Jaswant Singh Birth Anniversary: पूर्व PM वाजपेई के 'हनुमान' कहे जाते थे जसवंत सिंह, जानिए कैसा रहा सियासी सफर

Jaswant Singh
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भैरोसिंह शेखावत ने साल 1980 में राजस्थान से राज्यसभा के लिए जसवंत सिंह का नाम आगे किया। यह वही समय था, जब जसवंत सिंह के संसदीय कॅरियर की शुरूआत हुई थी। उनको राष्ट्रीय राजनीति में पहचान मिलनी शुरू हो गई थी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय सेना के रिटायर्ड ऑफिसर रहे जसवंत सिंह का 03 जनवरी को जन्म हुआ था। वह भारतीय जनता पार्टी के संस्‍थापक सदस्‍यों में से एक थे। इसके अलावा जसवंत सिंह सबसे लंबे समय तक रहने वाले संसद सदस्‍यों की गिनती में भी शामिल हैं। बता दें कि साल 1980 से लेकर साल 2014 तक वह किसी न किसी सदन से सदस्य रहे हैं। वहीं जसवंत सिंह को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 'हनुमान' कहा जाता था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जसवंत सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गांव जसोल में 03 जनवरी 1938 को जसवंत सिंह का जन्म हुआ था। उनकी शुरूआती शिक्षा गांव से पूरी हुई और फिर आगे की शिक्षा के लिए वह मेयो चले गए थे। वहीं 12वीं पास करने के बाद वह विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक थे, लेकिन परिवार द्वारा इतना खर्चा उठाने में सक्षम न होने की वजह से वह आर्मी में भर्ती हो गए।

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आर्मी में नौकरी

बता दें कि साल 1962 के युद्ध में जसवंत सिंह ने एक फौजी के रूप में अरुणाचल के नाथुला से मोर्चा संभाला और फिर उन्होंने साल 1965 के युद्ध में भी हिस्सा लिया। इस दौरान जसवंत सिंह के मन में राजनेताओं के प्रति नाराजगी ने जन्म लेना शुरूकर दिया था। क्योंकि राजनेताओं की राष्ट्र नीते और रक्षानीति को लेकर जो रवैया था, उससे वह नाराजगी पनपने लगी। ऐसे में वह फौज की नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए।

राजनीतिक सफर

साल 1967 में जोधपुर की ओसियां सीट से जसवंत सिंह ने निर्दलीय चुनाव लगा। तो वहीं बहुत सारे लोगों का यह भी मानना है कि जसवंत सिंह ने स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ा था। हालांकि यह बात सच है कि जसवंत सिंह ने स्वतंत्र पार्टी की मुखिया महारानी गायत्री देवी से मुलाकात की थी, जिस पर गायत्री देवी ने उनको पार्टी ज्वॉइन करने के लिए कहा। जिस पर जसवंत सिंह ने जवाब देते हुए कहा था, आपकी पार्टी में बहुत राजकुमार हैं। उनका जवाब सुनकर गायत्री देवी के पति मानसिंह द्वितीय प्रभावित हुए थे। ओसियां सीट से जसवंत सिंह को हार का सामना करना पड़ा था।

आपातकाल में बढ़ा राजनीतिक संपर्क

बता दें कि साल 1975 में जब देश में आपातकाल लगा, तो जसवंत सिंह दिल्ली चले गए। इस दौरान उनकी मुलाकात अटल बिहारी वाजपेई से हुई। इसके अलावा उनका सरदार आंग्रे से भी परिचय हुआ, जोकि ग्वालियर राजमाता विजयाराजे सिंधिया के निजी सचिव थे। साल 1977 में आपातकाल हटने के बाद तमाम दलों ने मिलकर जनता पार्टी बनाई औऱ फिर देश में आम चुनाव हुए। इस दौरान जयपुर के आस-पास की सीटों का प्रभार जसवंत सिंह को सौंपा गया।

साल 1977 में उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा और राजस्थान में जनता पार्टी ने 152 सीटों पर जीत हासिल की, तो वहीं कांग्रेस 41 सीटों पर सिमट कर रह गई। तब राज्य में भैरोसिंह शेखावत के नेतृत्व में सरकार बनीं। लेकिन 3 साल के अंदर जनता पार्टी में फूट पड़ गई। तो नेता जनसंध से जनता पार्टी में आए थे, उन्होंने मिलकर भारतीय जनता पार्टी का गठन किया।

संसदीय करियर की शुरुआत

भैरोसिंह शेखावत ने साल 1980 में राजस्थान से राज्यसभा के लिए जसवंत सिंह का नाम आगे किया। यह वही समय था, जब जसवंत सिंह के संसदीय कॅरियर की शुरूआत हुई थी। उनको राष्ट्रीय राजनीति में पहचान मिलनी शुरू हो गई थी। इसके बाद वह एनडीए सरकार में वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भी रहे। जसवंत सिंह ने अपने राजनीतिक सफर में सकई मील के पत्थर स्थापित किए थे। फिर चाहे पाकिस्तान से रिश्ते सुधारना हो या परमाणु परीक्षण के बाद दुनिया के साथ संबंध मजबूत करना हो। जसवंत सिंह ने राजनीति में अपना रोल बखूबी निभाया था। 

बता दें कि जसवंत सिंह 5 बार राज्यसभा और 4 बार लोकसभा के सदस्य रहे, लेकिन उनके दामन में एक भी दाग नहीं लगा। हालांकि रक्षा मंत्रालय के बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसा मंत्रालय है, इसकी कमान जिसने भी संभाली उसके दामन में कालिख जरूर लगी है। जसवंत सिंह भले ही हमेशा विवादों से घिरे रहे, लेकिन उन पर कोई भ्रष्टाचार का आरोप कभी नहीं लगा।

मृत्यु

आखिर बार साल 2014 में जसवंत सिंह ने बाड़मेर सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन इस दौरान उनको हार का सामना करना पड़ा था। चुनाव बीतने के कुछ समय बाद वह दिल्ली अपने आवास पर चले गए। वहीं दिल्ली स्थित आवास में पैर फिसलने की वजह से उनके सिर में चोट लगी, जिसके बाद उनको फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां पर वह कोमा में चले गए। वहीं करीब 6 साल तक कोमा में रहने के बाद 27 सितंबर 2020 को जसवंत सिंह का निधन हो गया।

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