Karnataka Pakistan HC: जज ने मुस्लिम मोहल्ले को पाकिस्तान बताया?भरी अदालत में महिला वकील से अंडरडार्मेंट पर कहा ऐसा भड़के CJI
देश की सर्वोच्च अदालत ने कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज की टिप्पणी पर स्वत संज्ञान लिया। कहा कि ये सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि न्यायिक टिप्पणियां अदालतों में अपेक्षित शिष्टाचार के मुताबिक हों।
आपने कई बार नेताओं की जुबानी और कई बार लोगों के मुंह से सुना होगा कि फलां शहर का फलां इलाका मिनी पाकिस्तान बन चुका है। कर्नाटक हाईकोर्ट के जज साहब ने बेंगलुरू के एक मुस्लिम इलाके को मिनी पाकिस्तान बता दिया। स्वत संज्ञान अमूमन ये शब्द हमें तब सुनाई देता है जब अदालतें किसी कानूनी मुद्दे या विषय पर खुद से हस्तक्षेप करती हैं। जैसा की देश की सर्वोच्च अदालत ने कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज की टिप्पणी पर स्वत संज्ञान लिया। कहा कि ये सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि न्यायिक टिप्पणियां अदालतों में अपेक्षित शिष्टाचार के मुताबिक हों।
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दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के जज वी श्रीशानंदबेंगलुरू के एक इलाके कि तुलना पाकिस्तान से करते नजर आ रहे हैं। वीडियो एक मकान मालिक और किरदार के बीच चल रहे मामले की सुनवाई का है। 28 अगस्त को ही सुनवाई के दौरान जज वी श्रीशानंद ने कहा कि मैसूर रोड फ्लाईओवर की तरफ जाइए, हर ऑटोरिक्शा में 10 लोग सवार होते हैं, वहां बुरा हाल है. ऐसा लगता है कि बाजार से गोरीपल्या तक मैसूर फ्लाईओवर पाकिस्तान में है, भारत में नहीं। ये सच्चाई है. आप चाहे कितना भी सख्त अधिकारी क्यों न तैनात कर दें, उसे पीटा ही जाएगा। ये किसी भी चैनल पर नहीं दिखाया जाता।
मुस्लिम इलाके को मिनी पाकिस्तान बताया
जज श्रीशानंद की टिप्पमी रेंट कंट्रोल एक्ट के कुछ प्रावधानों की पेंचदगियों पर चर्चा से शुरू हुई और फिर ड्राइवर के बीमा कवरेज के मामलों पर चली गई। जज श्रीसानंद ने एक महिला वकील को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने महिला वकील से कहा कि वो विपक्षी पार्टी के बारे में बहुत कुछ जानती हैं। सुझाव दिया कि वो उनके अंडरगारमेंट का रंग भी पहचान सकती हैं। जब वी श्रीशानंद की टिप्पणियां सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी और लोग इसको लेकर आपत्ति जताने लगे तो सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वत संज्ञान लिया।
सीजेआई ने क्या कहा
हमारा ध्यान न्यायिक सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वी श्रीशानंद द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों की ओर आकर्षित हुआ है। हमने एजी और एसजी से सलाह मांगी है। हमने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने जज की टिप्पणी पर संज्ञान लेते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, हम कुछ बुनियादी दिशानिर्देश तय कर सकते हैं।
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पहले भी सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट जज की टिप्पणियों पर लेता रहा संज्ञान
पिछले साल दिसंबर के महीने में कलकत्ता हाई कोर्ट ने लड़कियों को अपनी ओर से एक सलाह दी थी। कहा था कि कम उम्र की लड़कियों को सेक्सुअल इच्छाएं कंट्रोल करके रखनी चाहिए और दो मिनट के सुख के लिए अपनी गरिमा से समझौता नहीं करना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की इस टिप्पणी पर सख्त ऐतराज जताया था। कहा था कि जजों को इस तरह के अनावश्यक सलाह देने से बचना चाहिए। मद्रास हाई कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया था और उनपर मर्डर का चार्ज चलाने की बात तक कह दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को कठोर और अनुचित बताया था। जजों को संयम बरतने की सलाह दी थी।
We call upon the Chief Justice of India to take suo moto action agsinst this judge and send him for gender sensitisation training. pic.twitter.com/MPEP6x8Jov
— Indira Jaising (@IJaising) September 19, 2024
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