सभा सीटों के अलावा भी 50 से ज्यादा सीटों पर आदिवासी मतदाता जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
अगड़ी जातियों की नाराजगी की खबरों के बीच भाजपा ने राजस्थान में ब्राह्मण चेहरे भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा दांव खेल कर हिंदी भाषी राज्यों के अगड़े वर्ग के वोटरों खासकर ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने का बड़ा प्रयास किया है। अगर भाजपा का यह राजनीतिक दांव चल गया तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित हिंदी पट्टी के राज्यों में भाजपा को जबरदस्त बढ़त मिलना तय जा रहा है क्योंकि खुश होने पर ब्राह्मण जाति सिर्फ वोट देकर घर नहीं बैठ जाते हैं बल्कि यह अपने सामाजिक प्रभाव का इस्तेमाल कर अन्य जातियों का वोट दिलवाने में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
जाहिर है कि नए चेहरों पर दांव खेलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न केवल भविष्य की भाजपा को तैयार कर रहे हैं बल्कि एक बार फिर उन्होंने अपने राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए विपक्षी दलों को चारों खाने चित कर दिया है।
-संतोष पाठक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)
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