योगी सरकार मानसून सत्र में ला सकती है जनसंख्या नियंत्रण कानून का प्रस्ताव
रिटायर्ड न्यायमूर्ति और कमेटी के अध्यक्ष ए एन मित्तल का कहना है जनसंख्या नियंत्रण पर कानून के मसौदे को लेकर लगभग 8,500 प्रतिक्रियाएं मिली थीं, जिनमें से कुछ ने आलोचना की, कुछ ने सराहना की और कइयों ने कानून को और अधिक प्रभावी बनाने के सुझाव दिया।
लखनऊ।उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश के जनसंख्या नियंत्रण कानून का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे वह शीघ्र ही वह राज्य सरकार को सौंप देगी। उम्मीद जताई जा रही है कि योगी सरकार 17 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून का प्रस्ताव पेश कर सकती है। इसके बाद इस पर चर्चा होगी और कानून बनाने का रास्ता खुल जाए। मगर जिस तरह से सपा, कांग्रेस और बसपा इसका विरोध कर रहे हैं उसको देखते हुए योगी सरकार की राह आसान नहीं लग रही है। रिटायर्ड न्यायमूर्ति और कमेटी के अध्यक्ष ए एन मित्तल का कहना है जनसंख्या नियंत्रण पर कानून के मसौदे को लेकर लगभग 8,500 प्रतिक्रियाएं मिली थीं, जिनमें से कुछ ने आलोचना की, कुछ ने सराहना की और कइयों ने कानून को और अधिक प्रभावी बनाने के सुझाव दिया।
इसे भी पढ़ें: क्या भाजपा के साथ करेंगे गठबंधन? ओवैसी बोले- समंदर के दो किनारे एक नहीं हो सकते
जो सुझाव माने जा सकते थे उस पर विचार किया गया। कुछ सुझाव केंद्र की सहमति से ही अमल में लाए जा सकते हैं, इसलिए इसको आगे की राह दिखा दी गई।गौरतलब हो आयोग ने इस साल 9 जुलाई को उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण विधेयक, 2021 का मसौदा अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया था, जिसमें प्रस्तावित कानून पर जनता से 10 दिनों में सुझाव मांगे गए थे।राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष एएन मित्तल ने कहा कि हमें जनसंख्या नियंत्रण पर ड्राफ्ट बिल के लिए बड़ी संख्या में सुझाव भी मिले थे।
जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लाएगी योगी सरकार, 2 से अधिक बच्चे वालों की सुविधाओं में होगी कटौती!
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष एएन मित्तल ने कहा है कि लॉ कमीशन ने सभी सुझावों का गंभीरता से अध्ययन किया। आयोग की ओर से कहा गया है कि जो लोग इस ड्राफ्ट बिल पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। आयोग की तरफ से यह भी गया है कि अगर इस ड्राफ्ट को विधेयक के तौर पर पेश भी कर दिया जाता है, तो भी इसके कानून बनने में एक साल का वक्त लग सकता है। अगर किसी ने इस कानून के बनने से पहले ही बच्चे को जन्म दिया है, तो परिवार, आयोग के बनाए गए कानूनों से बाहर रहेगा।जहां इस बिल को बीजेपी लोकतांत्रिक कदम बता रही है, वहीं विपक्षी पार्टियां इस पर सवाल खड़े कर रही हैं। कहा जा रहा है कि बिल पर न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के राजनीतिक दलों और यहां तक कि सामाजिक और धार्मिक संगठनों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
इसे भी पढ़ें: पुलवामा शहीद की पत्नी को सरकारी वादे पूरे होने का इंतजार, जयंत चौधरी ने दिलाया मदद का भरोसा
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने जनसंख्या बिल का समर्थन करते हुए इसे लोकतंत्र का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के लिए सख्त कानून बनाया जाएगा।उधर,समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि यह देखने लायक होगा कि यह तथाकथित प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून रूट लेवल पर कैसे निपटेगा। सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वे जनता पर कोई भी नीति थोप सकते हैं। योगी सरकार को इस जनसंख्या फैक्टर के अलावा महिलाओं के लिंगानुपात और बेरोजगारी दर का भी ध्यान रखना चाहिए।वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि जैसे सुझाव आए हैं, राज्य सरकार को भी उन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।जनता की सहमति के बिना कानून लागू नहीं करना चाहिए जैसे कि कृषि कानून लागू कर दिया था।
अन्य न्यूज़