पहाड़ पर चुनाव, डबल इंजन वाला दांव, बीजेपी के मिशन रिपीट से क्या कांग्रेस को मिलेगी डिफीट? कैसे आकार ले रहा है हिमाचल का रण
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश जहां चुनावी ऐलान के साथ ही राजनीति दलों ने अपनी कमर कस ली है और वादों का पिटारा भी खोल दिया है। चुनावी गलियारे के दोनों ओर कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है।
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश जहां चुनावी ऐलान के साथ ही राजनीति दलों ने अपनी कमर कस ली है और वादों का पिटारा भी खोल दिया है। चुनावी गलियारे के दोनों ओर कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। सत्तारूढ़ भाजपा ने स्पष्ट रूप से पहाड़ी राज्य को बनाए रखने के लिए जी-जान लगा दिया है, जबकि कांग्रेस सत्ता में वापस आने के लिए सत्ता विरोधी लहर पर निर्भर नजर आ रही है। इसके अलावा मैदान में विद्रोहियों की भीड़ और आम आदमी पार्टी (आप) की हौले-हौले से हुई एंट्री ने इसे राज्य के मुकाबले को थोड़ा दिलचस्प बना दिया है, जहां सत्ता पाने और वंचित रह जाने की दूरी बेहद ही कम रहा करती है।
हिमाचल प्रदेश चुनाव 2017 के नतीजे
पार्टी | सीटें | वोट % |
बीजेपी | 44 | 48.79 |
कांग्रेस | 21 | 41.68 |
सीपीएम | 1 | 1.47 |
अन्य | 2 | 6.34 |
सत्ता की अदला-बदली का रहा है रिवाज
इन सबके बीच हिमाचली मतदाता जिन्होंने 1985 के बाद से ही पांच साल पर सत्ता बदलने की रवायत कायम रखी है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एक राजनीतिक विश्लेषक रमेश चौहान ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया कि पिछले 37 वर्षों में हिमाचल की राजनीति रही है दो बड़े मुख्यमंत्रियों, कांग्रेस के वीरभद्र सिंह और भाजपा के प्रेम कुमार धूमल का वर्चस्व था, लेकिन मतदाताओं ने उनके शानदार ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद उन्हें सत्ता में वापस नहीं लाया। जबकि वीरभद्र को 1998 में लगातार दूसरी बार 31 सीटें मिलीं, जबकि धूमल को 2012 में 26 सीटों के साथ हार का सामना करना पड़ा, हालांकि उन्हें राज्य के सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली सरकारों में से एक माना जाता था। लेकिन इस बार यह अलग है, कम से कम सतह पर। पड़ोसी पंजाब के विपरीत, अपने विनम्र और सुलभ राजनेताओं के लिए जाने जाने वाले हिमाचल या देव भूमि को कभी इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया। सत्तारूढ़ दल ने अपने सभी सिपहसालाहरों को हिमाचल की जंग में उतार दिया है। राज्य के सभी 68 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर करने के इरादे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी मैदान में हैं।
हिमाचल चुनाव के प्रमुख मुद्दे
पुरानी पेंशन स्कीम
पेपर लीक केस
सेब किसानों की मुसीबत
बेरोजगारी
एंटी इनकंबेंसी
विपक्षी दलों का क्या है हाल?
प्रियंका गांधी ने घोषणा की है कि अन्य कांग्रेस शासित राज्यों की तरह, पार्टी ओपीएस की बहाली को अपनी प्राथमिकता बनाएगी, भाजपा के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी संकेत दिया कि पार्टी सरकारी कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करेगी। 12 नवंबर को होने वाले चुनावों के लिए अन्य मुद्दों में अग्निवीर योजना और सेब उत्पादकों के बीच असंतोष शामिल है, जिनका मुनाफा कार्टन सहित इनपुट की बढ़ती लागत के कारण घट रहा है। नई भर्ती योजना से सेना में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं की रैंकिंग स्पष्ट हो गई है, जब कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता मेजर (सेवानिवृत्त) विजय सिंह मनकोटिया ने कहा कि वह इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के समक्ष उठाएंगे। आम आदमी पार्टी राज्य में आधे-अधूरे मन से प्रयास करती दिख रही है, लेकिन उनके पास आधा दर्जन से अधिक सीटों पर मजबूत स्थानीय उपस्थिति वाले उम्मीदवार हैं।
क्या कहते हैं जातिय समीकरण
जाति | प्रतिशत |
राजपूत | 32 |
ब्राह्मण | 18 |
ओबीसी | 14 |
अनुसूचित जाति | 25 |
क्या कहते हैं सर्वे
एबीपी न्यूज सी वोटर ने हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की वापसी का अनुमान जताया है। हिमाचल प्रदेश में प्रचार जोरों पर हो रहा है और इस प्रचार में बीजेपी को 47 प्रतिशत बढ़त मिलती दिख रही है और कांग्रेस को 31 प्रतिशत बढ़ मिल रही है। तो वहीं, पता नहीं कहने वाले 22 प्रतिशत पर रहा। वहीं इंडिया टीवी के सर्वे में बताया गया है कि 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी 41 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रख सकती है, कांग्रेस 25 सीटें जीत सकती है और 'अन्य' दो सीटें जीत सकती है। 2017 के चुनावों में भाजपा ने 44 सीटें जीती थीं, कांग्रेस ने 21 और 'अन्य' ने तीन सीटें जीती थीं। वोट प्रतिशत के हिसाब से बीजेपी को 46.2 फीसदी, कांग्रेस को 42.3 फीसदी, आप को 2.3 फीसदी और अन्य को 9.2 फीसदी वोट मिल सकते हैं।
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