Haryana Violence को लेकर समूचा विपक्ष राज्य सरकार पर हमलावर, मगर Mamata Banerjee ने कर दिया CM Khattar का समर्थन!
हम आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हरियाणा के अपने समकक्ष और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोहर लाल खट्टर के इस बयान का स्वागत किया है कि हर किसी की सुरक्षा नहीं की जा सकती।
हरियाणा में हाल की हिंसक घटनाओं के चलते समूचा विपक्ष मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर हमला बोल रहा है। कोई कह रहा है कि भाजपा को सरकार चलाना नहीं आता यह मणिपुर और हरियाणा की घटनाओं से साबित हो गया है, कोई कह रहा है कि डबल इंजन सरकार का डबल इंजन फेल हो गया है। ऐसे ही तीखे व्यंग्य इस समय हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार पर किये जा रहे हैं। यही नहीं, विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल जैसे संघ परिवार के घटक भी हरियाणा सरकार से नाराजगी जता रहे हैं कि वह उनके कार्यकर्ताओं पर हुए हमले को नहीं रोक पाई। यानि मनोहर लाल खट्टर चारों तरफ से घिरे हुए हैं लेकिन हैरत की बात यह है कि ऐसे कठिन समय में उन्हें ममता बनर्जी का साथ मिला है। वह ममता बनर्जी जोकि भाजपा और मोदी सरकार पर हमले का कोई मौका नहीं चूकतीं उन्होंने खट्टर का समर्थन करके सभी को हैरान कर दिया है।
क्या कहा ममता बनर्जी ने?
हम आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हरियाणा के अपने समकक्ष और भाजपा नेता मनोहर लाल खट्टर के इस बयान का स्वागत किया है कि हर किसी की सुरक्षा नहीं की जा सकती। मगर ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार को जातिवाद या सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। ममता बनर्जी ने साथ ही आरोप लगाया कि सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं की पटकथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लिखी है और इसका मकसद चुनाव जीतने के लिए लोगों को विभाजित करना है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने पत्रकार वार्ता में कहा, ''मैंने मनोहर लाल खट्टर का बयान देखा है। एक राजनीतिक नेता के तौर पर नहीं बल्कि इस देश के नागरिक के तौर पर मैं उनके बयान की सराहना करूंगी क्योंकि ये सच है कि सरकार हर किसी को सुरक्षा नहीं दे सकती है।” ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘लेकिन मैं यह भी कहूंगी कि सरकार जातिवाद, पंथवाद या सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा नहीं दे सकती...सांप्रदायिक तनाव इसलिए शुरू हुआ क्योंकि भाजपा चुनाव जीतने के लिए लोगों को जाति, पंथ और देश के आधार पर बांटने का गंदा खेल खेल रही है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार हालांकि लोगों को शांति प्रदान कर सकती है। ममता बनर्जी ने कहा, ''अगर हम मानसिक रूप से मजबूत हैं व एकजुट हैं और लोगों को नहीं बांटेंगे तो ऐसी चीजें नहीं होंगी। ऐसा नफरत भरे भाषण और उकसावे की वजह से होता है।” ममता बनर्जी ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि जिन राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं, वहां कोई केंद्रीय दल क्यों नहीं भेजा गया?
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ममता बनर्जी के बयान के मायने क्या हैं?
