Prajatantra: Rajasthan में चुनाव बाद Sachin Pilot के सियासी करियर को मिलेगी नई उड़ान?
पार्टी में एकजुटता बनाए रखने के लिए कांग्रेस ने राजस्थान में सीएम का चेहरा नहीं दिया है। गहलोत अपने करियर की आखिरी सियासी पारी खेल रहे हैं। ऐसे में पार्टी की जीत के बाद सचिन पायलट के लिए संभावनाए बन सकती है जिससे वह 2018 में चूक गए थे।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने है। 25 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इस चुनाव में कांग्रेस अपनी पूरी ताकत लगा रही है। कांग्रेस नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, जो 2020 से सीएम अशोक गहलोत के साथ आमने-सामने हैं, उनके लिए यह चुनाव खुद को साबित करने का एक बड़ा मौका है। लगातार अशोक गहलोत से मनमुटाव रहने के बाद भी वह फिलहाल पार्टी की जीत पर फोकस कर रहे हैं। राज्य में बड़ा सवाल यही है कि क्या चुनाव बाद पायलट के अच्छे दिन आएंगे?
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सीएम चेहरा नहीं
पार्टी में एकजुटता बनाए रखने के लिए कांग्रेस ने राजस्थान में सीएम का चेहरा नहीं दिया है। गहलोत अपने करियर की आखिरी सियासी पारी खेल रहे हैं। ऐसे में पार्टी की जीत के बाद सचिन पायलट के लिए संभावनाए बन सकती है जिससे वह 2018 में चूक गए थे। हालांकि, इसपर पायलट ने कहा कि यह पार्टी के आलाकमान का निर्णय है कि अगर पार्टी आगामी चुनाव राजस्थान में सत्ता में आती है तो राज्य का नेतृत्व कौन करेगा। उन्होंने कहा कि मेरा पहला और सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य और प्राथमिकता राजस्थान राज्य में कांग्रेस पार्टी के लिए जीत हासिल करना है, जहां 30 वर्षों से दोबारा सरकार नहीं बनी है। मेरा ध्यान इसी पर है। मैं यह नहीं देख रहा कि मुझे क्या मिल सकता है या क्या नहीं मिल सकता।
एकजुटता पर जोर
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका दिखता है, यदि अधिकांश टिकट अशोक गहलोत के समर्थकों को जाते हैं तो पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, “मुझे लगता है कि यह कहना गलत है कि कोई भी किसी का समर्थक है। हम हाथ के निशान पर चुनाव लड़ रहे हैं और उम्मीदवारों पर निर्णय एआईसीसी स्तर पर लिया जाता है। सर्वे और अन्य इनपुट होते हैं। उन सबको देखने के बाद पार्टी केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के स्तर पर फैसला लेती है कि किसे टिकट मिलेगा या नहीं। यह एक्स, वाई या जेड के समर्थक का सवाल नहीं है। हम सभी कांग्रेसी के रूप में लड़ रहे हैं। जुलाई 2020 में, पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद एक महीने तक चली बगावत खत्म हुई। बाद में पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया।
2018 को किया याद
पायलट, जो 2018 में राज्य पार्टी प्रमुख थे और राजस्थान को जीत दिलाई, ने कहा कि चुनाव जीतना एक "सामूहिक प्रयास" है। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक राज्य कांग्रेस अध्यक्ष है, हमारे पास एक कांग्रेस मुख्यमंत्री है लेकिन हम सभी टीम भावना से काम करते हैं और यह पार्टी की सामूहिक इच्छाशक्ति और सामूहिकता है जो हमें जीत दिलाएगी। इसलिए हम सभी यह सुनिश्चित करने के लिए समान रूप से प्रतिबद्ध हैं कि कांग्रेस आगामी चुनाव जीते। पायलट ने कहा कि हमारा (अशोक गहलोत और सचिन पायलट) ना कोई मनभेद है, ना मतभेद है, ना कोई गुट है। हम सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
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जीत का भरोसा
2013 में निराशाजनक प्रदर्शन के साथ, जब कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई, जो आजादी के बाद उसका सबसे खराब प्रदर्शन था, पायलट ने कहा कि बहुमत में वापस आने के लिए "बहुत प्रयास" करना पड़ा। तो, अब मुझे लगता है कि हम उस प्रवृत्ति को तोड़ सकते हैं। ऐसा तब होगा जब हर कोई समान रूप से, कांग्रेस के लिए राज्य का उद्धार करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध होगा। जब मैं यह कहता हूं, तो मैं राज्य कांग्रेस के सभी शीर्ष नेतृत्व के लिए बोलता हूं। भाजपा पर निशाना साधते हुए पायलट ने कहा कि भगवा पार्टी विधानसभा के भीतर और बाहर पूरी तरह से "अप्रभावी" विपक्ष रही है। हाल के दिनों में देखें तो पायलट लगातार आलाकमान का भरोसा जितने की कोशिश कर रहे हैं।
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