'5 अगस्त 2019 को जो कुछ भी हुआ, वह देश और जम्मू-कश्मीर के संविधान के खिलाफ', 370 पर बोले उमर अब्दुल्ला

Omar Abdullah
ANI
अंकित सिंह । Aug 2 2023 3:15PM

धारा 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमने CJI और उनके सहयोगी जज को यह समझाने की कोशिश की कि 5 अगस्त 2019 को क्या हुआ और हम सुप्रीम कोर्ट से क्या उम्मीद कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज से सुनवाई शुरू की। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर दैनिक आधार पर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। याचिकाएं 5 अगस्त, 2019 के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देती हैं, जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने पहले कहा था कि पांच अगस्त 2019 की अधिसूचना के बाद पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की स्थिति के संबंध में केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे का पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा संवैधानिक मुद्दे पर की जा रही सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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उमर अब्दुल्ला का बयान

धारा 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमने CJI और उनके सहयोगी जज को यह समझाने की कोशिश की कि 5 अगस्त 2019 को क्या हुआ और हम सुप्रीम कोर्ट से क्या उम्मीद कर रहे हैं। CJI और उनके सहयोगी एसोसिएट जज ने भी कई सवाल उठाए। यह सब संविधान के बारे में है। उन्होंने कहा कि देश और जम्मू-कश्मीर के संविधान के बारे में...5 अगस्त 2019 को जो कुछ भी हुआ, वह देश और जम्मू-कश्मीर के संविधान के खिलाफ था। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे हमारे दृष्टिकोण से देखेगा। उमर अब्दुल्ला ने साफ तौर पर कहा कि हम संविधान के बारे में बात कर रहे हैं, इसकी राजनीति के बारे में नहीं। यह जम्मू-कश्मीर के लिए एक बड़ा मुद्दा है। 

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केंद्र ने पांच अगस्त 2019 को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों--जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख--के रूप में विभाजित कर दिया था। जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने वाले जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को 2019 में संविधान पीठ को भेजा गया था।

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