Jagjit Singh Death Anniversary: जगजीत सिंह की आवाज में था किसी को खोने का दर्द, ऐसे में गजल किंग
आज ही के दिन यानी की 10 अक्तूबर को जगजीत सिंह ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। उन्होंने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं में गाने गाए हैं। उनको लोग 'गजल किंग' के नाम से जाना जाता है।
भारत में जब भी गजल की बात होगी, तो सबसे पहले जगजीत सिंह का नाम लिया जाता है। उनको लोग 'गजल किंग' के नाम से जाना जाता है। आज ही के दिन यानी की 10 अक्तूबर को जगजीत सिंह ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। उन्होंने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं में गाने गाए हैं। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गजक किंग जगजीत सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
राजस्थान में 08 फरवरी 1941 में जगजीत सिंह का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम जगजीवन सिंह था। जिसे उन्होंने बदलकर जगजीत सिंह कर लिया था। जगजीत सिंह ने पंडित छगन लाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान से संगीत की शुरुआती शिक्षा ली थी। फिर वह साल 1965 में अपने परिवार को बिना बताए मुंबई आ गए। मुंबई में गुजारा करने के लिए उनको काफी संघर्षों का सामना करना बड़ा। साल 1961 में अपने कॅरियर की शुरूआत की और ऑल इंडिया रेडियो में गाना गाने लगे।
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कॅरियर
साल 1967 में जगजीत सिंह जब काम ढूंढ रहे थे, तभी उनकी मुलाकार चित्रा दत्ता से हुई, लेकिन उस दौरान चित्रा शादीशुदा थीं। हालांकि इसके बाद भी दोनों एक-दूसरे को अपना दिल दे बैठे। बता दें कि एक इंटरव्यू के दौरान चित्रा ने जगजीत सिंह के साथ अपनी लव स्टोरी के बारे में बताया था। चित्रा ने बताया कि उस दौरान वह 22 साल की थीं, जब उन्होंने पहली बार जगजीत सिंह का गाना सुना था। लेकिन उस दौरान चित्रा को जगजीत की आवाज बिलकुल भी पसंद नहीं आई। लेकिन बाद में धीरे-धीरे चित्रा सिंह उनकी आवाज की दीवानी हो गईं।
गजल किंग बने जगजीत सिंह
बाद में जगजीत सिंह और चित्रा सिंह एक साथ कॉन्सर्ट करते थे। साल 1980 तक जगजीत सिंह गजल किंग बन चुके थे। उन्होंने कई प्राइवेट एलबम के साथ फिल्मों में भी कई गजलें गाईं। जिनमें 'अर्थ', 'जिस्म', 'तुम बिन', 'प्रेम गीत', 'जॉगर्स पार्क' जैसी फिल्में शामिल हैं। कपल का एक बेटा विवेक है। वहीं 20 साल की उम्र में विवेक की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। इस घटना ने चित्रा और जगजीत को तोड़कर रख दिया था।
बेटे की मौत के बाद जगजीत सिंह संगीत की दुनिया से दूर हो जाना चाहते थे। उन्होंने कई महीनों तक गाना नहीं गाया, लेकिन फिर उन्होंने धीरे-धीरे संगीत की दुनिया में वापसी की। बेटे की मौत का सदमा सीने में दबाए बैठे जगजीत ने जगह संगीत की दुनिया में वापसी की, तो उनकी आवाज में किसी के खोने का दर्द साफ झलकता था।
मौत
साल 2003 में भारत सरकार की तरफ से जगजीत सिंह को 'पद्म भूषण' सम्मान से नवाजा गया था। फिर साल 2011 में जगजीत सिंह को यूके में गुलाम अली के साथ परफॉर्म करना था, लेकिन ब्रेन हैमरेज के कारण उनको 23 सिंतबर 2011 को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। इस दौरान वह दो हफ्ते तक कोमा में रहे। लेकिन जगजीत सिंह की हालात बिगड़ती चली गई। वहीं 10 अक्तूबर 2011 को जगजीत सिंह ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
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