बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काट कर यूपी में जनता की नाराजगी दूर करेगी भाजपा !
बैठक के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि भाजपा उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू भी कर चुकी है और जल्द ही प्रदेश में गठबंधन साथियों के साथ बैठक कर यह भी तय किया जायेगा कि कौन-कौन-सी सीटें सहयोगी दलों के खाते में जायेंगी।
उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों का खाका तैयार करने के लिए भाजपा के आला नेताओं ने लगातार दो दिन तक मंथन किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ भाजपा के राज्य चुनाव प्रभारी और सह-प्रभारियों की दो दिवसीय बैठक हुई। बुधवार को हुई प्रारंभिक बैठक एक तरह से परिचयात्मक थी लेकिन गुरुवार की बैठक में राज्य के राजनीतिक माहौल पर विस्तृत चर्चा तो की ही गयी साथ ही आगे किस तरह चुनाव प्रचार संबंधी कार्यक्रम का संचालन करना है इसके लिए रणनीति भी बनाई गयी। बुधवार को दो घंटे तक भाजपा नेताओं ने मंथन किया था और आज की बैठक भी काफी लंबी चली। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की जनसभाएं आयोजित करने के बारे में भी चर्चा की गयी। माना जा रहा है कि दशहरे के आसपास प्रधानमंत्री मोदी का उत्तर प्रदेश में एक बड़ा कार्यक्रम रखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में गृह मंत्री अमित शाह से भी ज्यादा से ज्यादा समय देने का आग्रह किया जायेगा। हालांकि उत्तर प्रदेश के साथ ही पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन भाजपा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सर्वाधिक जन संवाद कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में ही रखने की रणनीति पर काम कर रही है।
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बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटेगी भाजपा!
आज की बैठक से पहले पार्टी प्रदेश कार्यालय में एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया। इस प्रदर्शनी में राज्य की योगी सरकार की उपलब्धियों को दर्शाया गया है। बैठक के बारे में सूत्रों ने बताया है कि इसमें भाजपा की उस आंतरिक रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई है जिसमें यह दर्शाया गया है कि स्थानीय स्तर पर कई विधायकों के खिलाफ जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच नाराजगी की बात सामने आई है लेकिन राज्य सरकार के कामकाज के प्रति संतोष जताया गया है। सूत्रों ने बताया कि एक राय यह भी बन रही है कि बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काट कर नये चेहरों को उम्मीदवार बनाया जाये ताकि निर्वतमान विधायकों के प्रति नाराजगी का असर भाजपा के चुनावी प्रदर्शन पर नहीं पड़े। उल्लेखनीय है कि हाल ही में भाजपा ने कई राज्यों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले मुख्यमंत्रियों तक को बदल दिया है।
योगी, मौर्य और शर्मा को चुनाव लड़ाने की तैयारी
बैठक के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि भाजपा उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू भी कर चुकी है और जल्द ही प्रदेश में गठबंधन साथियों के साथ बैठक कर यह भी तय किया जायेगा कि कौन-कौन-सी सीटें सहयोगी दलों के खाते में जायेंगी और कितनी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। पार्टी इस बात का भी मन लगभग बना चुकी है कि इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा भी चुनाव लड़ेंगे। अभी यह तीनों ही नेता विधान परिषद के सदस्य हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है। केशव प्रसाद मौर्य अपनी पुरानी विधानसभा सीट सिराथु से और डॉ. दिनेश शर्मा लखनऊ की ही किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. दिनेश शर्मा लखनऊ के महापौर भी रह चुके हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पार्टी कुछ बड़े नामों को चुनाव में उतार सकती है और कुछ मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र बदले जाने पर भी विचार हो रहा है।
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क्या कहता है भाजपा का आंतरिक सर्वे?
जहां तक इस दो दिवसीय बैठक की बात है तो इसमें एक चीज उभर कर आई है कि प्रदेश की सुधरी कानून व्यवस्था को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया जायेगा क्योंकि भाजपा का आंतरिक सर्वे इस बात की पुष्टि करता है कि लोगों ने प्रदेश की कानून व्यवस्था में सुधार के मुद्दे पर योगी सरकार को सर्वाधिक अंक दिये हैं। भाजपा का सर्वे यह भी बताता है कि उसे बसपा और कांग्रेस से किसी प्रकार का खतरा नहीं है लेकिन समाजवादी पार्टी पहले की अपेक्षा बहुत मजबूत हुई है। सूत्रों के मुताबिक यह सर्वे यह भी बताता है कि उत्तर प्रदेश में असद्दुदीन ओवैसी कितना भी प्रयास कर लें लेकिन मुस्लिम वोट एकमुश्त होकर समाजवादी पार्टी के खाते में जा रहा है इस स्थिति में अगर कोई और वर्ग समाजवादी पार्टी से जरा भी प्रभावित होकर उसके साथ चला गया तो मुश्किल हो सकती है। इसलिए आने वाले समय में सभी वर्गों को लुभाने के भाजपा के प्रयास और तेज होंगे और योगी सरकार की उपलब्धियों को ज्यादा जोरशोर से प्रचारित भी किया जायेगा। इसके अलावा संगठन स्तर पर निगरानी के लिए अन्य राज्यों के वरिष्ठ भाजपा नेताओं की टीमों को भी उत्तर प्रदेश में जिम्मेदारी सौंपी जायेगी।
बहरहाल, जहाँ तक 2017 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों की बात है तो उसमें भाजपा ने कुल 403 सीटों में से 312 सीटें जीती थीं और उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ गठबंधन में लड़ा था और चार सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में 2019 में वह गठबंधन से बाहर हो गई थी और अब सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर एआईएमआईएम के प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी के साथ मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले लगभग तीन दशकों से कोई पार्टी लगातार दोबारा सत्ता में नहीं लौटी है, देखना होगा कि क्या योगी आदित्यनाथ उस मिथक को तोड़ पाते हैं?
-नीरज कुमार दुबे
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