Prajatantra: Madhya Pradesh, Rajasthan और Chhattisgarh को लेकर क्या है BJP की रणनीति

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ANI
अंकित सिंह । Aug 18 2023 3:54PM

वर्तमान में देखें तो शायद है ऐसे बेहद कम मौके आए होंगे, जब भाजपा चुनाव की तारीखों की घोषणा से बहुत पहले ही उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी हो। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को लेकर ऐसा हुआ है।

इस साल के आखिर में पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उनमें से मुख्य रूप से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं। वर्तमान में देखें तो मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है। वहीं, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है। 2018 के चुनावी परिणामों पर नजर डालें तो तीनों ही राज्यों में भाजपा सत्ता में थी। लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, मध्यप्रदेश में 2020 में सियासी उठापटक के बाद भाजपा एक बार फिर से सत्ता में आने में कामयाब हो गई। लेकिन 2018 में तीनों ही राज्यों में मिली हार से भाजपा ने बड़ा सबक लिया है और यही कारण है कि अभी से ही तीनों राज्यों को लेकर भाजपा अपनी मजबूत रणनीति के साथ आगे बढ़ने की कोशिश में जुटी हुई है। इन तीनों ही राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर रहती है। 

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गुरुवार को हुए बड़े निर्णय

वर्तमान में देखें तो शायद है ऐसे बेहद कम मौके आए होंगे, जब भाजपा चुनाव की तारीखों की घोषणा से बहुत पहले ही उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी हो। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को लेकर ऐसा हुआ है। मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा की सीटें हैं और भाजपा की ओर से 39 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया गया है। वहीं, छत्तीसगढ़ में भी 21 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी गई है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 सीटें हैं। वही राजस्थान में भाजपा ने 2 पैनल का गठन कर दिया है। इससे भाजपा ने राजस्थान को लेकर भी अपना संदेश दे दिया है। 

मध्यप्रदेश को लेकर क्या है रणनीति

2024 चुनाव के लिहाज से मध्यप्रदेश काफी अहम राज्य है। यही कारण है कि भाजपा मध्यप्रदेश को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। 2018 में ज्यादा वोट पाकर भी सीटों के मामले में भाजपा के पीछे रह गई थी। यही कारण है कि भाजपा ने अभी से ही अपने दांव खेलने शुरू कर दिए हैं। प्रदेश में पार्टी के पास शिवराज सिंह चौहान जैसा मजबूत नेता है। लेकिन कहीं ना कहीं आलाकमान इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगाने की कोशिश में है। मध्यप्रदेश में उन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा पहले कर दी गई है जिनमें से ज्यादा पर कांग्रेस ने पिछली बार चुनाव में जीत हासिल की थी। इन सीटों पर भाजपा ने अभी से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इनमें वे सीट भी हैं जहां भाजपा एक या दो बार चुनाव हार चुकी है। आंतरिक सर्वे में भी इन सीटों पर पार्टी की स्थिति ठीक नहीं पाई गई है। यही कारण है कि भाजपा ने अभी से ही ताल ठोक दिया है। मध्यप्रदेश में 2018 में चुनाव हारे 14 पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है। 

छत्तीसगढ़ की रणनीति

मध्यप्रदेश की तुलना में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है। यही कारण है कि भाजपा कांग्रेस को सीधी टक्कर देने के लिए अभी से ही 90 में से 21 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। छत्तीसगढ़ में भाजपा महिलाओं को साधने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि पहले ही सूची में भाजपा की ओर से महिला उम्मीदवारों को महत्व दिया गया है। इसके अलावा 21 में से 19 नए चेहरों को शामिल किया गया है। 21 में से 8 ओबीसी वर्ग से है, 11 एसटी, एक एससी और एक सामान्य उम्मीदवार को मौका दिया गया है। पार्टी ने इसमें पूरी तरीके से अपने सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान रखा है। इसके अलावा भूपेश बघेल को उनके गढ़ में ही घेरने की पार्टी ने तैयारी की है और उनके भतीजे विजय बघेल को उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है।

राजस्थान में क्या है मामला

राजस्थान को भी लेकर भाजपा गंभीर है और कहीं ना कहीं यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि पार्टी राज्य में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रही है। दरअसल, भाजपा की ओर से दो कमेटी की घोषणा की गई है। लेकिन दोनों में ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को जगह नहीं दी गई है। ऐसे में सिंधिया को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि, बीजेपी ने साफ तौर पर कहा है कि  वसुंधरा राजे राज्य में उनकी बड़ी नेता है और वह पार्टी का प्रमुख चेहरा भी हैं। उनके लिए दूसरा रोल निर्धारित किया जाएगा। कहीं ना कहीं राजस्थान में भाजपा नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। प्रधानमंत्री 6 बार अब तक राज्य का दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा स्थानीय नेताओं को भी बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और अर्जुन राम मेघवाल शामिल हैं।

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कुल मिलाकर देखें तो चुनावी टक्कर के लिए भाजपा अपनी तैयारी को दुरुस्त करती नजर आ रही है। कांग्रेस भी लगातार इन राज्यों को लेकर बैठके कर रही है। लेकिन कहीं ना कहीं भाजपा जिस तरीके से इन चुनाव में आगे बढ़ने की कोशिश में हैं, उससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि 2024 से पहले पार्टी कोई भी चूक करने की गलती नहीं करेगी। देखना दिलचस्प होगा कि अपनी नई तरह की रणनीति से भाजपा चुनाव में कितना लाभ मिलता है। लेकिन चुनाव में जबरदस्त टक्कर देखने को मिले यही तो प्रजातंत्र की खूबसूरती है। 

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