आखिर हिन्दू युवा वाहिनी का अस्तित्व क्यों हो रहा समाप्त ? कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को मिला दूसरे दलों का साथ
साल 2002 में योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया था। लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने धीरे-धीरे उनका साथ छोड़ दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिन्दू युवा वाहिनी के ज्यादातर लोग अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ गए।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसको लेकर राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने की कोशिशों शुरू कर दी है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विकास के मुद्दे पर आगे बढ़ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट दिया था। चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने प्रदेश की जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। समय के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ता गया लेकिन उनकी हिन्दुत्व के मुद्दे पर बनाई गई हिन्दू युवा वाहिनी का कद कमजोर होने लगा।
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आपको बता दें कि साल 2002 में योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया था। लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने धीरे-धीरे उनका साथ छोड़ दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिन्दू युवा वाहिनी के ज्यादातर लोग अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ गए। 15 सालों तक हिन्दू युवा वाहिनी का मजबूती से आगे बढ़ाने वालों में शामिल सुनील सिंह, सौरभ विश्वकर्मा, चंदन विश्वकर्मा साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे से आहत होकर समाजवादियों के पास चले गए।
आपको बता दें कि सुनील सिंह हिन्दू युवा वाहिनी के अध्यक्ष रह चुके हैं और अब वो समाजवादी पार्टी के साथ हैं। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद हिन्दू युवा वाहिनी पर ध्यान देना बंद कर दिए थे। जिसकी वजह से कुछ वक्त बाद जिला इकाई भंग हो गई थी। इसके बाद साल 2018 में बलरामपुर, मऊ की भी इकाईयां भंग हो गईं और धीरे-धीरे कार्यकर्ता और पदाधिकारी दूसरे दलों में चले गए।इसे भी पढ़ें: बरेली में अमित शाह के रोडशो में उमड़ी भारी भीड़, बोले- 300 से अधिक सीटों के साथ भाजपा को फिर मिलेगी सत्ता
हिन्दू युवा वाहिनी के पूर्व अध्यक्ष रहे सुनील सिंह का मानना है कि हिन्दू युवा वाहिनी अपना अस्तित्व खो चुकी है क्योंकि हिन्दुत्व के मुद्दे पर भाजपा के सामने कोई भी दल नहीं बढ़ पा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के निर्देश के बाद इसे भंग कर दिया गया था।
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