कर्नाटक में पिछले दो हफ्ते से चले सियासी घटनाक्रम में ट्विस्ट कुमारस्वामी सरकार के गिरने के साथ आया। 14 महीने वाली कुमारस्वामी सरकार के गिरने के बाद से भाजपा कुछ दिन खामोशी से सारा घटनाक्रम देख रही थी। पिछली बार की गलती को इस बार भाजपा दोहराना नहीं चाहती थी खासकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तो बिल्कुल भी नहीं। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार गिरने के बाद कर्नाटक भाजपा के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा भी दो-तीन दिन तक पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मंत्रणा में लगे रहे। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के तीन विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले ने येदियुरप्पा को अचानक से सक्रिय भूमिका में ला दिया।
सीएम पद के दावेदार बीएस येदियुरप्पा ने आनन-फानन में राज्यपाल से मुलाकत करने के बाद यह घोषणा कर दी कि वह आज ही सरकार बनाने जा रहे हैं और शाम छह से सवा छह बजे के बीच सीएम पद की शपथ लेंगे। येदियुरप्पा ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘मैंने राज्यपाल से मुझे शाम छह बजे से सवा छह बजे के बीच मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने का अनुरोध किया। राज्यपाल राजी हो गए और मुझे एक पत्र दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल में किसे शामिल किया जाएगा, इसके बारे में मैं हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष से चर्चा करुंगा और उन्हें सूचित करुंगा। बता दें कि सरकार बनाने के लिए दिल्ली के निर्देशों का इंतजार कर रहे येदियुरप्पा ने इससे पहले बेंगलूरु में संघ कार्यालय जाकर आरएसएस के नेताओं से भेंट भी किया था। खबरों के अनुसार येदियुरप्पा सरकार बनाने के अपने प्लान को आरएसएस के उन नेताओं से साझा करने गए थे, जो कि राज्य में बीजेपी और संघ के बीच समन्वय से जुड़े हैं।
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हालांकि ऐसी भी खबरें थी कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व कुछ और दिन वेट एंड वाच के मूड में था। लेकिन 76 साल के कर्नाटक भाजपा के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा लगातार सरकार बनाने की बात करते नजर आ रहे थे। बता दें कि मई 2018 में भी पूर्ण बहुमत न होने के बावजूद सरकार गठन का निर्णय येदियुरप्पा की जिद की वजह से लिया गया था। जिसके बाद भाजपा को फजीहत भी झेलनी पड़ी थी और केंद्रीय नेतृत्व इससे नाराज भी था। लेकिन इस्तीफा देने वाले तीन विधायकों को स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने के बाद येदियुरप्पा 14 अन्य विधायकों के मसले पर फैसला आने से पहले ही सरकार बना लेना चाहते हैं। स्पीकर का कहना है कि अभी इसमें टाइम लगेगा। देरी होता देख येदियुरप्पा और भाजपा ने सरकार बनाने की तैयारी कर ली। सूत्रों का कहना है कि अगर विधायकों का इस्तीफा स्वीकार हो गया तो फिर उन्हें उपचुनाव में उतार सकती है। लेकिन विधायकों अयोग्य ठहराए जाने की स्थिति में संख्या बल का आंकड़ा और कम होगा। हालांकि भाजपा तब भी नुकसान की स्थिति में नहीं है। लेकिन सत्ता में आने के बाद भजापा के पास संख्या बल हासिल करने के लिए परिस्थितियां अनुकूल होंगी।
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