Political Party: जनता की नजरों में कौन 'असली शिवसेना', जानिए क्या कहते हैं सियासी समीकरण
शिवसेना के विभाजन के बाद महाराष्ट्र में पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में पार्टी के दोनों ही धड़ों के सामने खुद को 'असली शिवसेना' साबित करने की चुनौती होगी। भले ही आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया है, लेकिन यह जनता को तय करना है कि वह किसे असली शिवसेना मानती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर जहां सभी राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं। तो वहीं शिवसेना के विभाजन के बाद महाराष्ट्र में पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में पार्टी के दोनों ही धड़ों के सामने खुद को 'असली शिवसेना' साबित करने की चुनौती होगी। हालांकि इस साल की शुरूआत में जब लोकसभा चुनाव हुए थे, तो दोनों ही शिवसेनाओं के बीच 13 सीटों पर मुकाबला देखने को मिला था। जिसमें से शिंदे सेना को 6 और उद्धव सेना को 7 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि इस पर पूरे देश की नजर होगी कि महाराष्ट्र में हो रहे चुनाव में कौन सी 'शिवसेना' ज्यादा ताकतवर होकर उभरती है।
बता दें कि जून 2022 में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे बागी बने और 16 विधायकों के साथ वह उद्धव ठाकरे के खिलाफ हो गए। महाराष्ट्र की राजनीति में करीब 15 दिनों तक चले ड्रामे के बाद उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ राज्य में एकनाथ शिंदे की सरकार बनी। पार्टी जब टूटकर दो भागों में बिखरी तो मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा। ऐसे में चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और सिंबल एकनाथ शिंदे के हाथों में दे दिया। तकनीकी नजरिए से शिंदे की शिवसेना असली शिवसेना पार्टी बन गई।
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वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी शिंदे सेना को असली शिवसेना करार दिया और पार्टी का नाम 'शिवसेना' और पार्टी का चुनाव चिह्न 'धनुष और तीर' शिंदे गुट के पास रहेगा, यह आदेश दिया। इस तरह से कुल मिलाकर कहा जाए, तो महाराष्ट्र ने पिछले 5 सालों में अप्रत्याशित उथल-पुथल देखी। राज्य ने एक के बाद एक कई सियासी झटके झेले। साल 2019 से 2024 तक 5 साल का कार्यकाल महाराष्ट्र की राजनीति में अप्रत्याशित घटनाओं का दौर रहा है।
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