Guru Dutt Death Anniversary: अपने कमरे में मृत पाए गए थे गुरु दत्त, बतौर कोरियोग्राफर इंडस्ट्री में रखा था कदम
आज ही के दिन यानी की 10 अक्तूबर को अभिनेता गुरु दत्त का निधन हो गया था। उन्होंने बतौर कोरियोग्राफर अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की थी। फिर उन्होंने फिल्मों में अभिनय किया और निर्देशन की दुनिया में कदम रखा।
बॉलीवुड इंडस्ट्री का वह शख्स जो छोटी सी जिंदगी में सिनेमा को कई यादगार फिल्में दे गया। इंडस्ट्री की यह दिग्गज अभिनेता 50 और 60 के दशक में अभिनेता, फिल्म निर्माता और निर्देशक थे। बता दें कि हम इंडस्ट्री के बेहतरीन अभिनेता गुरु दत्त की बात कर रहे हैं। आज ही के दिन यानी की 10 अक्तूबर को अभिनेता गुरु दत्त का निधन हो गया था। उन्होंने बतौर कोरियोग्राफर अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की थी। फिर उन्होंने फिल्मों में अभिनय किया और निर्देशन की दुनिया में कदम रखा। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर अभिनेता गुरु दत्त के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
परिवार
बेंगलुरु में 09 जुलाई 1925 को गुरु दत्त का जन्म हुआ था। गुरु दत्त का असली नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था। वहीं उनका बचपन बहुत गरीबी और तकलीफों में बीता था। पढ़ाई में अच्छे होने के बाद भी गुरु दत्त 10वीं के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। क्योंकि उनके परिवार के पास उतने पैसे नहीं थे।
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फिल्मी सफर
संगीत और कला में रुचि होने के कारण गुरु दत्त ने अपनी प्रतिभा से स्कॉलरशिप हासिल की। इसके बाद उन्होंने उदय शंकर इंडिया कल्चर सेंटर में एडमिशन ले लिया। जहां पर गुरु दत्त ने डांस सीखा और 5 साल तक उदय शंकर से डांस सीखने के बाद वह पुणे के प्रभात स्टूडियो में बतौर कोरिग्राफर काम करने लगे। साल 1946 में गुरु दत्त ने प्रभात स्टूडियो की एक फिल्म 'हम एक हैं' से बतौर कोरियोग्राफर अपना फिल्मी करियर की शुरूआत की।
लेडी लव
कोरियोग्राफर के बाद गुरु दत्त को प्रभात स्टूडियो की फिल्म में अभिनय का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने फिल्म 'प्यासा' की कहानी लिखी और बाद में यह फिल्म बनाई। साल 1951 में गुरु दत्त ने देवानंद की फिल्म 'बाजी' की सक्सेज के बाद तौर निर्देशक काम शुरू किया और इसमें अपनी पहचान बनाने में भी कामयाब रहे। इस फिल्म के दौरान गुरु दत्त और गीता बाली एक-दूसरे के नजदीक आ गए और साल 1953 में दोनों ने शादी कर ली। हालांकि कुछ साल बाद यह शादी टूट गई। बताया जाता है कि अभिनेता गुरु दत्त की करीबी वहीदा रहमान से बढ़ी। जिसके कारण गुरु दत्त और गीता बाली के बीच झगड़े होने शुरू हो गए और झगड़े इतने बढ़े कि उनकी शादी टूट गई।
दुनिया को कहा अलविदा
गुरु दत्त ने 'प्यासा', 'साहब, बीवी और गुलाम', 'चौदहवीं का चांद' जैसी बेमिसाल फिल्में दीं। हालांकि उस दौरान वह दिवालिया हो गए, जब 'कागज के फूल' फ्लॉप हो गई। एक ओर गुरु दत्त वहीदा रहमान को नहीं अपना पाए, लेकिन वहीं उनकी फिल्म में हुए नुकसान की वजह से अभिनेता बुरी तरह से टूट चुके थे। इस कारण उन्होंने दो बार आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन तीसरी बार 10 अक्तूबर 1964 को गुरु दत्त का निधन हो गया। महज 39 साल की उम्र में अभिनेता गुरु दत्त अपने बेडरूम में मृत पाए गए। बताया जाता है कि उन्होंने पहले खूब शराब पी और उसके बाद ढेर सारी नींद की गोलियां खा ली थीं।
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