क्या है PMLA कानून, ईडी की गिरफ्तारी और संपत्ति अटैच करने के अधिकार? खिलाफ में दायर थीं 240 याचिकाएं, फिर भी SC ने दिया बड़ा फैसला
धन शोधन निवारण अधिनियम को 2002 में अधिनियमित किया गया था और इसे 2005 में लागू किया गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया (मनी लॉन्ड्रिंग) से लड़ना है।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के अधिकारों को लेकर बड़ा फैसला दिया है। इस संबंध में 240 याचिकाएं दायर की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) एक्ट के तहत संपत्ति की जांच, गिरफ्तारी और कुर्की करने की प्रवर्तन निदेशालय की शक्ति को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर फैसला सुनाया और पीएमएलए के प्रावधानों की व्याख्या की मांग की थी। ये फैसला ऐसे समय में आया है जब सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में कांग्रेस देशभर में प्रदर्शन कर रही है। इससे पहले भी चाहे वो केजरीवाल सरकार के मंत्री हो या महाविकास अघाड़ी के नेता ईडी की तरफ से की जा रही कार्रवाई को राजनीति की भावना से प्रेरित बताकर लगातार विपक्षी दलों की ओर से ईडी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा जाता रहा है। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि क्या है पीएमएलए कानून, ईडी के गिरफ्तारी और संपत्ति को अटैच करने के अधिकार।
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क्या है पीएमएलए कानून
धन शोधन निवारण अधिनियम को 2002 में अधिनियमित किया गया था और इसे 2005 में लागू किया गया। इस कानून का मुख्य उद्देश्य काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया (मनी लॉन्ड्रिंग) से लड़ना है। मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना, अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के उपयोग को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना।
ईडी क्या करती है?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय जिसे अंग्रेजी में इन्फोर्समैन डॉयरेक्टरेट यानी ईडी कहा जाता है भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है। ईडी प्रमुख तौर पर फेमा 1999 के उल्लंघन से संबंधित मामलों जैसे हवाला, लेनदेन, फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग के मामलों की जांच करती है। ईडी विदेशी मुद्रा का अवैध व्यापार, विदेशों में संपत्ति की खरीद, भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा के कब्जे से जुड़े मामले में जांच करता है।
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किन- किन पर हुई कार्रवाई
ईडी ने जनवरी 2021 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और अक्टूबर 2018 में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बेटे शिवगंगा के सांसद कार्ति चिदंबरम सहित अन्य राजनेताओं के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की है। फारूक के मामले में (जम्मू और कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन से संबंधित एक मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से संबंधित), कुर्क की गई संपत्तियों में श्रीनगर में उनका गुप्कर रोड स्थित निवास जहां वो उस वक्त रह रहे थे। पीएमएलए के तहत ईडी की तरफ से शिवसेना नेता संजय राउत से जुड़ी जमीन के टुकड़े (भूखंड) और फ्लैट को फ्रीज करने के लिए एक अस्थायी कुर्क के आदेश जारी किए। ये कुर्की मुंबई में एक 'चॉल' के पुनर्विकास से संबंधित 1,034 करोड़ रुपये के भूमि 'घोटाले' से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच से जुड़ी है। पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी पर भी ईडी की कार्रवाई लगातार जारी है।
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आरोपी की संपत्ति अटैत होती है तो क्या होता है?
सबसे बड़ा सवाल कि क्या इसका मतलब यह है कि राउत, जैन या किसी और जैसे व्यक्तियों को तुरंत इन घरों या कार्यालयों से बाहर कर दिया जाता है? जरूरी नहीं है कि ठीक ऐसा ही हो। ईडी द्वारा जारी अंतरिम कुर्की आदेश किसी संपत्ति को तत्काल सील करने का कारण नहीं बनता है। उदाहरण के लिए फारूक अब्दुल्ला ने अपने घर में रहना जारी रखा, जबकि मामला अदालतों में लंबित रहा। चिदम्बरम परिवार ने भी नई दिल्ली में अपनी संपत्ति का 50% कुर्क होने के बाद भी उसका आनंद लेना जारी रखा।
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