Jan Gan Man: Sanatan मजबूत हो रहा है या कमजोर, सनातनियों को अतीत से क्या सबक लेने की जरूरत है?

ashwini upadhyay
ANI

उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि संतों और कथा वाचकों के यहां भीड़ उमड़ने मात्र से ही सनातन की हिफाजत नहीं हो जायेगी।

हम सभी का विश्वास है कि सनातन धर्म पर हमला करने वाले कभी अपने उद्देश्यों में सफल नहीं होंगे लेकिन याद रखें हमें अति आत्मविश्वास नहीं पनपने देना है। इतिहास में अनेकों ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जिनसे हम सबक लेकर अपने देश का भविष्य सुरक्षित रख सकते हैं। यहां हमें यह भी समझना होगा कि सनातन पर शब्द रूपी बाण चलाने वालों को जवाब देकर ही हमें अपने कर्तव्यों की इतिश्री नहीं समझ लेनी है। सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि सनातन सिर्फ कोई धर्म नहीं है बल्कि यह इस देश की सभ्यता और संस्कृति तथा जीवनशैली है। जो लोग कालाबाजारी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, अलगाववाद, परिवारवाद, माओवाद आदि को बढ़ावा दे रहे हैं वह भी एक तरह से सनातन संस्कृति पर हमला कर रहे हैं। देखा जाये तो इन सभी का एकमात्र इलाज सख्त कानून और त्वरित न्याय है।

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इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि संतों और कथा वाचकों के यहां भीड़ उमड़ने मात्र से ही सनातन की हिफाजत नहीं हो जायेगी। उन्होंने कहा कि सनातन की हिफाजत सख्त कानून ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि घटिया कानूनों को बदल कर उन्हें अमेरिका और सिंगापुर की तर्ज पर सख्त बनाया जाये और एक वर्ष के अंदर न्याय सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि हमें ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। हमें अपने पड़ोस के अफगानिस्तान का ही उदाहरण देख लेना चाहिए जहां कभी कश्मीरी पंडित नंद राम टिक्कू प्रधानमंत्री हुआ करते थे। वह खूब लोकप्रिय थे। हर चीज उनके नाम पर थी। उन्होंने मुद्रा में भी अपना नाम और तस्वीर प्रकाशित कराई थी लेकिन वह अफगानिस्तान के हिंदुओं को तो क्या अपनी आगामी पीढ़ी को भी नहीं बचा पाये।

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