जहां तक ममता की ओर से खट्टर के समर्थन की बात है तो इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि खुद पश्चिम बंगाल सरकार पर राज्य में हिंसा की घटनाओं को नहीं रोक पाने के आरोप हैं। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के दौरान जिस तरह हिंसा का तांडव हुआ उससे राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे थे। इसलिए जब खट्टर ने कहा कि सरकार के लिए हर नागरिक की रक्षा करना संभव नहीं है, तो ममता को ऐसा हथियार मिल गया जिससे वह भविष्य में भाजपा की ओर से किये जाने वाले वारों के समय पलटवार कर सकती हैं।
हरियाणा सरकार ने उठाये बड़े कदम
जहां तक हरियाणा के हालात की बात है तो वह इस समय शांत हैं। आगे से फिर कोई बवाल नहीं हो इसके लिए हरियाणा सरकार ने अभी से तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। हम आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा नूंह में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की दंगा-रोधी इकाई त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) की एक नयी बटालियन को मंजूरी दिए जाने के लगभग पांच साल बाद, हरियाणा सरकार ने आखिरकार इसके लिए जमीन को मंजूरी दे दी। हरियाणा सरकार ने बटालियन के लिए जमीन की मंजूरी ऐसे समय दी है जब जिले में सांप्रदायिक झड़पें हुई हैं। सूत्रों ने बताया कि नूंह के इंद्री गांव में लगभग 50 एकड़ जमीन त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) को सौंपने की मंजूरी इस सप्ताह की शुरुआत में मिली। उन्होंने बताया कि जमीन चिह्नित कर ली गई थी लेकिन बल द्वारा इसके उपयोग पर अंतिम घोषणा पिछले एक वर्ष से अधिक समय से प्रतीक्षित थी। उन्होंने कहा कि जमीन पर कब्ज़ा लेने की प्रक्रिया जल्द होगी, जिसके बाद किसी गणमान्य व्यक्ति द्वारा शिलान्यास किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि बटालियन के लिए कार्यालय और आवास बुनियादी ढांचे और अन्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में कुछ और साल लगेंगे। हम आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 2018 में घोषणा की थी कि आरएएफ की पांच और बटालियन गठित की जाएंगी जो वाराणसी (उत्तर प्रदेश), जयपुर (राजस्थान), शिवमोग्गा (कर्नाटक), हाजीपुर (बिहार) और नूंह में स्थित होंगी। इन पांच और इकाइयों के साथ आरएएफ बटालियन की कुल संख्या बढ़कर 15 हो जाएगी। दस अन्य बटालियन हैदराबाद, अहमदाबाद, इलाहाबाद, मुंबई, दिल्ली, अलीगढ़, कोयंबटूर, जमशेदपुर, भोपाल और मेरठ में स्थित हैं। अधिकारियों ने कहा कि नूंह बटालियन जिले के एक पुलिस थाने में तैनात एक छोटी इकाई सहित अन्य स्थानों से काम कर रही थी।
हम आपको बता दें कि आरएएफ की एक बटालियन में करीब 1,200 कर्मी होते हैं और ये विरोध प्रदर्शन या दंगे जैसी स्थितियों के मामले में सुरक्षा और कानून व्यवस्था लागू करने के लिए घातक राइफल, उपकरण तथा पंप एक्शन गन, आंसू गैस के ग्रेनेड, पानी बौछार करने वाले वाहन गैर-घातक हथियारों से लैस होते हैं। अक्टूबर, 1992 में आरएएफ का गठन किया गया था और इसे पूर्ण रूप से क्रियाशील किया गया था।
जज और उनकी बेटी बाल-बाल बचीं
इस बीच, एक खबर यह भी मिली है कि हरियाणा के नूंह में एक धार्मिक यात्रा पर हमले के दौरान भीड़ ने नूंह की एक अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की गाड़ी पर हमला कर उसमें आग लगा दी थी। हमले में न्यायाधीश और उनकी तीन साल की बेटी बाल-बाल बच गईं। एक प्राथमिकी से यह जानकारी सामने आई है। नूंह शहर थाने में मंगलवार को दर्ज प्राथमिकी में बताया गया कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) अंजलि जैन की गाड़ी पर सोमवार को हमलावरों ने पथराव और गोलीबारी की, जिस कारण उन्हें और उनकी बेटी को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। न्यायाधीश, उनकी बेटी और कर्मचारियों को नूंह के पुराने बस स्टैंड की एक वर्कशॉप में शरण लेनी पड़ी, जिन्हें बाद में कुछ अधिवक्ताओं ने बचा लिया। नूंह एसीजेएम की अदालत में प्रोसेसर सर्वर (कानूनी कारवाई में मौजूद पक्षों को कानूनी दस्तावेज देने वाला व्यक्ति) के रूप में काम करने वाले टेकचंद की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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