Paris Paralympics 2024: पिता चाहते थे IAS बने बेटा, लेकिन एक हादसे ने बदल दी सचिन खिलारी की जिंदगी

 Sachin Khilari
प्रतिरूप फोटो
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Kusum । Sep 4 2024 6:24PM

सचिन पढ़ाई में अच्छे थे, जिससे उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। फिर उन्होंने 2000 के दशक के अंत में इंजीनियरिंग का एंट्रेस एग्जाम पास किया और इसके बाद पुणे के इंदिरा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया साथ ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री भी हासिल की।

भारत को पेरिस पैरालंपिक 2024 के सातवें दिन सचिन खिलाड़ी ने भारत को 21वां मेडल दिलाया। 34 वर्षीय सचिन ने पेरिस पैरालंपिक में डेब्यू पर ही कमाल कर दिया। उन्होंने मेंस शुटपुट F46 इवेंट का सिल्वर मेडल जीत इतिहास रचा है। 

फाइनल मुकाबले में कनाडा के डिफेंडिंग चैंपियन ग्रेग स्टीवर्ट के साथ सचिन की कड़ी टक्कर देखने को मिली। दोनों ने अपने 6 प्रयासों में कई बाद 16 मीटर की बाधा को पार किया। आखिर में स्टीवर्ट ने गोल्ड मेडल जीता। क्रोएशिया के लुका बेकोविक ने 16.27 मीटर के अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। 

सचिन ने इससे पहले 2023 और 2024 में दो बार गोल्ड मेडल जीता। साथ ही हांग्जो में एशियाई पैरा खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे। जिससे पेरिस में उन्हें गोल्ड मेडल का दावेदार माना जा रहा था। सचिन ने अपने दूसरे प्रयास में 16.32 मीटर का रिकॉर्ड बनाया। 


कौन हैं सचिन खिलाड़ी?

महाराष्ट्र के सांगली में जन्में सचिन के बाएं हाथ में हरकत सीमित है। 9 साल की उम्र में साइकिल से गिरने से हाथ में फ्रैक्चर हो गया और बाद में गैंग्रीन की वजह से उनके हाथ का मूवमेंट प्रभावित हो गया। 

सचिन जब कॉलेज में थे तब से ही भाला फेंकना शुरू कर दिया था। बाद में राष्ट्रीय स्पर्धाओं में गोल्ड मेडल जीतने। 2019 में उन्हें कंधे में चोट लग गई, जिसके कारण उन्हें जैवलिन थ्रो को छोड़ना पड़ा। कोच सत्य नारायण से बातचीत के बाद उन्होंने शॉट पुट में हाथ आजमाया। अपने मौजूदा कोच अरविंद चव्हाण के मार्गदर्शन में सचिन ने शॉट पुट में कई रिकॉर्ड तोड़े, जिसे बुधवार को पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के साथ नया मुकाम मिला।

हालांकि, सचिन पढ़ाई में अच्छे थे, जिससे उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। फिर उन्होंने 2000 के दशक के अंत में इंजीनियरिंग का एंट्रेस एग्जाम पास किया और इसके बाद पुणे के इंदिरा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया साथ ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री भी हासिल की। 

इस बीच सचिन पर कोच अरविंद चव्हाण की नजर पड़ी। जिसके बाद उन्होंने शुरुआत में सचिन को डिस्कस और जेवलिन थ्रो में ट्रेन किया और इस युवा खिलाड़ी ने 2012 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी स्टेड चैंपियनशिप में जेवलिन थ्रो में 60 मीटर की थ्रो के साथ गोल्ड मेडल जीता। 

2013 में यूपीएससी और महाराष्ट्र राज्य परीक्षाओं की तैयारी कनरे के कारण सचिन ने खेलों से 3 साल का ब्रेक ले लिया। यूपीएससी की तैयारी के दौरान, उन्हें रियो पैरालंपिक चैंपियन भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया के बारे में पढ़ा और पैरा स्पर्धाओं में भाग लेने का फैसला किया। 2016 में अपनी श्रेणी के लिए वर्गीकृत होने के बाद, उन्होंने 2017 में जयपुर में पैरा नेशनल्स में 58.47 मीटर के थ्रो के साथ भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीता। 

लेकिन फिर एक वक्त आया जब महाराष्ट्र में सूखे के कारण सचिन के परिवार को भारी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था। सचिन को कुछ समय के लिए एक कोचिंग में पढ़ाना शुरू किया। जेवलिन थ्रो में एफ46 श्रेणी में राष्ट्रीय चैंपियन बनने के बाद कंधे में चोट लगने के बाद सचिन ने इस खेल को छोड़ने के बारे में सोचा। जिसके बाद कोच सत्य नारायण के एक कॉल ने उन्हें शॉटपुट में प्रतिस्पर्धा करने का फैसला करने में मदद की और महाराष्ट्र के इस एथलीट ने उसी साल ट्यूनीशिया में विश्व पैरा ग्रैंड प्रिक्स में गोल्ड पदक जीता। 

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