Sansad में अविश्वास प्रस्ताव पर पहले क्यों नहीं बोले राहुल गांधी? कांग्रेस ने कर दी चूक या फिर है कोई और रणनीति
आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई तो सदन में नरेंद्र मोदी मौजूद नहीं थे। दरअसल, कांग्रेस चाहती है कि सदन में जब नरेंद्र मोदी मौजूद हों। उसी वक्त राहुल गांधी का भाषण हो। इसका संदेश साफ है कि कांग्रेस मोदी के मुकाबले राहुल को पेश करना चाहती है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता बहाल कर दी गई है। राहुल गांधी संसद पहुंचे जहां मानसून सत्र चल रहा है। परिसर में प्रवेश करते समय कई विपक्षी सांसदों ने उनका भव्य स्वागत किया। गांधी परिवार ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रार्थना की। संसद सदस्यता बहाल होने के बाद 12 बजे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का भाषण होने वाला था। लेकिन सदन में राहुल की जगह गौरव गोगोई बोले। जिस पर बीजेपी ने भी तंज कसा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसको लेकर निशाना साधते हुए पूछा कि सत्ता पक्ष उनके भाषण का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। वहीं बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने तो तंज कसते हुए कह दिया कि लगता है वो लेट से सोकर उठे होंगे। जिसके बाद संसद में हंगामा मच गया। बहरहाल, सियासी बवालों से इतर बताते हैं कि आपको आखिर कौन सी बड़ी वजह है जिसकी वजह से राहुल गांधी ने संसद में भाषण नहीं दिया।
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राहुल की जगह गोगई क्यों
आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई तो सदन में नरेंद्र मोदी मौजूद नहीं थे। दरअसल, कांग्रेस चाहती है कि सदन में जब नरेंद्र मोदी मौजूद हों। उसी वक्त राहुल गांधी का भाषण हो। इसका संदेश साफ है कि कांग्रेस मोदी के मुकाबले राहुल को पेश करना चाहती है। 2024 लोकसभा चुनाव नजदीक है। राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल हो चुकी है। कांग्रेस संसद में पहले से ज्यादा आक्रमक नजर आ रही है। संसद में राहुल गांधी ही पार्टी को लीड करते नजर आएंगे।
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कांग्रेस की रणनीति क्या है
कांग्रेस चाहती है कि सदन में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद हो तभी राहुल गांधी अपना भाषण दें। वहीं अविश्वास प्रस्ताव पर राहुल गांधी के न बोलने की एक और बड़ी वजह है। दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव पर पीएम मोदी सदन में अंतिम दिन यानी 10 अगस्त को बोलेंगे। कांग्रेस नहीं चाहती है कि पीएम मोदी महफिल लूट ले जाए। वहीं आज अगर राहुल गांधी भाषण दे देते तो उनका भाषण पुराना हो जाता है। ऐसे में कांग्रेस का प्लान है कि राहुल गांधी का भाषण पीएम मोदी के भाषण से ठीक पहले हो। जिससे राहुल का भाषण चर्चा में रहे और लोगों को याद भी रहे। कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी के भाषण के साथ राहुल के भाषण की तुलना कर नए सियासी समीकरण बनाने की कोशिश करेगी। लोगों को ये संदेश देने की कोशिश करेगी कि राहुल जननेता के तौर पर अपनी पहचान स्थापित कर रहे हैं।
मणिपुर का मुद्दा भी है वजह
अविश्वास प्रस्ताव के बहाने कांग्रेस को बोलने का मौका मिला है तो वो देश में ये संदेश देना चाहती है कि वो नॉर्थ ईस्ट को कितनी तवज्जो देती है। राहुल गांधी बोलते तो शायद मणिपुर के मुद्दे पर उतना असर नहीं पड़ता। गौरव असम से सांसद हैं उनके जरिए ये मैसेज देने की कोशिश की है। यही बात गौरव की स्पीच से भी झलकी।
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