आसान नहीं ट्रेजेडी किंग बनना, लगभग 60 फिल्मों में ही काम कर अमर हो गए दिलीप कुमार
दिलीप कुमार ने नरगिस के साथ लगभग 7 फिल्में की लेकिन उनकी जोड़ी मधुबाला के साथ खूब लोकप्रिय हुई। दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा में खुद स्वीकार किया है कि वह मधुबाला की तरफ आकर्षित थे। लेकिन मधुबाला के पिता के कारण यह प्रेम बहुत ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया।
जब-जब भारतीय सिनेमा के इतिहास लिखे जाने की बात सामने आएगी तब तब दिलीप कुमार का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाएगा। लगातार कई सालों से बीमार रहने की खबरों के बीच आखिरकार आज दिलीप कुमार का निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे। उनके निधन के बाद से बॉलीवुड ही क्या, पूरे देश में शोक की लहर है। अपने 55 वर्ष के फिल्मी करियर में दिलीप कुमार ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दी। दिलीप कुमार ने जिन फिल्मों में काम किया उन फिल्मों को उन्होंने जीवंत बना दिया। अपने अभिनय से दिलीप कुमार ने हर दिलों पर राज किया। यह सही है कि लगभग 55 सालों के फिल्मी करियर में दिलीप कुमार ने सिर्फ 63 फिल्मों में ही काम किया। लेकिन जिन फिल्मों में काम किया वह फिल्में अमर हो गईं। उन फिल्मों ने एक नई गाथा लिखी। उन फिल्मों ने कई नए किरदारों को जन्म दिया तो कई युवा अभिनेताओं को प्रेरित किया।
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स्वभाव से सरल दिखने वाले दिलीप कुमार अपने किरदारों को बेहद ही मजबूती से किया करते थे। दिल्ली में खालसा कॉलेज में पढ़ने के दौरान उनके सहपाठी राज कपूर जहां लड़कियों से फ्लर्ट करने के लिए मशहूर थे तो वही दिलीप कुमार अपने शर्मीले स्वभाव की वजह से एक कोने में बैठना ही ज्यादा पसंद करते थे। हालांकि दिलीप कुमार ने यह कभी नहीं सोचा था कि वह रुपहले पर्दे पर ऐसी छाप छोड़ेंगे जिसकी कल्पना कर पाना भी मुश्किल है। दिलीप कुमार की जब फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री हुई उस दौरान भारतीय फिल्म अपने शुरुआती दौर से गुजर रहा था। फिल्मों में लाउड एक्टिंग हुआ करते थी लेकिन दिलीप कुमार ने सुक्ष्म अभिनय की बारीकियों को पर्दे पर उतारा। अपने किरदार को सही तरीके से पर्दे पर उतारना और जानबूझकर मौन रहना दिलीप कुमार की अदायगी का परिचायक बन गया। अपनी एक्टिंग को मुलायम और सुसंस्कृत रखने वाले दिलीप कुमार दृढ़ आवाज में डायलॉग बोला करते थे और उनकी खूब वाहवाही होती थी। दिलीप कुमार, राज कपूर और देवानंद को भारतीय फिल्मों का त्रिमूर्ति कहा जाता है। हालांकि जानकार और विशेषज्ञ यह मानते हैं कि एक्टिंग के मामले में दिलीप कुमार राज कपूर और देवानंद से कई मायनों में आगे थे।
यूं ही सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने दिलीप कुमार को एक्टिंग की संस्था नहीं बताई है। दिलीप कुमार ने अपने अभिनय कॅरियर में एक से बड़ी एक सुपरहिट फिल्में तो दी ही साथ ही साथ अपने किरदारों को अद्भुत और अदभुतम बना दिया। दिलीप कुमार एक्टिंग की बारीकियों को पर्दे पर अपने अंदाज में उतारा करते थे और इसमें अपना एक अलग छाप छोड़ते हैं। आज भी सुपरस्टार के दौर में दिलीप कुमार के चाहने वालों की कमी नहीं है। राजेश खन्ना से लेकर रणवीर सिंह और रणबीर कपूर तक सभी उनके छत्रछाया से खुद को दूर नहीं कर पाते हैं। एक ओर जहां दिलीप कुमार ने mughal-e-azam जैसी फिल्म में शहजादे की भूमिका को बड़ी बारीकी से उतारा तो वही गंगा जमना में एक गवार के किरदार को भी अमर बना दिया। यही तो दिलीप कुमार की खासियत थी। जो वह करते थे वह अमर हो जाता था। कुमार को फिल्मों में लाने वाले देविका रानी चालिस भारतीय फिल्मों का बड़े नाम थे। यह वही शख्स हैं जिन्होंने पेशावर के फल व्यापारी के बेटे युसूफ खान को दिलीप कुमार बना दिया। हालांकि उनके पिता कभी नहीं चाहते थे कि वह एक्टिंग करें। उनके पिता की नजर में अभिनेता बस एक नौटंकी वाला था।
दिलीप कुमार की कई अभिनेत्रियों के साथ रोमांटिक जोड़ी बनी, नजदीकी संबंध भी रहे। लेकिन वह विवाह तक नहीं पहुंच सका। प्यार में दिल टूटना उनके लिए शायद प्रेरणा का काम कर गया और उन्हें ट्रेजेडी किंग बना दिया। आज भी हमारे बॉलीवुड में हीरो फिल्मों में मरना पसंद नहीं करते हैं लेकिन दिलीप कुमार ऐसे अभिनेता थे जो अपनी हर दूसरी-तीसरी फिल्म में आखिर में मर जाते थे। एक वक्त तो ऐसा आया कि दिलीप कुमार डिप्रेशन के शिकार हो गए। डॉक्टर की सलाह के बाद उन्होंने कॉमेडी फिल्मों में भी काम किया। कोहिनूर, आजाद, राम और श्याम जैसी फिल्में सुपरहिट रहीं। इनमें दिलीप कुमार ने कॉमेडी किरदार निभाया था।
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दिलीप कुमार ने नरगिस के साथ लगभग 7 फिल्में की लेकिन उनकी जोड़ी मधुबाला के साथ खूब लोकप्रिय हुई। दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा में खुद स्वीकार किया है कि वह मधुबाला की तरफ आकर्षित थे। लेकिन मधुबाला के पिता के कारण यह प्रेम बहुत ज्यादा दिन तक नहीं चल पाया। दिलीप कुमार ने सायरा बानो से शादी की। दिलीप कुमार ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत ज्वार भाटा फिल्म से की थी। जुगनू, शहीद, नदिया के पार, अंदाज़, जोगन, बाबुल, दीदार, दाग, देवदास, आजाद, इंसानियत, नया दौर, पैगाम, लीडर, राम और श्याम, आदमी, गोपी, क्रांति, शक्ति, विधाता, मजदूर, मशाल, कर्मा, सौदागर जैसी मशहूर फिल्मों में उन्होंने काम किया। 8 फिल्मों के लिए उन्हें बेस्ट फिल्म फेयर एक्टर का अवार्ड दिया गया। 1991 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मभूषण दिया गया। 2015 में पद्म विभूषण से अलंकृत किया गया। पाकिस्तान सरकार की ओर से निशान-ए-इम्तियाज़ से भी उन्हें 1998 में नवाजा गया है। 2000 से 2006 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। इसके अलावा उन्हें 1994 में दादा साहेब फाल्के अवार्ड से भी अलंकृत किया गया था।
- अंकित सिंह
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