President Election: उत्तर प्रदेश 208, बंगाल 151, सिक्किम की सबसे कम, राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के वोट मूल्य में 'असमानता' क्यों?
1971 की जनगणना रिपोर्ट के आधार पर सांसदों और विधायकों का वोट मूल्य तय किया जाता है। उस जनगणना के आधार पर 2026 तक सांसदों और विधायकों के वोटों का मूल्य निर्धारित किया गया।
तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित कर दिया। वहीं बीजेपी की तरफ से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। दरअसल एनडीए को अपने उम्मीदार को जिताने के लिए 13000 अन्य वोटों की जरूरत है,ऐसे में उसे दूसरे दलों के समर्थन की जरूरत होती। वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल समेत शिवसेना के समर्थन से ये राह आसान हो गई। 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा जबकि गुरुवार को काउंटिंग होगी। मुकाबला भाजपा नीत एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और कांग्रेस, तृणमूल, लेफ्ट समेत विपक्षी खेमे के यशवंत सिन्हा के बीच है।
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सांसद और विधायक करेंगे वोट
लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के अलावा, भारत के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली और पुडुचेरी के निर्वाचित सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करेंगे। नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर ने अभी तक विधानसभा का गठन नहीं किया गया है। लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या 543 है। राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या 233 है। लेकिन अब राज्यसभा में 5 सीटें खाली हैं. 30 राज्यों के विधानसभाओं में कुल विधायकों की संख्या 4,123 है।
प्रत्येक सांसद का वोट मूल्य होता है इतना
देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लोकसभा और राज्यसभा के लिए चुने गए प्रत्येक सांसद का वोट मूल्य समान है - 708। लेकिन विभिन्न राज्यों में विधायकों के वोट मूल्य में गंभीर अंतर है। वोट मूल्य के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है। उस राज्य के एक विधायक का वोट वैल्यू 208 होता है। पश्चिम बंगाल में प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य 151 है। सिक्किम के विधायकों का चुनावी मूल्य सबसे कम है केवल 7 है। यानी अगर किसी उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव में सिक्किम के कुल 32 विधायकों के वोट मिल भी जाते हैं तो उसके वोटों का मूल्य 224 हो जाएगा। उत्तर प्रदेश के 1 विधायक के वोट मूल्य से थोड़ा अधिक।
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यूपी के विधायकों का मत मूल्य सबसे ज्यादा
उत्तर प्रदेश के हर निर्वाचित विधायक का मत मूल्य सर्वाधिक 208 रहने के कारण राष्ट्रपति चुनाव में इस राज्य की अहम भूमिका रहेगी। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में कुल 403 सदस्य हैं जो इस चुनाव में मतदान करेंगे। उप्र में राष्ट्रपति चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी बृजभूषण दुबे ने बताया कि राज्य के पांच विधायक व्यक्तिगत कारणों से 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में राज्य के बाहर अपना वोट डालेंगे। इनमें से चार दिल्ली में मतदान करेंगे, जबकि एक विधायक ने तिरुवनंतपुरम में मतदान करने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश में प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य 208 है, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु में 176 है। महाराष्ट्र में यह 175 है। सिक्किम में प्रति विधायक वोट का मूल्य सात है, जबकि नगालैंड में यह नौ और मिजोरम में आठ है।
कैसे तय किया जाता है वोट मूल्य
1971 की जनगणना रिपोर्ट के आधार पर सांसदों और विधायकों का वोट मूल्य तय किया जाता है। उस जनगणना के आधार पर 2026 तक सांसदों और विधायकों के वोटों का मूल्य निर्धारित किया गया। उस रिपोर्ट के आधार पर सांसदों और विधायकों का संयुक्त मत मूल्य 10 लाख 98 हजार 782 है। सांसदों और विधायकों का संयुक्त वोट मूल्य लगभग बराबर है। कुछ सीटें खाली होने के कारण इस बार कुल वोट मूल्य 10 लाख 81 हजार 991 है। विधायकों का संयुक्त मत मूल्य 5 लाख 49 हजार 474 है। उस संख्या को सांसदों के संयुक्त वोट मूल्य को मानते हुए सांसदों की कुल संख्या (776) से विभाजित किया जाता है। राज्यवाड़ी विधायकों के वोट मूल्य की गणना का तरीका भी बहुत समान है। किसी राज्य की जनसंख्या को पहले उस राज्य में विधायकों की संख्या से विभाजित किया जाता है। तब भागफल को 1000 से विभाजित किया जाता है। इसमें संख्या ही वोट मूल्य का आधार होती है।
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