Kashmir घाटी में Pashmina को बढ़ावा देने के साथ ही महिलाओं को बनाया जा रहा है आत्मनिर्भर
देखा जाये तो कश्मीरी पश्मीना पूरी दुनिया में मशहूर है और यह बिकता भी बहुत महँगा है लेकिन इसके प्रशिक्षित कारीगरों की बेहद कमी है। इसीलिए प्रशासन ऐसे केंद्रों की स्थापना और कार्यशालाओं के आयोजन से पश्मीना कारीगरी का प्रशिक्षण देता है।
जम्मू-कश्मीर में हस्तशिल्प एवं हथकरघा विभाग पश्मीना को बढ़ावा देने के लिए लगातार अभियान चलाता रहता है। इसके तहत महिलाओं को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें। पूरे जम्मू-कश्मीर में हस्तशिल्प विभाग के कई प्रशिक्षण केंद्र हैं। ऐसा ही एक केंद्र श्रीनगर के अनहून मोहल्ला में भी स्थित है। इसमें श्रीनगर के विभिन्न हिस्सों से 30 महिलाएं पश्मीना ऊन कातने का प्रशिक्षण हासिल करने के लिए आती हैं। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को मासिक भत्ते के रूप में 1000 रुपए भी दिये जाते हैं।
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देखा जाये तो कश्मीरी पश्मीना पूरी दुनिया में मशहूर है और यह बिकता भी बहुत महँगा है लेकिन इसके प्रशिक्षित कारीगरों की बेहद कमी है। इसीलिए प्रशासन ऐसे केंद्रों की स्थापना और कार्यशालाओं के आयोजन से पश्मीना कारीगरी का प्रशिक्षण देता है। पश्मीना की पारम्परिक कताई के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाता है साथ ही पश्मीना कारीगरों के लिए आधुनिक मशीनों को भी पेश किया गया है जिससे उन्हें लंबे समय तक एक ही अवस्था में बैठे-बैठे कार्य करने को मजबूर नहीं होना पड़े। प्रभासाक्षी संवाददाता ने कश्मीर में हस्तशिल्प विभाग के इस केंद्र का जायजा लिया और वहां के प्रभारी अधिकारी कुमैल सैयद से बातचीत की। उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि पारंपरिक पश्मीना ऊन कताई को फिर से पुनर्जीवित किया जाये।
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