कांग्रेस के दंगल में किसका होगा मंगल? खड़गे या थरूर के अध्यक्ष चुने जाने पर पार्टी को क्या होगा फायदा
माना जा रहा है कि कहीं ना कहीं मल्लिकार्जुन खड़गे का पलड़ा शशि थरूर की तुलना में भारी है। नामांकन के दौरान भी हमने देखा कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नामांकन के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मौजूद थे। चाहे वह जी-23 ग्रुप के नेता हो या फिर अशोक गहलोत, प्रमोद तिवारी, सलमान खुर्शीद या केसी वेणुगोपाल जैसे नेता।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर आज नामांकन का आखरी दिन है। आज इस रेस में शामिल दो नामों की ओर से नामांकन दाखिल किया गया। पहला नाम शशि थरूर का है जिन्होंने नामांकन दाखिल किया और कहा कि पार्टी को मजबूत बनाना ही उनका एकमात्र लक्ष्य है। दूसरा नामांकन पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी किया। मल्लिकार्जुन खड़गे फिलहाल राज्य सभा के सदस्य हैं और नेता प्रतिपक्ष भी हैं। इन दोनों नेताओं के अलावा झारखंड के कांग्रेस नेता केएन त्रिपाठी ने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि जैसे ही आलाकमान अपना इशारा देगा, मैं अपना नामांकन वापस ले लूंगा। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे में से किसका पलड़ा भारी है?
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माना जा रहा है कि कहीं ना कहीं मल्लिकार्जुन खड़गे का पलड़ा शशि थरूर की तुलना में भारी है। नामांकन के दौरान भी हमने देखा कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नामांकन के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मौजूद थे। चाहे वह जी-23 ग्रुप के नेता हो या फिर अशोक गहलोत, प्रमोद तिवारी, सलमान खुर्शीद या केसी वेणुगोपाल जैसे नेता। इससे साफ तौर पर माना जा रहा है कि कहीं ना कहीं मल्लिकार्जुन खड़गे को आगे करना गांधी परिवार का ही दांव है। कांग्रेस के नेता लगातार कहते रहे हैं कि गांधी परिवार के बिना पार्टी शून्य है। ऐसे में कहीं न कहीं गांधी परिवार से मल्लिकार्जुन खड़गे को समर्थन प्राप्त है। जिसका मतलब साफ है कि चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।
थरूर के अध्यक्ष बनने के फायदे
- अगर कांग्रेस के अध्यक्ष शशि थरूर बनते हैं तो कहीं ना कहीं पार्टी को कुछ बड़े फायदे होंगे। जैसे कि पार्टी दक्षिण भारत में मजबूत हो सकती है। शशि थरूर केरल से आते हैं। केरल से ही राहुल गांधी भी सांसद हैं। वर्तमान में देखे तो भाजपा दक्षिण भारत पर ही फोकस रख रही है।
- युवाओं के बीच शशि थरूर की लोकप्रियता बहुत ज्यादा है। शशि थरूर के अध्यक्ष बनने के साथ युवा कांग्रेस से जुड़ सकते हैं। उनकी देशभर में जबरदस्त फॉलोइंग है। इसके अलावा विश्व के स्तर पर भी शशि थरूर का अपना नाम है।
- शशि थरूर बेहतरीन इंग्लिश के साथ हिंदी में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी सक्रियता ज्यादा है। विदेशी मामलों में उनकी पकड़ भी रहती है।
यह बातें शशि थरूर के पक्ष में नहीं
- विपक्षी दलों के नेताओं से शशि थरूर के रिश्ते उतने सहज दिखाई नहीं पड़ते हैं। शशि थरूर जमीन से जुड़े नेता नहीं माने जाते हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने के फायदे
- मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। इनका भी दक्षिण से नाता है। हालांकि, मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि वह हिंदी भी अच्छी बोलते हैं और उत्तर भारत में भी उनकी जमीनी पकड़ मजबूत है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने मजदूरों के लिए काफी लड़ाई लड़ी है। मजदूरों में उनकी पकड़ भी अच्छी है।
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- राष्ट्रीय राजनीति में आने से पहले वह कर्नाटक की राजनीति में खूब सक्रिय रहे। मनमोहन सिंह की सरकार में मल्लिकार्जुन खड़गे मंत्री भी रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे लगातार कई राज्यों का दौरा करते रहते हैं। संगठन में भी खड़गे की अच्छी पकड़ है। इसके अलावा वह गांधी परिवार के बेहद ही विश्वास पात्र हैं।
- मल्लिकार्जुन खड़गे के विपक्ष के नेताओं से अच्छे संबंध है। महाराष्ट्र में भी जब महा विकास आघाडी की सरकार बनी थी तो उसमें मल्लिकार्जुन खड़गे ने अहम भूमिका निभाई थी। राजस्थान कांग्रेस में भी उठापटक की स्थिति में मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी को संभालते नजर आए। इसके अलावा विपक्षी एकजुटता को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे लगातार कोशिश करते रहते हैं। विपक्षी नेताओं से उनके तालमेल अच्छे हैं।
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