Rajasthan Chunav 2023: राजस्थान चुनाव में क्या बीजेपी फिर खा जाएगी झटका, खेमे में गुटबाजी से हो सकता है नुकसान

JP Nadda
ANI

इस साल के अंत तक 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस दौरान बीजेपी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने का भरकस प्रयास कर रही हैं। बीजेपी पार्टी राज्य में गहलोत और सचिन पायलट की तकरार को भुनाना चाहती हैं।

इस साल के अंत तक 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने हैं। इस दौरान बीजेपी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने का भरकस प्रयास कर रही हैं। बीजेपी पार्टी राज्य में गहलोत और सचिन पायलट की तकरार को भुनाना चाहती हैं। जबकि कांग्रेस अपनी सत्ता को बचाए रखना चाहती हैं। हांलाकि बीजेपी ने अभी तक अपनी रणनीति का ऐलान नहीं किया है। लेकिन राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए बीजेपी राजे, राठौड़, गजेंद्र सिंह शेखावत और सतीश पूनिया समेत अन्य नेताओं के संयुक्त नेतृत्व पर भरोसा जता रही हैं।

पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं

इसके साथ ही बीजेपी ने हाल ही में राजस्थान में परिवर्तन यात्रा निकाली थी। ऐसे में पार्टी के चुनाव अभियान में इन चारों नेताओं को समान महत्व दिया जा रहा है। लेकिन प्राप्त जानकारी के मुताबिक राजस्थान बीजेपी के अंदर इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। जहां एक ओर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पार्टी से नाराज चल रही हैं, तो वहीं पीएम मोदी ने भी राज्य के दौरे के दौरान एक बार भी वसुंधरा राजे का जिक्र नहीं किया। इसके अलावा वह परिवर्तन यात्रा के कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुई थीं। 

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गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश

बीजेपी की परिवर्तन यात्रा के निराशाजनक अंत से यह साफ संकेत मिल रहा है कि पार्टी के अंदर इन दिनों सब ठीक नहीं चल रहा है। राजस्थान कांग्रेस की तरह ही बीजेपी के खेमे में भी अंदरूनी कलह जारी है। राज्य में गुटबाजी खत्म करने के लिए बीजेपी ने सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया है। लेकिन अभी भी राज्य में सीएम पद की दावेदारी का पेच फंस रहा है। आमतौर पर देखा जाए तो राजस्थान के बहुत से लोग पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को ही बीजेपी का नेता मानते हैं। ऐसे में बीजेपी द्वारा वसुंधरा राजे की उपेक्षा किए जाने से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। हांलाकि राजस्थान चुनाव को लेकर हाई कमान भी अब सक्रीय हो चुका है। 

राजस्थान की सियासत में आम है यह ट्रेंड

बता दें कि राजस्थान यह ट्रेंड बेहद आम है कि एक पर सत्ता बीजेपी के पास जाती है तो एक बार कांग्रेस के पास, यानी की राज्य में सत्ता परिवर्तन का दौर चलता आया है। ऐसे में यह चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के लिए तब और ज्यादा अहम हो जाते हैं, क्योंकि इन 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों को 2024 के सेमीफाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है। राजस्थान में तीसरी राजनीतिक शक्ति की ग़ैर-मौजूदगी में मुक़ाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच आमने सामने का है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो राजस्थान में भाजपा को जहां 73 सीटों पर संतोष करना पड़ा था, तो वहीं कांग्रेस को 100 सीटें हासिल हुई थीं। बीजेपी को 38.77 फीसदी वोट मिले थे तो कांग्रेस को 39.30 फीसदी वोट हासिल हुए थे। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का पूरा फोकस राजस्थान पर है।

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