Mulayam Singh Yadav Birth Anniversary: विरोधियों को पटखनी देने में माहिर थे मुलायम सिंह यादव, यूपी की राजनीति बनाई थी खास जगह
मुलायम सिंह यादव ने 70 के दशक अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरूआत की थी और वह सत्ता के शिखर तक भी पहुंचे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का आज ही के दिन यानी की 22 नवंबर को जन्म हुआ था। अखाड़े में पहलवानी के दाव-पेंच आजमाने वाले मुलायम सिंह ने राजनीति में अपने विरोधियों को भी खूब पटखनी दी है। उनकी गिनती न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश के दिग्गज नेताओं में की जाती थी। मुलायम सिंह यादव ने 70 के दशक अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी और वह सत्ता के शिखर तक भी पहुंचे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 को मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम सुघर सिंह यादव और माता का नाम मूर्ति देवी था। मुलायम सिंह ने अपनी शुरूआती शिक्षा अपने गृह जनपद से पूरी की और आगे की पढ़ाई इटावा से की। साल 1962 में जब पहली बार छात्र संघ चुनाव की घोषणा हुई, तो मुलायम सिंह ने भी चुनाव लड़ने का फैसला किया औऱ वह चुनाव जीत गए और छात्र संघ के अध्यक्ष बन गए। मुलायम सिंह को शुरूआत से पहलवानी का शौक था और वह अखाड़े में अपने दांव-पेंच से प्रतिद्वंदियों को चित कर देते थे।
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राजनीतिक सफर
छात्र राजनीति के दौरान ही मुलायम सिंह अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थू सिंह के संपर्क में आए। चौधरी नत्थू सिंह ने उनकी मेहनत देखी और उनके आशीर्वाद से पहलवानी का शौक रखने वाले छोटे गांव से आने वाला यह लड़का 28 साल की उम्र में विधायक बन गया। मुलायम सिंह साल 1967 के विधानसभा चुनाव में पहली बार जयवंतनगर सीट से विधायक चुने गए। वहीं आपातकाल के दौरान अन्य नेताओं की तरह मुलायम सिंह यादव की भी गिरफ्तारी हुई। वहीं जब आपातकाल हटाया गया, तो उनको यूपी में राम नरेश यादव की सरकार में मंत्री बनाया गया।
फिर साल 1980 में मुलायम सिंह को लोकदल का अध्यक्ष चुना गया और साल 1982 में वह यूपी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष चुने गए। महज कुछ सालों में उनकी लोकप्रियता उत्तर प्रदेश में बढ़ती चली गई और मुलायम सिंह भी राजनीति में अपना सिक्का जमाते गए। साल 1989 में उनको पहली बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना गया। इन्हीं के कार्यकाल में राम मंदिर आंदोलन पूरे चरम पर था और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मुलायम सिंह ने पुलिस को कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई।
समाजवादी पार्टी की नींव
इस घटना के बाद मुलायम सिंह यादव ज्यादा समय तक सत्ता में नहीं रह सके और 24 जनवरी 1991 को उनकी सरकार गिर गई, साल 1992 में मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी की नींव रखी। इसके बाद कांशीराम और मायावती की पार्टी बसपा की मदद से साल 1993 में मुलायम सिंह दोबारा राज्य के सीएम बने, लेकिन इस बार भी वह सीएम का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। दरअसल, साल 1995 में लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड हो गया। हालांकि दो बार मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम सिंह का कद और बढ़ गया और वह राष्ट्रीय राजनीति की ओर कदम बढ़ाने लगे।
प्रधानमंत्री बनने का सपना
बता दें कि साल 1996 में मुलायम सिंह मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने और इस चुनाव में किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिली। जिसके कारण तीसरा मोर्चा फिर अस्तित्व में आया और इस बार मुलायम सिंह किंगमेकर की भूमिका में थे। साल 2003 में वह तीसरी बार यूपी के सीएम बने। इस बार उन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। फिर वह लखनऊ और दिल्ली की राजनीति करते रहे। हालांकि वह देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए, लेकिन वह देश के रक्षामंत्री रहे।
मृत्यु
समाजवाद की राजनीति करने वाले मुलायम सिंह ने लंबी बीमारी के बाद 10 अक्तूबर 2022 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
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